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बिप्लब देब के बाद CM विजय रुपाणी ने कहा-नारद पौराणिक काल के ‘गूगल’

विजय रुपाणी ने मीडिया के काम करने और लोकतंत्र में एक तटस्थ मीडिया की जरूरत पर भी बात की.

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इन दिनों टेक्नोलॉजी और पौराणिक काल में मानो काम्पिटिशन चल रही है. अबतक जिस वाईफाई, इंटरनेट, गूगल, वीडियो चैट इन सबको हम लेटेस्ट आविष्कार मान रहे थे वो दरअसल बीजेपी के दो मुख्यमंत्रियों के हिसाब से कुछ नया नहीं बल्कि पौराणिक काल में भी था. पहले त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब ने महाभारत काल में इंटरनेट के होने का दावा किया और अब गुजरात के सीएम विजय रुपाणी ने पौराणिक कथाओं के पात्र नारद की तुलना गूगल सर्च इंजन से की है.

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मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने कहा है कि गूगल को जैसे पूरी दुनिया के बारे में पता होता है वैसे ही नारद को पूरी दुनिया के बारे में जानकारी होती थी. रुपानी ने कहा,

यह आज के दौर में साफ है कि नारद एक ऐसे शख्स थे उनके पास पूरी दुनिया की जानकारी थी. वह उन सूचनाओं पर काम करते थे. मानवता की भलाई के लिए उन सूचनाओं को इकट्ठा करना उनका धर्म था और इसकी काफी जरूरत थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आरएसएस की शाखा विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित 'देवर्षि नारद जयंती' कार्यक्रम में रुपाणी ने कहा, ''गूगल भी नारद की तरह खबर का एक सोर्स है क्योंकि उसे दुनिया में हो रही सभी घटनाओं की जानकारी है.''

मीडिया कैसे करे काम

विजय रुपाणी ने मीडिया के काम करने और लोकतंत्र में एक तटस्थ मीडिया की जरूरत पर भी बात की. उन्होंने पीएम मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि मीडिया सरकार के कामकाज पर टिप्पणी कर सकता है, लेकिन इसे "तटस्थ और प्रामाणिक" होना चाहिए.

त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देब का बयान कैसे भूल सकते हैं

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी से पहले त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देव ने इंटरनेट के महाभारत काल में होने को लेकर बेहद चौंकाने वाला और अजीबोगरीब बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत में महाभारत काल के समय से ही इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है. अमेरिका या किसी दूसरे पश्चिमी देश ने नहीं, बल्कि भारत ने लाखों साल पहले इंटरनेट की खोज की थी.

यह वो देश है जिसमें महाभारत में संजय ने धृतराष्ट्र को युद्ध में क्या हो रहा था, सब बताया. इसका मतलब है कि उस समय इंटरनेट था, सैटेलाइट थी, टेक्नोलॉजी थी. उस जमाने में इस देश में वो तकनीक मौजूद थी.

ऐसे बयानों के मामले में बीजेपी के नेताओं की लिस्ट लंबी है

इससे पहले केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने इसी साल जनवरी में इंसान के क्रमिक विकास पर आधरित चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत को गलत बताते हुए कहा था,

डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में इसे बदलने की जरूरत है. इंसान जब से पृथ्वी पर देखा गया है, हमेशा इंसान ही रहा है. हमारे किसी भी पूर्वज ने लिखित या मौखिक रूप में बंदर को इंसान में बदलने का जिक्र नहीं किया था.

मोदी सरकार में साइंस टेक्नॉलजी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने स्टीफन हॉकिंग की मौत के बाद कहा था कि ब्रह्मांड विज्ञानी हॉकिंग ने कहा है कि वेदों में रिलेटिविटी की जो थ्योरी है वो आइंस्टीन के e=mc^2 से बेहतर है. जबकि हॉकिंग ने बयान कब दिया था ऐसा कहीं भी साबित नहीं हुआ.

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