केंद्र सरकार ने हज के लिए मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि इस बार हज जाने वाले 1 लाख 75 लोग बिना सब्सिडी के जाएंगे. जानते हैं हज और इस फैसले के बारे में 10 बड़ी बातें-
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- आजादी के बाद पहली बार इस सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है और अब देश के मुस्लिम समुदाय के लोग बिना सब्सिडी के ही हज पर जाएंगे.
- केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के मुताबिक, इस साल 1.75 लाख मुसलमान हज पर जाएंगे जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.
- सरकार हज के लिए 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती थी. अब मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों की शिक्षा खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा के लिए किया जाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में केंद्र सरकार को हज सब्सिडी खत्म करने की सलाह दी थी. कोर्ट ने इसके लिए 10 साल यानी साल 2022 की समय सीमा तय की थी, लेकिन सरकार ने इसे करीब 4 साल पहले ही खत्म करने का फैसला सुनाया है.
- हज के दौरान दुनियाभर के मुसलमान सऊदी अरब के मक्का में पहुंचते हैं. दरअसल, इस्लाम में पांच ऐसे पिलर या फर्ज हैं, जिनके आधार पर इस धर्म की रूप-रेखा तैयार हुई है. इसमें से एक पिलर हज भी है. बाकी चार हैं, 1. तौहीद या शहादा- जिस का अर्थ है सिर्फ ‘अल्लाह’ पर विश्वास करना. 2. नमाज- दिन में पांच वक्त नमाज मुसलमानों पर अनिवार्य है 3.रोजा- रमजान के महीने में सूरज निकलने से लेकर सूरज के डूबने तक बिना खाये-पिए रहना. 4. जकात- कुरान में लिखा है कि हर मुसलमान को अपनी सालाना आय का 2.5% भाग दान करना चाहिए, जिसे जकात कहा जाता है.
- हज पर जाने के लिए उम्र की ऐसी कोई सीमा नहीं है. बच्चा, बूढ़ा, जवान, औरत, मर्द सब जा सकते हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने महिलाओं को बगैर मेहरम हज पर जाने की मंजूरी दी थी. इससे पहले ‘मेहरम’ के बगैर महिलाओं को हज पर जाने की इजाजत नहीं थी. मेहरम का जिक्र उस पुरुष के लिए किया जाता है, जिनसे किसी महिला की शादी नहीं हो सकती (जैसे कि पिता, भाई और बेटा).
- हज के लिए सऊदी अरब हर देश का कोटा तैयार करता है. कोटे के मुताबिक, एक देश से कितने लोग हज पर जा सकते हैं ये तय होता है. इसके बाद हज जाने के लिए हज कमिटी ऑफ इंडिया के जरिए एक फॉर्म भरना होता है.
- भारत में सरकारी कोटे से हज पर जाने के लिए दो कैटेगरी है. एक ग्रीन केटेगरी और दूसरा अजीजिया. ये दोनों केटेगरी मक्का में काबा या ये कहें कि मस्जिद-ए-हरम से दूरी के आधार पर बनाई गई है. ग्रीन कैटेगरी मस्जिद-ए-हरम से नजदीक है इसलिए इसकी फीस ज्यादा होती है.
- सरकारी कोटे से हज पर जाने वालों का करीब 40 से 45 दिन का पैकेज होता है. वो करीब इतने दिन मक्का और मदीना में रुकते हैं.
- प्राइवेट ट्रेवल एजेंट के जरिए हज पर जाने के लिए अलग-अलग ट्रेवल एजेंट अलग-अलग चार्ज करते हैं. यहां होटल के क्वॉलिटी और बाकी फैसिलिटी के आधार पर चार्ज किया जाता है.
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टॉपिक: केंद्र सरकार सरकार मुख्तार अब्बास नकवी
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