ADVERTISEMENTREMOVE AD

'पुलिस ने घरों में घुसकर हमें पीटा': हल्द्वानी के स्थानीय मुसलमानों के गंभीर आरोप

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

छोटा
मध्यम
बड़ा

उत्तराखंड के हल्द्वानी (Haldwani) में प्रशासन ने एक कथित अवैध मजार और मदरसे पर बुलडोजर चलाया जिसके बाद हिंसा भड़क उठी. इसके कई दिनों बाद, कई स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि पुलिस उनके घरों में घुसी और उनके परिवार के सदस्यों को "बेरहमी से पीटा गया है"

स्थानीय लोगों का आरोप है कि 10 फरवरी की रात करीब 10-10:30 बजे पुलिस ने उनके घरों पर धावा बोला और उनके परिवार के सदस्यों को पीटा. यह कथित कार्रवाई मरियम मस्जिद और मलिक के बागीचे का मदरसा को ढाहे जाने के दो दिन बाद हुई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्थानीय सरकारी स्कूल में मिड-डे मील वर्कर के रूप में काम करने वाली शमा परवीन ने द क्विंट को बताया, हमारे घर में तीन पुलिसवाले जबरदस्ती घुस गए. वे किवाड़ तोड़ रहे थे, पूरे जोर से पैर मार रहे थे. मैंने पुलिसवालों से कहा, "हम वहां थे ही नहीं और हमने कुछ भी नहीं किया है. फिर आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?"

परवीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने घर के अंदर आने के बाद खाट को जमीन पर फेंक दिया और उनके बिस्तर के नीचे भी जांच की.

"उन्होंने मेरे पति को पीटना शुरू कर दिया. मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही, 'मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी, उन्होंने उसे पीटा. उन्होंने मेरे पति को इतना पीटा कि उनका पैर फ्रैक्चर हो गया. उनको सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए थे लेकिन उन्होंने हमें उन्हें कहीं और ले जाने के लिए कह दिया. हम गरीब हैं, हम कहां जाएं?
द क्विंट से शमा परवीन
Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

एक अन्य महिला, *रुकसाना कथित पुलिसिया कार्रवाई को याद कर रोती हैं. 

फोटो: उमर अल्ताफ

0

उसी शाम रुखसाना* के पति रहीम* को भी हिरासत में ले लिया गया. रुकसाना के अनुसार पुलिस ने कहा कि 8 फरवरी को हुई पत्थरबाजी के लिए उसका पति जिम्मेदार है, जबकि वह मौके पर मौजूद ही नहीं था.

रुखसाना ने कहा, "वह बहुत सारे पुलिसकर्मी थे, उन्होंने बाहर कारों और टेम्पो को नुकसान पहुंचाया. उस वक्त मैं और मेरी बेटी कुरान पढ़ रहे थे ."

उन्होंने आगे कहा, "उन्होंने मेरे पति को बाहर बुलाया. बिस्तर बाहर फेंक दिया और उन्हें इतना पीटा कि उनका पैर टूट गया. उन्होंने उन्हें सड़क पर ही छोड़ दिया. उन्होंने हमें भी मारा."

'भाई आईसीयू में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है'

पुलिस ने कहा है कि हिंसा में कम से कम छह लोग की मारे गए हैं. जबकि कई ऐसे अन्य स्थानीय लोग भी हैं जिनको गोली लगी है और वह अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं.

उनमें से एक हैं 30 वर्षीय मोहम्मद शाहनवाज. शाहनवाज हल्दवानी के एक दर्जी हैं.

उनके भाई मोहम्मद सरफराज ने द क्विंट को बताया, "फायरिंग में उनके सीने में गोली लगी और वह आर-पार हो गई. दूसरी रबर की गोली उनके कंधे पर लगी जिससे कंधा टूट गया है. अब उनकी हालत काफी गंभीर है और आईसीयू में गए उन्हें 3 दिन से ज्यादा हो गए हैं."

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

आईसीयू में इलाज के दौरान मोहम्मद शाहनवाज

(फोटो- क्विंट हिंदी द्वारा एक्सेस किया गया)

सरफराज ने आरोप लगाया कि 8 फरवरी की हिंसा बनभूलपुरा के गांधी नगर में कुछ उपद्रवियों ने रची थी. उन्होंने कहा कि घटना में मुसलमानों को फंसाया गया है और जांच पूरी होने के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी.

अपने बात को साबित करने के लिए सरफराज ने कहा, "उदाहरण के लिए, अगर यहां कुल 100 आदमी हैं, तो उनमें से 20 उस समय वहां थे और 80 अपने काम पर थे. तो फिर अचानक से इतनी भीड़ कैसे आ गई? मैं खुद नहीं जानता. उस दिन, रोजा का समय था. क्योंकि अगले दिन, हम शब-ए-मिराज मनाते हैं.''

'उन्होंने मेरे बेटे का सिर फोड़ दिया'

10 फरवरी को पुलिस ने कथित तौर पर आयशा के 23 वर्षीय बेटे अर्सलान को गिरफ्तार किया. अर्सलान फर्नीचर बिजनेस में है. आयशा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके बेटे को इतना पीटा कि उसका सिर फट गया.

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

आयशा अपने पड़ोसियों को अपने बेटे अर्सलान की गिरफ्तारी की जानकारी दे रही हैं.

फोटो: उमर अल्ताफ

ADVERTISEMENTREMOVE AD
आयशा ने कहा, " हम चार दिन से भूखे हैं. कोई कभी हमें चाय दे दे रहा है तो कभी कोई थोड़ा खाना खिला रहा है. अर्सलान के पिता की तबीयत भी ठीक नहीं है. इसलिए घर पर स्थिति बहुत खराब है. हम डर के कारण अपने घर में बंद हैं, क्या करें? छोड़ दें?". 

क्विंट ने एसएसपी मीना और उनके पीआरओ दिनेश जोशी से संपर्क किया है, जवाब मिलने पर खबर को अपडेट किया जाएगा.

हालांकि, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने स्क्रॉल को बताया कि "बिना सबूत के किसी के खिलाफ कार्रवाई करने का उनका कोई इरादा नहीं है."

इसी तरह के एक मामले में, 38 वर्षीय मोहम्मद अजीज पुलिस द्वारा अपनी टीवी तोड़ दिए जाने का आरोप लगाते हैं. मोहम्मद अजीज ने क्विंट को कहा, "हम अपने घरों में थे, पुलिस अंदर घुस गई और सबकुछ तोड़ने लगी. उन्होंने मेरी पत्नी और बच्चों को भी पीटा. वह बड़ी संख्या में थे जिसमें कोई महिला पुलिस नहीं थी. वह मेरे बच्चे को भी ले जाने की कोशिश कर रहे थे."

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

मोहम्मद अजीज ने अपने घर पर कथित पुलिस छापे के बारे में बताया

फोटो: उमर अल्ताफ

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इन सब के बीच एक अन्य स्थानीय निवासी *सबा पुलिस की कथित कार्रवाई के बाद से सदमे में हैं. वह अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

सबा ने कहा, "केवल हमें ही सजा क्यों दी जाती है? केवल मुसलमानों को ही क्यों? हम भी इसी देश के हैं, इसी देश में जन्मे और पले-बढ़े हैं. फिर हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता है?

हिंसा और पुलिस की कार्रवाई ने कई स्थानीय लोगों को कथित तौर पर इलाके में अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है.

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

हिंसा के बाद से कुछ मुसलमानों को इलाका छोड़ते देखा गया.

फोटो: उमर अल्ताफ

क्विंट ने कोर्ट के उस आदेश को भी देखा, जिसमें कहा गया था कि मदरसा और मजार गिराने के मामले में 14 फरवरी को एक और सुनवाई होगी. हालांकि, सुनवाई की तारीख से 6 दिन पहले ही मदरसा और मजार को ध्वस्त कर दिया गया था.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 12 फरवरी को कहा कि, "जहां उत्तराखंड के हलद्वानी में एक मस्जिद और एक मदरसे को ध्वस्त किया गया है, सरकार उस जमीन पर एक पुलिस स्टेशन बनाएगी"

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

हलद्वानी के स्थानीय लोगों द्वारा दायर याचिका


फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया

उत्तराखंड हाई कोर्ट के वकील अहरार बेग ने भी बताया कि, नगर निगम ने पहले ही 2009 और 2021 की नजूल नीति के आधार पर क्षेत्र खाली करने का नोटिस जारी किया था.

"3 जनवरी को, नगर निगम के अधिकारी ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू करना चाहते थे. पर उस वक्त इसे ध्वस्त करने के बजाय, उन्होंने जगह को सील कर दिया. मदरसा और नमाज क्षेत्र पर ताला लगा दिया."
- वकील अहरार बेग

वकील अहरार बेग ने आगे बताया कि, "विवादित स्थान पर ताला लगाने के बाद अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. फिर 8 फरवरी को इस पर सुनवाई हुई और अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की गई. लेकिन मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया गया था."

Haldwani Violence: "मेरी 12 साल की बेटी चिल्लाती रही कि मेरे पापा को मत मारो, लेकिन फिर भी वे पीटते रहे."

हिंसा वाले दिन कई कारें क्षतिग्रस्त हो गईं.

फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया

(*पहचान गुप्त रखने के लिए नाम बदले गए है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×