NH-44 पर चल रहे किसानों की नाकेबंदी के संबंध में एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने से ठीक छह दिन पहले, हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने मंगलवार को किसानों के साथ बातचीत शुरू की.
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर बुधवार को इस मामले से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, कि चल रही हलचल कुछ और नहीं बल्कि 'गदर' (विद्रोह) थी जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा हवा दी जा रही है.
सोनीपत जिला प्रशासन का किसानों से आग्रह
सोनीपत जिला प्रशासन ने मंगलवार को किसान संघ के नेताओं के साथ बैठक की और उनसे सिंघू-कुंडली सीमा पर एनएच-44 के हिस्से को खाली करने का आग्रह किया.
NH-44 पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के संबंध में रिट याचिका और सुप्रीम कोर्ट के 23 अगस्त के आदेश का हवाला देते हुए, सोनीपत के डिप्टी कमिश्नर ने किसान संघ के नेताओं से आग्रह किया कि वे या तो राजमार्ग के एक तरफ चले जाएं या किसी अन्य वैकल्पिक साइट पर चले जाएं.
किसानों द्वारा की गई नाकेबंदी के संबंध में दायर याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 20 सितंबर को होनी है.
23 अगस्त को अदालत ने कहा था कि ये अच्छी बात है कि समाधान भारत संघ और संबंधित राज्य सरकारों के हाथों में है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यदि विरोध जारी है, तो कम से कम अंतर-राज्यीय सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों को किसी भी तरह से अवरुद्ध न किया जाए, ताकि उन सड़कों पर आने-जाने वालों असुविधा न हो.
सोनीपत के उपायुक्त ललित सिवाच ने कहा कि मंगलवार को किसान संघ के नेताओं के साथ बैठक की गई. जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहे. प्रदर्शनकारी किसानों को मोनिका अग्रवाल द्वारा दायर रिट याचिका के बारे में सूचित किया गया.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को आदेश दिया था कि NH-44 पर कुंडली-सिंघू सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान सड़क के एक तरफ शिफ्ट हो जाएं. अब उम्मीद है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित निर्देशों का पालन करेंगे.
किसान आंदोलन के कारण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के द्वारा एनएच-44 का निर्माण कार्य भी काफी दिनों से रुका हुआ है, जिससे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अगर किसान यहां से कहीं और शिफ्ट होते हैं और निर्माण कार्य फिर से शुरू होता है तो यह यात्रियों के लिए बहुत मददगार साबित होगा.ललित सिवाच, उपायुक्त, सोनीपत
राज्य सरकार के द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि उपायुक्त के अनुरोध पर किसान प्रतिनिधियों ने इस मामले में सकारात्मक जवाब देने का आश्वासन दिया है.
एक अन्य प्रेस रिलीज सोनीपत जिला प्रशासन द्वारा उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद जारी की गई थी. उसमें कहा गया है कि बैठक में शामिल होने वाले किसान संघ के नेताओं ने कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से इस मामले पर चर्चा करेंगे. किसान नेताओं के एक वर्ग ने यह भी बताया कि समस्या यह थी कि दिल्ली ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर उनके प्रवेश को रोक दिया था और एक दीवार भी खड़ी कर दी थी.
हालांकि, विज ने इस मामले पर अमरिंदर सिंह पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि पंजाब के मुख्यमंत्री अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आंदोलन को जीवित रखना चाहते हैं.
इसे आंदोलन नहीं कहा जा सकता. आप इसे 'गदर' कह सकते हैं, या इसके लिए कोई अन्य शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है. आंदोलन में लोग तलवारें लेकर नहीं आते हैं. वे लाठी से नहीं मारते और वे सड़कों को अवरुद्ध नहीं करते हैं. एक आंदोलन में लोग धरने पर बैठते हैं और भूख हड़ताल करते हैं.अनिल विज, गृहमंत्री, हरियाणा
विज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, “यह आश्चर्य की बात नहीं है कि विज किसान आंदोलन को गदर कहते हैं. 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के लिए ब्रिटिश औपनिवेशिक आकाओं द्वारा इसी अभिव्यक्ति का इस्तेमाल किया गया था. यह सरकार किसानों को उसी नजर से देखती है जिसके साथ औपनिवेशिक स्वामी भारतीयों को देखते थे, उन्हें आधा बच्चा या आधा शैतान कहते थे. अब समय आ गया है कि उन्हें इस बात का एहसास हो कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)