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Haryana Result: हरियाणा में बीजेपी को नुकसान, कांग्रेस के हित में रहे कौन से मुद्दे?

Haryana Lok Sabha Election Results 2024: हरियाणा में किसानों का बड़ा तबका बीजेपी से नाराज चल रहा है.

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Haryana Lok Sabha Election Results 2024: हरियाणा लोकसभा चुनावों के अब तक के नतीजों से साफ हो गया है कि इस बार बीजेपी अपना जादू कायम नहीं कर सकी. इस बार कांग्रेस को हरियाणा की 10 सीटों में से 5 सीटें मिली हैं जबकि बीजेपी को भी 5 मिली हैं. हालांकि इस बार बीजेपी को पिछले चुनाव के मुकाबले 5 सीटें कम मिली है.

इस आर्टिकल में जानेंगे कि हरियाणा चुनाव में ऐसे क्या फैक्टर रहे जिसकी वजह से बीजेपी को झटका लगा और इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली लेकिन इससे पहले नतीजों पर एक नजर डालते हैं.

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  • अंबाला- वरुण चौधरी (कांग्रेस) 49 हजार की अंतर से जीते

  • भिवानी-महेंद्रगढ़- धर्मवीर सिंह (बीजेपी) 41 हजार वोट की अंतर से जीते

  • फरीदाबाद- कृष्ण पाल सिंह- (बीजेपी) 1 लाख 72 हजार की अंतर से जीते

  • गुड़गांव- राव इंद्रजीत सिंह- (बीजेपी) 75 हजार की अंतर से जीते

  • हिसार- जय प्रकाश- (कांग्रेस) 63 हजार की अंतर से जीते

  • करनाल- मनोहर लाल (बीजेपी) 2 लाख 32 हजार की अंतर से जीते

  • कुरुक्षेत्र- नवीन जिंदल (बीजेपी) 29 हजार की अंतर से जीते

  • रोहतक- दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस) 3 लाख 45 हजार की अंतर से जीते

  • सिरसा- कुमारी शैलजा (कांग्रेस) 2 लाख 68 हजार की अंतर से जीतीं

  • सोनीपत- सतपाल ब्रह्मचारी (कांग्रेस)- 21 हजार वोट की अंतर से जीते

बड़े अंतर से जीतने वाले कांग्रेस उम्मीदवार

हरियाणा में सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले दो उम्मीदवार हैं. दोनों कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक सीट से 3.45 लाख वोटों जीत हासिल की है. वहीं सिरसा से कुमारी शैलजा 2.68 लाख वोटों से जीतीं.

हालांकि कांग्रेस नेताओं के अलावा हरियाणा के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने भी 2 लाख 32 हजार वोटों से चुनाव जीते हैं.

बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा लेकिन सीटें कम

साल 2019 के चुनाव में हरियाणा में बीजेपी का वोट शेयर 38.4 प्रतिशत था जबकि तब कांग्रेस का वोट शेयर 28.5 प्रतिशत था. अब अगर 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखें बीजेपी का वोट शेयर 2019 के मुकाबले ज्यादा है.

2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे में बीजेपी का वोट शेयर 46.11 प्रतिशत है यानी पिछले चुनाव से करीब 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. दूसरी तरफ कांग्रेस के वोट शेयर में भी इजाफा हुआ है, कांग्रेस को 43.67 प्रतिशत वोट शेयर मिला है.

बीजेपी से कहां चूक हुई?

देश भर में बीजेपी को एग्जिट पोल्स के अनुमानों से कम सीटें मिली हैं. हरियाणा में बीजेपी को एग्जिट पोल्स में 8 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन नतीजे इससे बिल्कुल जुदा हैं. बीजेपी पिछले 2 लोकसभा चुनावों में हरियाणा में सबसे ज्यादा सीटों पर कब्जा करती रही हैं लेकिन इस बार मुकाबला ड्रा रहा यानी बीजेपी के हिस्से आधी सीटें ही आ पाई.

लेकिन बीजेपी के लिए ऐसी स्थिति आई क्यों?

बीजेपी की सीटों का नुकसान और कांग्रेस के फायदे के पीछे अलग-अलग लोकसभा सीटों पर अलग-अलग मुद्दे हैं.

हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि चुनाव से ठीक पहले राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने बीजेपी के लिए बैकफायर कर गई. इससे जनता में एक संदेश गया कि चुनाव नजदीक आने पर बीजेपी सीएम बदल कर नाराज जनता को साथ लाना चाहती है.

इसके अलावा पार्टी अंदरूनी राजनीति की वजह से भी बीजेपी को नुकसान होता दिखा है. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के बाद अनिल विज को दूसरे नंबर का नेता माना जाता है. लेकिन मनोहर लाल खट्टर के सीएम पद छोड़ने के बाद पार्टी ने नायब सिंह सैनी को नेता बनाया. जब नायब सिंह सैनी सीएम बने तब शपथ ग्रहण में अनिज विज नदारद दिखे थे.

हालांकि पार्टी ने ओबीसी नेता को सीएम बना कर सीएम बना कर महंगाई और बेरोजगारी से नाराज ओबीसी समुदाय को साधना चाहती थी लेकिन पार्टी इसमें भी नाकामयाब दिखी.

अग्निवीर योजना का खामियाजा?

हरियाणा के युवाओं में अग्निवीर योजना को लेकर काफी वक्त से रोष था. राज्य में बड़ी संख्या में युवा डिफेंस सेवाओं के तैयारी करते हैं. अग्निवीर योजना को लेकर पूरे देश में कई जगहों पर गुस्सा था. इसमें हरियाणा भी शामिल था. हरियाणा में भी अग्निवीर योजना को लेकर काफी बवाल मचा था. इसके बाद राज्य के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने युवाओं से कहा था कि चार साल के बाद अग्निवीर के 75 प्रतिशत युवाओं को राज्य सरकार की नौकरियों में प्राथमिकता देंगे.

हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी

बीजेपी को कम से कम पांच सीटों का नुकसान ऐसे समय में हुआ है जब कृषि संकट और नौकरियों की भारी कमी की वजह से बीजेपी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर अंसतोष की खबरें हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, हरियाणा में जनवरी 2023 तक भारत में सबसे अधिक बेरोजगारी 37.4 प्रतिशत है.

चुनावों के दौरान, द क्विंट ने ग्राउंड पर जाकर श्रमिकों से बात की थी जिन्होंने दावा किया कि उन्हें मनरेगा नौकरी गारंटी योजना के तहत एक दिन का भी काम नहीं मिला है.

यह ध्यान रखना अहम है कि हरियाणा में जाट की आबादी 27 प्रतिशत हैं और राज्य में एक प्रमुख समुदाय हैं. हरियाणा में बड़ी संख्या में जाट कृषि में से जुड़े हैं.

हालांकि, गैर-जाट समुदाय भी बेरोजगारी और महंगाई से चुनावों में अहम मुद्दे के तौर पर देखते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इन मुद्दे पर वोटर्स नाराज दिखे. नतीजतन, इससे ओबीसी, दलितों और सामान्य वर्ग में भी असंतोष पैदा हुआ.

किसानों, पहलवानों के मुद्दे ने बीजेपी को डेंट दिया?

हरियाणा में किसानों का बड़ा तबका बीजेपी से नाराज चल रहा है. किसानों के प्रदर्शन और कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बेटे को यूपी में टिकट दिये जाने पर हरियाणा की बड़ी आबादी बीजेपी से खफा थी.

पुरानी पेंशन योजना को लेकर कांग्रेस पर भरोसा

हरियाणा में पुरानी पेंशन योजना को लेकर लंबे वक्त से मांग चल रही हैं. बीजेपी ने पहले ही पुरानी पेंशन योजना को लागू करने से इनकार दिया था. गौरतलब है कि हरियाणा में 2.70 लाख सरकारी कर्मचारी हैं.

बीजेपी के इनकार के बाद कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा था, "कांग्रेस की सरकार बनते ही प्रदेश में ओपीएस की बहाली की जाएगी. हिमाचल और छत्तीसगढ़ सरकारें ऐसा कर चुकी हैं, प्रदेश सरकार मामले को लटकाने के लिए इसे केंद्र का मामला बता रही है. न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के साथ धोखा है और इससे उनका आर्थिक नुकसान हो रहा है."

एक वजह ये भी है कि कांग्रेस के आश्वासन को लेकर राज्य की एक बड़ी आबादी ने कांग्रेस पर भरोसा जताया है और इस वजह से भी कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है.

2014, 2019 में बीजेपी का प्रदर्शन

साल 2019 में हरियाणा में एनडीए ने सभी 10 सीटें जीत ली थी. इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 38.4 प्रतिशत था. वहीं यूपीए का वोट शेयर 28.5 प्रतिशत था. अगर हम साल 2014 लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में हरियाणा ने 7 सीटें जीती थी. वहीं यूपीए ने सिर्फ एक सीटें जीतीं थी. बाकी की 2 सीटें इंडियन नेशनल लोकदल ने जीती थीं.

इस बार जेजेपी और इंडियन नेशनल लोकदल का वोट शेयर काफी कम गया है.

हरियाणा लोकसभा चुनाव 2024 में जेजेपी को 0.87 प्रतिशत वोट मिला. ये आंकड़ा नोटा वोट प्रतिशत के काफी करीब है. वहीं इंडियन नेशनल लोकदल को 1.74 प्रतिशत वोट शेयर मिला है.

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