दिल्ली हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. लोगों की जान के साथ उनकी जिंदगी की सारी कमाई भी लूट गई है. हिंसा के बीच दिल्ली के अशोक नगर में दोनों धर्मों के लोगों की बीच एकता की मिसाल नजर आई. इलाके के लोग हिंसा पर गम जताते हुए कहते हैं कि हमारे लिए हिंदू-मुसलमान कुछ नहीं है, हम लोग यहां कई सालों से यहां रह रहे हैं, हमारे कॉलोनी में कभी कोई किसी के साथ भेदभाव नहीं करता.
इलाके के हिंदू लोग भी यही कहते हैं कि कोई हमें आकर मार भी दे तो भी हम अपने मुसलमान भाईयों का साथ नहीं छोड़ेंगे. लोग उस दिन का जिक्र करते हुए बताते हैं कि सैकड़ों की तादाद में उस दिन लोग आए और हम पर टूट पड़े, वो सारे लोग बाहरी थे.
अशोक नगर में एक मस्जिद के सामने रहने वाले जिंतेंद्र कुमार कहते हैं-
उस दिन कई लोग एक साथ भीड़ में आए, मैंने उन लोगों को मना किया कि ये इंसानियत के खिलाफ है. ये सब मत करो, लेकिन वो लोग मुझे भी मारने पर उतर आए, मैंने कहा कि जो लोग हमारे साथ रह रहे हैं उन पर आंच नहीं आनी चाहिए, लेकिन वो नहीं माने. मुझे जान बचाकर भागना पड़ा, उसके बाद उन लोगों ने मस्जिद पर हमला कि.
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में 23 फरवरी को हिंसा भड़की और 25 फरवरी को हिंसा की आग की लपटें अशोक नगर तक जा पहुंचीं, जहां 2 मस्जिद और 8 दुकानें जला दी गईं. वहीं कई घरों को भी जला दिया गया. इलाके के लोग अपील करते हैं कि हम लोग मिलकर रहें और धर्म के नाम पर भेदभाव ना करें.
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