दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के छात्रों ने संस्थान प्रशासन की ओर से लिखित सर्कुलर दिए जाने के बाद अपने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को वापस लेने का फैसला किया है. वे तीन दिसंबर से आंदोलन कर रहे थे. इससे पहले सोमवार को छात्रों ने आईआईएमसी प्रशासन को कार्यकारी परिषद की एक आपात बैठक बुलाकर मुद्दे को उठाने की चेतावनी देते हुए कहा था कि वे अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे.
इस चेतावनी के बाद प्रशासन ने छात्र प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाई और एक लिखित सर्कुलर दिया, जिसमें उन्होंने छात्रों की मांगों को पूरा करने की सहमति जताई.
“प्रशासन ने हमारी मांगों की समीक्षा करने का भरोसा दिया है. आईआईएमसी की कार्यकारी परिषद जनवरी में छात्रों की मांगों की समीक्षा करने के लिए एक बैठक आयोजित करेगी, इस वजह से हमने अब हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है.”- राहुल यादव, छात्र, आईआईएमसी
क्या है छात्रों की मांग?
छात्रों का कहना है कि IIMC सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त सोसायटी है. छात्रों का आरोप है कि सरकारी संस्थान “नो प्रॉफिट नो लॉस” आधार पर चलने वाले हैं, जबकि आईआईएमसी में फीस साल दर साल बढ़ाई जा रही है. पिछले तीन सालों में ये फीस तकरीबन 50 फीसदी तक बढ़ा दी गई है.
साल 1965 में स्थापित IIMC को देश का सर्वश्रेष्ठ मीडिया संस्थान माना जाता है. यहां से देश के कई जाने-माने पत्रकार पढ़कर निकले हैं.
कितनी बढ़ी फीस
IIMC ने इस साल रेडियो और टीवी कोर्स की फीस 1.68 लाख रुपये कर दी है, जो पिछले साल 1.45 लाख रुपये थी. वहीं उर्दू पत्रकारिता की फीस 55 हजार रुपये हो गई है. 2015 में जब इस कोर्स की शुरुआत हुई थी, तब फीस कुल 15 हजार रुपये थी. इसके अलावा, लड़कियों के लिए लगभग हॉस्टल और मेस की फीस 6500 रु. और लड़कों से एक कमरे का चार्ज 5250 रुपये की फीस हर महीने ली जाती है. साथ ही मेस चार्ज भी अलग से. हालांकि हॉस्टल में जगह की कमी की वजह से कई छात्रों को बाहर रहना पड़ता है.
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