अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी-नाटो सेना की वापसी और बढ़ते तालिबानी नियंत्रण और हमले के बीच भारत ने अपने लोगों को वहां से बाहर निकालने के लिए ‘स्पेशल फ्लाइट’ का इंतजाम किया है. ये फ्लाइट मंगलवार 10 अगस्त को अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर,मजार-ए-शरीफ से उड़ान भरेगी.
मजार-ए-शरीफ में मौजूद भारतीय वाणिज्य दूतावास ने ट्वीट करते हुए कहा कि,
"एक स्पेशल फ्लाइट मजार-ए-शरीफ से नई दिल्ली के लिए रवाना हो रही है. मजार-ए-शरीफ और उसके आसपास के किसी भी भारतीय नागरिक से अनुरोध है कि वो आज देर शाम उड़ान भरने वाली स्पेशल फ्लाइट से भारत के लिए रवाना हों."
इसके साथ-साथ उन्होंने उन भारतीय नागरिकों से अपना पूरा नाम और पासपोर्ट नंबर जैसे डीटेल तुरंत वाणिज्य दूतावास में जमा करने को कहा है जो इस स्पेशल फ्लाइट से जाना चाहते हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 1,500 भारतीय अफगानिस्तान में रह रहे हैं.
पिछले महीने भी भारत ने कंधार में अपने वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 डिप्लोमैट और सुरक्षा कर्मियों को शहर के चारों ओर अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच तीव्र संघर्ष के बाद बाहर निकाल लिया था.
भारत का मजार-ए-शरीफ से अपने नागरिकों को निकालने का सबसे बड़ा कारण है कि तालिबान ने 9 अगस्त को कहा कि उसने मजार-ए-शरीफ पर अपनी नजर अब जमा दी है और कभी भी उसको अपने नियंत्रण में ले सकते हैं. मजार-ए-शरीफ अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में सबसे बड़ा शहर है और उत्तर ने सरकार के नियंत्रण के लिए इस शहर को सबसे अहम माना जाता है.
तालिबान लड़ाकों के एक प्रवक्ता ने सोशल मीडिया पर घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने शहर पर चौतरफा हमला किया है. गौरतलब है कि तालिबान ने पहले से ही इस शहर के पश्चिम में शेबर्गन, पूर्व में कुंदुज और तालोकान पर कब्जा कर लिया है.
पिछले कुछ महीनों से लगातार बिगड़ रहे हैं हालात
अफगानिस्तान में सरकार और तालिबानी लड़कों के बीच लंबे समय से चल रहा संघर्ष मई के बाद से नाटकीय ढंग से हिंसक हो गया है, जब अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने अपने सैनिक बलों की वापसी शुरू की - यह प्रक्रिया अगस्त महीने के अंत से पहले पूरी होने वाली है.
चूंकि तालिबान ने देश भर के कई जिलों पर नियंत्रण कर लिया है, अमेरिकी खुफिया एजेंसी के रिपोर्ट का दावा है कि अमेरिकी सेना के हटने के महीनों के भीतर देश की नागरिक सरकार आतंकवादी संगठन के अधीन हो सकती है.
इस संघर्ष में भारत एक राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता रहा है जो अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित हो.
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