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भारत-चीन विवाद: सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने पर ‘सहमति’, 5 अपडेट

भारत और चीन के बीच एक और वर्चुअल मीटिंग हुई है

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भारत
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भारत और चीन के बीच सीमा मामलों पर विचार विमर्श और समन्वय के कार्यकारी ढांचे के तहत शुक्रवार, 24 जुलाई को एक वर्चुअल बैठक हुई. इस बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन्होंने (दोनों पक्षों ने) इस बात पर सहमति जताई कि द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के अनुरूप वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों का पूरी तरह से पीछे हटना, भारत चीन सीमा पर तनाव खत्म करना और शांति स्थापित करना द्विपक्षीय संबंधों का पूरा विकास सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.’’

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भारत और चीन के बीच ताजा वर्चुअल डिप्लोमैटिक मीटिंग ऐसे समय में हुई है, जब इस तरह की खबरें आ रही थीं कि पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है. इस बीच दूसरे देशों ने भी भारत-चीन तनाव पर प्रतिक्रिया दी है.

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भारत चीन तनाव के बीच 5 बड़े अपडेट

  1. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शुक्रवार की बैठक के बाद दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि जल्दी से पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आगे के कदम तय करने को वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की एक और बैठक हो सकती है.
  2. भारत सरकार ने चीन समेत उन देशों से सरकारी खरीद पर नियंत्रण लगा दिए हैं जिनकी सीमाएं भारत से लगती हैं. गुरुवार को एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि सरकार ने सामान्य वित्तीय नियम, 2017 को संशोधित किया है, जिससे उन देशों के बिडर्स (बोलीदाताओं) पर नियंत्रण लगाया जा सके, जिनकी सीमा भारत से लगती है. इस बारे में व्यय विभाग के आदेश के तहत भारत की सीमा से लगे देशों का कोई भी बिडर भारत में सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए वस्तुओं , सेवाओं (कंसल्टेंसी और नॉन-कंसल्टेंसी सेवाओं समेत) की आपूर्ति के अनुबंध या परियोजना कार्यों (टर्नकी प्रोजेक्ट्स समेत) के लिए तभी बोली लगा सकेगा, जब वो उचित प्राधिकरण के पास रजिस्टर्ड होगा. हालांकि, बताया यह जा रहा है कि देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है.
  3. चीन ने शुक्रवार को भारत और हॉन्ग कॉन्ग को लेकर ब्रिटेन पर पलटवार किया. भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने ट्वीट कर कहा, ''भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त द्वारा चीन के संबंध में बयान देखे, जो गलतियों और झूठे आरोपों से परिपूर्ण हैं. भारत और चीन के बीच सीमा का मामला द्विपक्षीय दायरे में आता है. हमारे पास मतभेदों से निपटने की क्षमता है. तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.''
  4. इससे पहले भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने कहा था, ''चीन के कदमों की वजह से दुनियाभर में चुनौतियां पैदा हुई हैं. हमारा ध्यान खास तौर पर हॉन्ग कॉन्ग पर है. भारत के लिए खास तौर पर एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर ध्यान है. ये चिंताजनक चीजें हैं.’’ पूर्वी लद्दाख, हॉन्ग कॉन्ग और दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये से जुड़े सवाल पर बार्टन ने कहा था, ‘‘हमारे हितों के खिलाफ देशों की कार्रवाई के सबंध में हम साझा हित वाले लोगों के साथ सहयोग करते हैं.’’
  5. भारत-चीन मामले पर अमेरिका भी कई प्रतिक्रियाएं दे चुका है. भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने हाल ही में कहा था, ‘‘अभी के लिए हम भारत की उत्तरी सीमा पर स्थिति को देख रहे हैं जिसमें चीन ने न केवल पश्चिमी सेक्टर बल्कि मध्य और पूर्व में भी विवाद पैदा किए. इन स्थितियों में हमने अपने भारतीय समकक्षों से करीबी संपर्क बनाए रखा और स्पष्ट तौर पर कहूं तो जबरदस्त सहयोग भी बनाए रखा.’’इससे पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने क्षेत्र में चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियों को ‘‘अस्थिर’’ करने वाला बताया था.

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