ADVERTISEMENTREMOVE AD

"कभी बेजुबानों की आवाज था भारत", UN में गाजा पर वोटिंग नहीं करने पर क्या बोला विपक्ष?

India on UN Resolution: UN में सीजफायर प्रस्ताव पर भारत के वोटिंग नहीं करने पर प्रियंका गांधी, शरद पवार, CPI समेत कई पार्टियों के नेताओं ने नाराजगी जताई है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

इजरायल-हमास (Israel Hamas War) के बीच जारी जंग के 21 दिन बीत चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) में आपातकालीन विशेष सत्र बुलाई गई. जिसमें मानवीय आधार पर संघर्ष विराम का प्रस्ताव पास किया गया. हालांकि, भारत ने वोट नहीं किया. इसको लेकर, अब विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, सीपीआई समेत कई पार्टियों के नेता ने भारत सरकार के इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रियंका गांधी ने महात्मा गांधी के विचार के साथ अपनी बात रखी. उन्होंने लिखा "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है”-महात्मा गांधी. मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान करने से परहेज किया है."

"हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं. वे भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में इसके कार्यों का मार्गदर्शन किया."

प्रियंका गांधी ने आगे कहा "जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नष्ट किया जा रहा है, तो स्टैंड लेने से इंकार करना और चुपचाप देखना गलत है. एक राष्ट्र के रूप में हमारा देश अपने पूरे जीवन काल में उन सभी चीजों के लिए खड़ा रहा है, जिनके लिए हमारा देश खड़ा रहा है."

भ्रम की स्थिति में वर्तमान सरकार-शरद पवार

इजरायल-हमास संघर्ष पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा "फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर भारत सरकार के बीच भ्रम की स्थिति है. भारत की नीति फिलिस्तीन का समर्थन करने की थी, इजरायल का नहीं. (फिलिस्तीन में) हजारों लोग मर रहे हैं और भारत ने कभी भी इसका समर्थन नहीं किया. इसलिए, वर्तमान सरकार भ्रम की स्थिति में है..."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

CPI ने भारत की विदेश नीति पर उठाए सवाल

CPI(M) और सीपीआई ने साझा बयान जारी कर भारत सरकार के इस कदम पर हैरानी जताई है. उन्होंने अपने बयान में कहा "यह चौंकाने वाली बात है कि भारत ने गाजा में चल रहे इजरायली हमले में "नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखने" वाले मानवीय संघर्ष विराम के आह्वान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में वोटिंग नहीं की.""

"भारी बहुमत से अपनाए गए प्रस्ताव पर भारत का अनुपस्थित रहना यह दर्शाता है कि कैसे अमेरिकी के सहयोगी के लिए भारत की विदेश नीति बदल रही है और अमेरिका-इजरायल-भारत गठजोड़ को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ये कदम उठा रही है. यह फिलिस्तीन को भारत के दीर्घकालिक समर्थन को नकारता है."

कितनी शर्म की बात है-योगेंद्र यादव

इसके साथ ही, एक्टिविस्ट और स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने भी भारत के इस कदम पर नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर कहा "कितनी शर्म की बात है! एक समय था जब भारत बेजुबानों की आवाज, पीड़ितों का सहयोगी हुआ करता था. अब हम अपना मुंह दूसरी ओर कर लेते हैं."

उन्होंने आगे लिखा "विश्वगुरु को भूल जाइए, हमने ग्लोबल साउथ के नेता होने के अपने नैतिक दावे को भी खो दिया है."

भारत ने क्यों नहीं की वोटिंग?

इजरायल-फिलिस्तीन संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आपातकालीन विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें जॉर्डन की ओर से सीजफायर के लिए प्रस्ताव पेश किया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, जबकि विरोध में सिर्फ 14 वोट पड़े. ऐसे में इजरायल-हमास में सीजफायर का प्रस्ताव UN में पास हो गया. हालांकि, भारत, ब्रिटेन समेत 45 देशों ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया.

इस प्रस्ताव में हमास के हमले का जिक्र नहीं था. इसको लेकर भारत समेत अन्य देशों ने आपत्ति जताई. इसपर कनाडा ने प्रस्ताव संशोधित कर पास कराने की मांग की लेकिन ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×