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बड़े सूखे की ओर बढ़ रहा है देश,आधे हिस्से में बारिश नहीं 

15 जून तक देश में 70.2 मिमी. बारिश हो जाती थी लेकिन अब तक सिर्फ 39.2 मिमी. ही बारिश हुई है. इससे सूखे का खतरा बढ़ा

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देश बड़े सूखे की ओर बढ़ रहा है. कई राज्यों में सूखे जैसी स्थिति है. मानसून की धीमी रफ्तार से हालात बेहद गंभीर हो गए हैं. जून के पहले पखवाड़े तक बारिश में 43 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. न सिर्फ मानसून की बारिश में देरी हो रही है बल्कि कई राज्यों में ग्राउंड वॉटर में भी कमी हो गई है. आंध्र, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा में अभी मानसून की बारिश शुरू नहीं हुई है. मानसून की बारिश से देश के आधे से अधिक हिस्से के खेतों को पानी मिलता है.

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मानसून की रफ्तार धीमी,वायु ने बिगाड़ी इसकी लय

केरल के तटीय इलाकों से शुरू होने वाली मानसून की बारिश में पहले ही देरी हो चुकी थी. केरल के तटीय इलाकों में ही मानसून देर से यानी 8 जून को पहुंचा. वहां से देश के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ने की भी इसकी रफ्तार धीमी बनी हुई है. अरब सागर से उठे चक्रवात वायु की वजह से भी मानसून की लय बिगड़ गई थी. वायु की वजह से मानसून की हवाओं की नमी खत्म हो गई थी, जिससे बारिश रुक गई. देश के आधे से ज्यादा हिस्से में पानी नहीं बरस रहा है.

मानसून के हिसाब से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ समेत देश के 14 सब-डिवीजनों में 60 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है. जबकि केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 20 फीसदी बारिश की कमी है.

पूरे देश में इस समय तक 70.2 मिमी. बारिश हो जाती थी लेकिन अब तक सिर्फ 39.2 मिमी. ही बारिश हुई है. मानसून की बारिश में देरी तो हुई ही है देश के जलाशयों में भी पानी का स्तर घट रहा है. सेंट्रल वॉटर कमीशन देश के जिन 91 जलाशयों पर निगरानी रखता है उनमें 18 फीसदी तक पानी कम हो गया है.
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47 साल का सबसे बड़ा सूखा झेल रहा है महाराष्ट्र

देश में मानसून से पहले होने वाली बारिश पिछले 60 सालों में सबसे कम दर्ज की गई है. अनाज, गन्ना और फलों का बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र 47 साल का सबसे बड़ा सूखा झेल रहा है. पानी की भारी कमी की वजह से लोगों को घर छोड़ कर राहत शिविरों में रहना पड़ा रहा है. तालाब और कुएं सूख गए हैं और लोगों को थोड़े से पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक राज्य के औरंगाबाद इलाके में छोटे-छोटे बच्चे पानी के लिए पैसेंजर ट्रेन से 14-14 किलोमीटर तक की दूरी तय कर रहे हैं. मराठवाड़े इलाके में सूखे की मार लोगों पर साफ दिख रही है. कुछ इलाकों में दिहाड़ी मजदूरों को 60 रुपये में 200 लीटर पानी खरीदना पड़ रहा है. कई बार चार दिन में एक बार आने वाले पालिका के पानी टैंकरों के महीने का किराया 1200 रुपये तक पहुंच जाता है, जिसे चुकाना उनके लिए मुश्किल होता है.

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सूखे की यह समस्या चुनाव से पहले से ही जारी थी. लेकिन चुनाव के शोर में यह दब गई. चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों ने इसे तवज्जो नहीं दी और न ही मीडिया ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया. अब भी केंद्र सरकार की ओर से सूखे की बढ़ती आशंका को देखते हुए कोई बड़ा बयान नहीं आया है.

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