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भारत-रूस ने AK-203 राइफल डील पर किए साइन, 2031 तक सैन्य सहयोग बढ़ाया

रूसी विदेश मंत्री ने कहा - अमेरिका भारत और रूस के बीच सहयोग को कमजोर करने का प्रयास कर रहा

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भारत और रूस ने सोमवार , 6 दिसंबर की सुबह अपनी पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता (India-Russia 2+2 talks) की शुरुआत करते हुए दो बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से मुलाकात की और दोनों देशों ने उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक संयुक्त उद्यम के तहत लगभग 6 लाख AK-203 राइफलों के निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए. ये सौदा 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है.

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साथ ही इस बैठक में दोनों देशों ने 2021 से 2031 तक, अगले दशक के लिए सैन्य प्रौद्योगिकी सहयोग (Military Technology Cooperation) बढ़ाने के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए.

गौरतलब है कि ये समझौते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक के कुछ घंटे पहले आए हैं.

रूसी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के बाद राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि दोनों नेताओं के बीच "रक्षा सहयोग पर उपयोगी, उत्पादक और पर्याप्त द्विपक्षीय चर्चा" हुई और "भारत रूस के साथ अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को महत्व देता है.. खुशी है कि छोटे हथियारों और सैन्य सहयोग से संबंधित कई समझौतों/कॉन्ट्रैक्ट /प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए.”

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने शनिवार, 4 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में “इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड” नामक एक संयुक्त उद्यम के तहत AK-203 राइफल्स के निर्माण की योजना को मंजूरी दी. इसका गठन एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, मुनिशन इंडिया लिमिटेड और रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट और कलाश्निकोव द्वारा किया गया है.

सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (CCS) ने पिछले हफ्ते इस परियोजना को अपनी मंजूरी दी थी. AK-203 राइफलें तीन दशक से अधिक समय पहले शामिल की गई INSAS राइफल्स की जगह लेंगी.

अमेरिका भारत और रूस के बीच सहयोग को कमजोर करने का प्रयास कर रहा- रूसी विदेश मंत्री

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका भारत और रूस के बीच सहयोग को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है.

लावरोव ने S-400 डिफेंस मिसाइल डील के संबंध में भारत पर अमेरिका द्वारा डाले गए दबाव की आलोचना करते हुए ANI से बात करते हुए कहा कि,

"हमने इस सहयोग को कमजोर करने और भारत को अमेरिकी आदेशों का पालन करने, इस क्षेत्र को कैसे विकसित किया जाना चाहिए के लिए अमेरिकी दृष्टिकोण का पालन करने के लिए अमेरिका की ओर से प्रयासों को देखा"

गौरतलब है कि भारत द्वारा रूस की S-400 उन्नत मिसाइल की खरीद के बाद अमेरिका ने निंदा की थी. इससे पहले अमेरिका ने S-400 मिसाइल डिफेंस की खरीद के लिए काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे.

हालांकि अमेरिका ने भारत पर इस तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन S-400 डील बाइडेन प्रशासन और नई दिल्ली के बीच संबंधों के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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