भारत में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी मीडिया के स्तर में जो गिरावट पिछले कुछ वर्षों से लगातार देखने को मिल रही है वो इस साल भी जारी रही. पत्रकारिता के लिए 2021 कई तरह की चुनौतियों से भरा रहा और इसकी छवि पहले की तुलना में थोड़ा और धूमिल हो गई.
कई पत्रकारों को भारत में सच बोलने और लिखने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्ट्स में भारत में पत्रकारिता की हालत दयनीय ही बनी रही.
पत्रकारों की हत्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2021 में पत्रकारों की हत्या के मामले में दूसरे नंबर पर रहा. इस रिपोर्ट के अनुसार इस साल दुनिया में कुल 45 पत्रकारों की हत्या की गई जिसमें सबसे ज्यादा मेक्सिको में 7 हत्याएं हुई. भारत और अफगानिस्तान 6-6 हत्याओं के साथ दुसरे नंबर पर है.
न्यूयॉर्क के एक संगठन पोलिस प्रोजेक्ट के शोध के अनुसार, भारत में 2019 से लेकर 2021 तक कुल 228 पत्रकारों पर 256 हमले हुए. इसी संख्या से समझा जा सकता है कि भारत में पत्रकारिता कितना चुनौतिपूर्ण काम हो गया है.
180 देशों में 142वां स्थान
प्रेस की स्वतंत्रता के आंकडे़ जारी करने वाली संस्था रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के अनुसार प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2021 में भारत का स्थान 180 देशों की लिस्ट में 142वां है. ये दर्शाता है कि भारत में पत्रकारिता की स्थिती कितनी खराब है. इस सूची में भारत भूटान और नेपाल जैसे अपने पड़ोसियों से काफी नीचे खड़ा है और उन देशों के आसपास खड़ा है जिनमें लोकतंत्र या तो है ही नहीं या नाम मात्र का है.
इस साल हुई इन पत्रकारों की हत्या
सुलभ श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहने वाले टीवी पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव एबीपी न्यूज और इसकी क्षेत्रीय शाखा एबीपी गंगा के लिए काम करते थे. सुलभ ने शराब माफिया पर अपनी रिपोर्ट फाइल की थी. इसके बाद उन्हें जान से मारने की धमकी मिली जिसकी सूचना पुलिस में भी दी. इसके दो दिन बाद एक ईंट भट्टे के पास उन्हें मृत पाया गया. श्रीवास्तव ने अपने पत्र में लिखा,
"मेरे चैनल द्वारा 9 जून को न्यूज पोर्टल पर जिले में शराब माफिया के खिलाफ मेरी एक रिपोर्ट चलाई गई थी. तब से इस रिपोर्ट को लेकर काफी चर्चा है. जब मैं अपना घर छोड़ता हूं तो मुझे लगता है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है ... मैंने अपने स्रोतों से सुना है कि शराब माफिया मेरी रिपोर्टिंग से नाखुश हैं और मुझे नुकसान पहुंचा सकते हैं. मेरा परिवार भी बहुत चिंतित है."
मनीष सिंह
सुदर्शन टीवी के पत्रकार मनीष सिंह लापता होने के तीन दिन बाद 10 अगस्त को बिहार के पूर्वी चंपारण में मृत पाए गए थे. उनका शव मथलोहियार गांव की एक झील से बरामद किया गया था. उस समय, मनीष के पिता संजय सिंह जो कि स्थानीय अखबार अरेराज दर्शन के प्रधान संपादक हैं, ने प्रिंट को बताया था कि उन्हें उन लोगों द्वारा रची गई साजिश का संदेह था, जिनके खिलाफ उन्होंने और उनके बेटे ने पत्रकार के रूप में लिखा था.
संजय ने ये भी कहा कि उन्हें और मनीष को धमकी मिली थी क्योंकि उन्होंने "जिहादी दुश्मन और भ्रष्टाचार" के खिलाफ लिखा था.
चेन्नाकेसावुलु
8 अगस्त को आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में एक निलंबित पुलिसकर्मी और उसके भाई द्वारा कथित तौर पर EV5 के पत्रकार, चेन्नाकेसावुलु की हत्या कर दी गई थी.
पुलिसकर्मी, वेंकट सुब्बैया ने कथित तौर पर पत्रकार के खिलाफ उसके और मटका जुआरी और तंबाकू तस्करों के बीच एक संदिग्ध सांठगांठ को उजागर करने वाली एक समाचार रिपोर्ट के बाद पद से निलंबित कर दिया था.
अविनाश झा
आरटीआई कार्यकर्ता और बीएनएन न्यूज के पत्रकार, अविनाश झा 9 नवंबर को लापता हो गए थे और उनका आंशिक रूप से जला हुआ शरीर तीन दिन बाद बिहार के मधुबनी जिले के बाहरी इलाके में बरामद किया गया था.
पुलिस ने दावा किया कि हत्या के पीछे एक जटिल प्रेम संबंध था और एक महिला, पूर्ण कला देवी और पांच पुरुषों - रोशन कुमार, बिट्टू कुमार, दीपक कुमार, पवन कुमार और मनीष कुमार को गिरफ्तार किया. सभी बेनीपट्टी प्रखंड के रहने वाले हैं. देवी, जो एक नर्स थीं, और रोशन कुमार दोनों अनुराग हेल्थकेयर नामक एक नर्सिंग होम में काम करते थे.
हालांकि, मृतक पत्रकार के भाई, चंद्रशेखर झा ने कहा कि हत्या का असली कारण यह था कि अविनाश झा क्षेत्र में "नकली" चिकित्सा प्रतिष्ठानों को उजागर कर रहे थे, और उनके काम के कारण कई संदिग्ध क्लीनिकों और प्रयोगशालाओं के लिए जुर्माना बंद हो गया था.
रमन कश्यप
साधना टीवी प्लस रिपोर्टर रमन कश्यप अक्टूबर में भड़की लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए थे.
एक विशेष जांच दल (SIT) 3 अक्टूबर की उस घटना की जांच कर रहा है जिसमें BJP नेता और केंद्रिय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर आरोप है कि उन्होंने पत्रकार रमन कश्यप समेत कई किसानों पर जीप चढ़ा दी थी.
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