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Indian Railway Crisis: दिवाली-छठ में घर जाना है तो रेलवे की ये सच्चाई जान लीजिए

साल 2019-20 से लेकर 2023-24 में 1,16,060 मेल और एक्स्प्रेस ट्रेन रेलवे ने कैंसिल किया था.

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भीड़.. लाइन में लोग.. हंगामा.. 

भारत में ट्रेन में सफर करना अंग्रेजी के Suffer करने से कम नहीं है. ऐसे हालात को देखकर ही शायद किसी ने लिखा होगा.. अब तो आदत सी है मुझको ऐसे जीने में..

हमारे यहां कहा जाता है - "ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें.

आप पूछ सकते हैं कि इस छोटी-सी रोजमर्रा की बात में इश्वर को क्यों घसीटा जाता है? दरअसल, इंडियन रेलवे की हालत को देखकर अब समझ आया कि व्यगंयकार शरद जोशी ने ये लाइन क्यों लिखी थी.. ट्रेन में टिकट मिलने से लेकर यात्रा कोई छोटी बात तो है नहीं..

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लेकिन इस वीडियो आर्टिकल में हम छोटी नहीं वो बड़ी बात बताएंगे जो रेलवे के करोड़ों यात्रियों से जुड़ी हैं, छठ से लेकर दीवाली ही नहीं आम दिनों में भी आम आदमी के लिए ट्रेन टिकट से लेकर ट्रेन में सफर करना किसी जंग से कम नहीं है.. फिर आप भी पूछिएगा जनाब ऐसे कैसे?

त्योहार और ट्रेनों की बदइंतजामी

27 अंक्टूबर 2024 को मुंबई का बांद्रा टर्मिनस के प्लेटफॉर्म पर गोरखपुर-बांद्रा एक्सप्रेस आती है. उसमें चढ़ने के लिए यात्रियों के बीच भगदड़ मच गई. इस हादसे में 10 यात्री घायल होते हैं. 2 यात्री गंभीर रूप से घायल हैं.

हर साल की तरह इस साल भी दीवाली, छठ से पहले ट्रेन में टिकट नहीं, स्टेशन पर भीड़, ट्रेनों में बदइंतजामी.. ट्रेन के दरवाजे पर लटकने से लेकर वॉशरूम में ट्रैवेल की कहानी अब इतनी आम हो गई है कि मानो एसी और स्लीपर कोच की तरह वॉशरूम भी कोई क्लास है, जिसका टिकट मिलता है.

सवाल है कि ये भीड़ क्यों है?

  • ट्रेन नंबर 09046, 16 घंटे देर

  • ट्रेन नंबर 02570, 13 घंटे देर

  • ट्रेन नंबर 01027, 7 घंटे देर

  • ट्रेन नंबर 09322, 11 घंटे देर

  • ट्रेन नंबर 09457, 9 घंटे देर

ऐसी दर्जनों ट्रेन देरी से चल रही है. हां, ये अलग बात है कि हम ट्रेन में अगर 3-4 घंटे देरी से पहुंचते हैं तो कहते हैं कि ट्रेन टाइमली ही थी. इतना देर तो होता ही रहता है. जी हां. शास्त्रों में इसे ही नियती मान लेना कहते हैं.. destiny (डेस्टिनी). 

लेकिन क्या ये देरी सिर्फ फेस्टिवल के वक्त होती है? जवाब आंकड़ों से समझते हैं.

आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौर ने रेल मंत्रालय से ट्रेन में देरी को लेकर सवाल पूछा था जिसके जवाब में पता चला कि साल 2022-23 में, 1,42,897 यात्री ट्रेनें देरी से चलीं.. जिससे कुल 1,10,88,191 मिनट बर्बाद हुए.

आप इसे ऐसे समझिए कि एक साल में 5,25,660 मिनट होते हैं. उस हिसाब से, देरी के कारण रेलवे को (सैद्धांतिक रूप से) यात्री ट्रेनों का लगभग 14 साल का नुकसान होता है.. सभी पैसेंजर ट्रेनों में से लगभग 17% देरी से चल रही थीं. 

मतलब ट्रेन लेट सिर्फ फेस्टिवल के वक्त नहीं होता है. ये आम दिनों की भी प्रॉब्लम है.

वक्त और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा

अब आते हैं ट्रेन कैंसिल का हिसाब किताब आपको समझाते हैं. आपका वक्त और पैसा कैसे बर्बाद हो रहा है वो जान लीजिए.

साल 2024 के दीवाली और छठ को छोड़ दें तो भी पिछले साढ़े चार साल यानी साल 2019-20 से लेकर 2023-24 में 1,16,060 मेल और एक्स्प्रेस ट्रेन रेलवे ने कैंसिल किया था.. मतलब हर घंटे करीब 3 ट्रेन कैंसिल हुई.

यहां ये भी समझ लीजिए कि इन ट्रेन को कैंसिल करने के बाद रेलवे की तरफ से यात्रियों को शायद ही कभी कोई दूसरा  विकल्प दिया गया है.. लेकिन रेलवे को फायदा ही हुआ है.. 

मध्य प्रदेश के एक्टिविस्ट विवेक पांडे ने रेल मंत्रालय में एक आरटीआई दायर किया था.

जिसके जवाब में रेल मंत्रालय ने बताया था कि रेलवे को साल 2021, 2022 और 2023 के वेटिंग लिस्ट के कैंसिल्ड टिकटों से कुल 1,229.85 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. इसके अलावा अकेले साल 2024 के जनवरी महीने में कुल 45.86 लाख कैंसिल्ड टिकटों से रेलवे को 43 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है.

एक दूसरे सूचना के अधिकार के जवाब में IRCTC ने बताया था कि 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2023 के बीच, आईआरसीटीसी ने ट्रेनों में 1.45 करोड़ से अधिक यात्रियों की बुकिंग की और टिकट बिक्री से ₹1,034.4 करोड़ की कमाई की. लेकिन 1.44 करोड़ वेटिंग लिस्ट वाले यात्रियों, जिन्हें बर्थ नहीं मिली उनके टिकट अपने आप कैंसिल हो गए और रेलवे को कैंसिलेशन फीस के रूप में 83.85 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई.

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अब अगर आपकी ट्रेन कैंसिल हुई हो और उसके बाद रेलवे ने दूसरी ट्रेन की फैसलिटी दी हो तो हमें बताएं, नहीं दी हो तो वो भी आप बता सकते हैं.. 

हां ये सच है कि रेलवे ने 2024 में दीवाली और छठ को देखते हुए स्पेशल ट्रेन बढ़ाई हैं.. 

  • साल 2022 में 2614

  • 2023 में 6700

  • 2024 में 7100 स्पेशल ट्रेन दी है..

अब कुछ लोग कहेंगे कि देखो सरकार ने तो ट्रेन बढ़ा दिया है. अब उन्हें कौन समझाए कि आबादी भी बढ़ी है. लेकिन यहां असल मसला सिर्फ ट्रेन का होना न होना नहीं है. बल्कि सबसे बड़ी वजहों में से एक है रेलवे ट्रैक की कमी.

एक ही ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेन भी चलती है, और उसी पर मालगाड़ी भी.. फिर आप चाहे कितनी भी स्पेशल ट्रेन चलाने का दावा कर लें, ट्रेन देरी से चलेगी और पहुंचेगी..

ट्रेन में आप कितना सुरक्षित?

अब सवाल रेलवे में सुरक्षा की भी है.. मोदी सरकार इस बात पर पीठ थपथपा रही है कि उनकी सरकार में मनमोहन सिंह की सरकार से कम ट्रेन हादसे हुए.

यूपीए सरकार के 10 साल में 1,711 रेल हादसे हुए थे. जबकि एनडीए के मोदी सरकार में 2014 से मार्च 2023 के बीच 638 हादसे हुए थे. यूपीए सरकार में रेल हादसों में 2,453 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 4,486 लोग घायल हुए थे. वहीं, एनडीए सरकार में मार्च 2023 तक 781 मौतें और 1,543 लोग घायल हुए हैं. जी हां, ये आंकड़े मार्च 2023 के थे.

लेकिन रेल मंत्रालय ने RTI के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 40 रेल दुर्घटनाओं में कुल 313 यात्रियों और चार रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई. मतलब 10 सालों में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से करीब 1100 लोगों की मौत.  

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आप रेलवे से जुड़ी कुछ बड़ी घटनाओं को देखिए:

  • 2 जून 2023 ओडिशा का बालासोर. कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकराती है, फिर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट कोरोमंडल की बोगियों में भिड़ गई. 21 जुलाई 2023 को राज्यसभा में सरकार ने बताया कि इस हादसे में 295 यात्रियों की मौत हुई थी. 

  • आंध्र प्रदेश में 29 अक्टूबर 2023 को दो पैसेंजर ट्रेनों की टक्कर में 14 यात्रियों की मौत हो गई थी. 

  • नई दिल्ली से कामाख्या जा रही नॉर्थ एक्सप्रेस 11 अक्टूबर 2023 को बिहार के बक्सर जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उचर गए.. चार लोगों की मौत हुई थी.

  • कंचनजंगा एक्सप्रेस रेल हादसा: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से करीब 10 किमी दूर दार्जिलिंग जिले में 17 जून 2024 को हादसा हुआ. करीब 10 लोगों की मौत हुई और 60 लोग घायल हुए.

अब ये हादसे क्यों हो रहे हैं इसके कई वजह हैं.. जैसे पुराने होते रेलवे ट्रेक, रेलवे में खाली पड़े नौकरी के पद. 

हादसे की वजह क्या है?

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय ने मार्च में RTI के जवाब में कहा कि भारतीय रेलवे में सुरक्षा श्रेणी के तहत लगभग 10 लाख स्वीकृत पदों में से 1.5 लाख से अधिक खाली हैं. 

सेफ्टी कैटेग्री में ड्राइवर, इंस्पेक्टर, क्रू कंट्रोलर, लोको इंस्ट्रक्टर, स्टेशन मास्टर, पॉइंटमैन, इलेक्ट्रिक सिग्नल मेंटेनर जैसे पोस्ट शामिल हैं. देश भर के सभी रेलवे जोन में ड्राइवरों और सहायक ड्राइवरों दोनों के कुल 1,27,644 स्वीकृत पदों में से 1 मार्च, 2024 तक 18,766 (लगभग 14.7 प्रतिशत) खाली पड़े थे.

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गंदगी का आलम, पूछिए मत

रेलवे की गंदगी पर क्या ही कहा जाए.

ट्रेन से लेकर स्टेशन पर वॉशरूम बिना नाक बंद किए और सांसे रोके शायद ही आप जा पाएं. थर्ड एसी, सेकंड एसी और फर्स्ट एसी कोचों में यात्रा करने वाले यात्रियों को मिलने वाले कंबल महीने में एक बार या अधिक से अधिक दो बार धुलते हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को एक आरटीआई के जवाब में रेल मंत्रालय ने यह बताया है. इस अखबार ने लंबी दूरी की अलग-अलग ट्रेनों के लगभग 20 हाउसकीपिंग कर्मचारियों से बात की, जिनमें से अधिकांश ने कहा कि कंबल महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं. कई लोगों ने कहा कि दाग या बदबू आने पर ही उन्हें अधिक बार धोया जाता है.

तो कुल मिलाकर बात इतनी सी है, फेस्टिवल ही नहीं आम दिनों में भी रेलवे रुक-रुककर चल रही है.. इसे सही बैलेंस गति की जरूरत है, नहीं तो हम पूछेंगे जनाब ऐसे कैसे?

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