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"रॉकेट से अटैक- जान बचाने के लिए सिर्फ डेढ़ मिनट": इजरायल से लौटे भारतीयों की आपबीती

Operation Ajay: सीमा बलसारा ने कहा, "पिछले 4-5 दिनों से वहां की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है."

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Israel Palestine War: "जब रॉकेट आता था तो सायरन बजता था और डेढ़ मिनट के अंदर हमें शेल्टर होम में जाना होता था, मेरी बच्ची बहुत छोटी है, बहुत डर लगता था." ये शब्द हैं स्वाती पटेल के जो ऑपरेशन 'अजय' के तहत इजरायल से भारत लौटी हैं. स्वाति शुक्रवार (13 अक्टूबर) की सुबह नई दिल्ली पहुंची हैं.

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"हम सही टाइम पर इंडिया आ गये"

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर निवासी स्वाती पटेल इजराइल में रहती हैं और उनका कहना है कि वो भारत आकर बहुत खुश हैं. स्वाती पटेल ने ANI से कहा, "हम सही टाइम पर इंडिया आ गये, हम बहुत खुश और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. हमारे परिवार वाले बहुत डर रहे थे,लेकिन वो अब खुश हैं. हम भारत सरकार को बहुत धन्यवाद देते हैं."

"हम सो रहे थे, तभी सायरन बजा"

इजरायल से भारत आई एक महिला ने कहा, "मेरा बेटा अभी केवल 5 महीने का है, हम जिस स्थान पर थे वह सुरक्षित था लेकिन आगे की परिस्थिति और अपने बेटे के लिए हमने भारत आने का फैसला लिया. पहली रात हम सो रहे थे तभी एक सायरन बजा, हम वहां पर पिछले 2 वर्ष से थे हमने ऐसी परिस्थिति पहले कभी नहीं देखी थी. हम शेल्टर में गए, हम 2 घंटे के लिए शेल्टर में रहे. हम अब काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं, मैं भारत सरकार और प्रधानमंत्री का धन्यवाद करती हूं."

दरअसल, ऑपरेशन अजय के तहत पहली चार्टर उड़ान, इजराइल में चल रहे युद्ध के बीच लगभग 212 भारतीय नागरिकों को लेकर, शुक्रवार सुबह दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंची. इजराइल से भारतीय नागरिकों के स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर हवाई अड्डे पर मौजूद.

पिछले 4-5 दिन से स्थिति बहुत खराब

इजराइल से भारत आई सीमा बलसारा ने कहा, "मैं एयर इंडिया की ओर से तेल अवीव में एयरपोर्ट मैनेजर के रूप में कार्यरत थी, मैं वहां पर पिछले 10 महीने से थी, वहां से हमें बाहर निकाला गया. पिछले 4-5 दिनों से वहां की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. हमने उस स्थिति का सामना किया और अब हम यहां हैं. मेरा परिवार भारत में ही रहता है, मैं वहां (तेल अवीव) रह रही थी."

इजराइल से लौटे एक भारतीय नागरिक ने कहा,"यह पहली बार है कि हम वहां इस स्थिति का सामना कर रहे हैं. हमें वापस लाने के लिए हम भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत आभारी हैं. हम जल्द से जल्द शांति की उम्मीद कर रहे हैं ताकि हम जल्द से जल्द काम पर वापस जा सकें."

मैं वहां पर बतौर पोस्ट डॉक्टोरल फेलो के रूप में कार्यरत था, मेरा पत्नी और 4 वर्ष की बेटी भी मेरे साथ हैं. तेल अवीव में स्थित भारतीय दूतावास का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने काफी सहयोग किया. इसके साथ ही सुरक्षित रूप से भारत आने के लिए भारत के विदेश मंत्रालय का धन्यवाद करता हूं. इजरायल की सरकार भी दिन-रात काम कर रही है.
इजरायल से भारत आए मनोज कुमार

"परिवार और दोस्तों को चिंता हो रही थी"

एक अन्य भारतीय नागरिक ने कहा, "इजरायल में युद्ध शुरू होने के बाद हमें भारत से हमारे परिवार और दोस्तों के फोन आने लगे थे, सभी हमारे लिए फिक्रमंद थे. मैं हमारे लिए इस ऑपरेशन के इजरायल से भारत सुरक्षित लाए जाने पर भारत सरकार और भारत के विदेश मंत्रालय का शुक्रिया अदा करता हूं."

वहीं, केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, "हमारी सरकार किसी भी भारतीय को कभी पीछे नहीं छोड़ेगी. हमारी सरकार, प्रधानमंत्री उनकी सुरक्षा के लिए, उन्हें सुरक्षित घर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, विदेश मंत्रालय की टीम, एयर इंडिया की इस उड़ान के चालक दल के आभारी हैं जिन्होंने इसे संभव बनाया, हमारे बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ घर वापस लाया और उनके प्रियजनों के पास वापस पहुंचाया."

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जानकारी के अनुसार, भारतीय नागरिकों की वापसी की सुविधा के लिए उड़ान गुरुवार (12 अक्टूबर) की शाम तेल अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे से रवाना हुई. इसमें 211 वयस्क और एक नवजात बच्चा शामिल है.

युद्ध में अब तक 2,700 से ज्यादा लोगों की मौत

बता दें कि इजराइयल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध पिछले छह दिन से जारी है. इस बीच, इजराइल सेना ने हमास के 3,600 ठिकानों पर हमला किया है. जंग के छठे दिन तक 2,700 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. इनमें 1,300 से ज्यादा इजराइली और 1,400 से ज्यादा फिलिस्तीनी शामिल हैं. इधर, इजराइल ने लोगों से गाजा पट्टी खाली करने को कहा है.

IANS के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने कहा है कि इजरायली हवाई हमलों के परिणामस्वरूप गाजा में मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है. अब तक 338,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

शिन्हुआ ने मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) के हवाले से कहा कि 218,000 से अधिक विस्थापित लोग फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNRWA) द्वारा संचालित स्कूलों में शरण लिए हैं.

कार्यालय ने कहा, 2,500 से अधिक आवास इकाइयां नष्ट हो गई हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं और रहने लायक नहीं रह गई हैं, जबकि लगभग 23,000 इकाइयों को मध्यम से मामूली क्षति हुई है.

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