चंद्रमा के लिए भारत का दूसरा मिशन 'चंद्रयान 2' श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को आधी रात के बाद लॉन्च होगा. इसरो में इससे जुड़ी तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं. इसरो चंद्रमा पर भेजे जाने वाले 3.8 टन वजन वाले अंतरिक्ष यान को अंतिम रूप दे रहा है. लॉन्चिंग के कई हफ्तों बाद यह चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह वह हिस्सा है, जहां आज तक दुनिया का कोई अंतरिक्ष यान नहीं उतरा है.
चंद्रयान मिशन-2 की अहम बातें
- इसरो का यह अब तक का सबसे जटिल मिशन है
- यह 'बाहुबली' यानी GSLV Mk III के जरिये लॉन्च होगा
- चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं
- चंद्रयान 2, 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाएगा.
- LASER रेंजिंग के लिए NASA का उपकरण फ्री में ले जाया जाएगा
- चंद्रयान 2 के लिए सेटेलाइट पर 603 करोड़ और GSLV MK III के लिए 375 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं
- यह यान चंद्रमा के बिल्कुल दक्षिणी हिस्से पर पहुंचेगा
- अभी तक किसी देश ने यह कोशिश नहीं की है
- चंद्रयान 2 पूरी तरह स्वदेशी अभियान है
दस साल में दूसरी बार चांद पर मिशन
दस साल में दूसरी बार भारत चांद पर मिशन भेज रहा है. इसरो के मुताबिक ऑर्बिटर, मिशन के दौरान चांद का चक्कर लगाएगा और फिर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. चंद्रयान-1 2009 में भेजा गया था. हालांकि, उसमें रोवर शामिल नहीं था. चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था. इसरो ने इस चंद्रयान-2 मिशन की कई तस्वीरें जारी की है. इस वजह से इसके बारे में उत्सुकता और रोमांच काफी बढ़ गया है.
लॉन्चिंग के बाद अगले 16 दिनों में चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 बार कक्षा बदलेगा. इसके बाद चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग होगी. इसके बाद रोवर को लैंडर से बाहर निकलने में 4 घंटे लगेंगे. हालांकि चंद्रयान को कई चुनौतियों का भी सामना करना होगा. इसमें सॉफ्ट लैंडिंग और बदलते तापमान से जुड़ी दिक्कतें शामिल हैं.
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