जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस (Jaipur-Mumbai Superfast Express) में 31 जुलाई को कथित तौर पर चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने के एक हफ्ते बाद, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) कांस्टेबल चेतन सिंह पर IPC की चार अतिरिक्त धाराओं के तहत आरोप दर्ज किया गया, जिसमें धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना भी शामिल है.
सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार, 8 अगस्त को द क्विंट को बताया कि...
"यह घटना एक "घृणा अपराध" थी, इसमें 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) सहित आईपीसी की अतिरिक्त धाराएं शामिल हैं."
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह धारा यात्रियों द्वारा शूट किए गए कम से कम 15 वीडियो के आधार पर जोड़ी गई थी, जिन्हें जीआरपी ने सोमवार को एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया था. घटना के कुछ मिनट बाद कथित तौर पर शूट किया गया ट्रेन का एक कथित वीडियो ऑनलाइन सामने आया था जिसमें सिंह को यह कहते हुए देखा गया कि...
"यदि आप भारत में रहना चाहते हैं, तो केवल मोदी, योगी को वोट दें."
आरोपी को कोई मानसिक बीमारी नहीं थी: रेलवे पुलिस
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "जीआरपी ने चेतन सिंह को मुंबई की बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया था. चेतन सिंह किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी का सामना नहीं कर रहे थे. और न ही उनका कोई इलाज चल रहा था."
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच आरोपी के वकीलों ने तर्क दिया कि उसे एंग्जाइटी अटैक आया था और उसने गुस्से में ऐसा किया. सिंह के वकीलों ने कथित तौर पर दावा किया कि उनकी मानसिक स्थिति पिछले एक साल से अधिक समय से स्थिर नहीं है और उनका इलाज चल रहा है. उनके एक सहकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि...
"चेतन को गुस्से की समस्या थी और वह पहले भी छोटी-मोटी बहसों पर अपना आपा खो देता था, लेकिन उन्होंने कभी भी इस स्तर का कोई काम नहीं किया था. किसी ने नहीं सोचा था कि वह किसी को मार सकता है"
अदालत ने आरपीएफ अधिकारी चेतन सिंह की पुलिस हिरासत 11 अगस्त तक बढ़ा दी है.
'घटना एक आतंकवादी हमला था': पीड़ितों के परिजन
द क्विंट ने पिछले हफ्ते ट्रेन गोलीबारी के दो पीड़ितों - हैदराबाद, तेलंगाना के सैयद सैफुद्दीन और जयपुर, राजस्थान के मोहम्मद असगर के परिवार के सदस्यों से बात की थी. सैफुद्दीन के चाचा मोहम्मद वाजिद पाशा ने इस घटना को "आतंकवादी हमला" करार दिया था और आरोप लगाया था कि आरोपी ने गोली मारने से पहले पीड़ित का नाम पूछा था. पाशा ने आरोप लगाया था कि...
"यह वास्तव में एक आतंकवादी हमला है. उनके सेठ (व्यापारी), जो उनके साथ ट्रेन में यात्रा कर रहे थे, उन्होनें कहा है कि आरोपी ने मेरे भतीजे की गोली मारकर हत्या करने से पहले उसका नाम पूछा था"
इस बीच, जब घटना के कुछ मिनट बाद शूट किए गए कथित वीडियो के बारे में पूछा गया, तो असगर के छोटे भाई मोहम्मद जिग्रुल्लाह ने 3 अगस्त को द क्विंट को बताया कि उसने इसे देखा था और इसे देखने के बाद डर गया था. उन्होनें कहा कि...
"आरोपी ने अपने पीड़ितों को चुना और उन्हें गोली मार दी. इतना ही नहीं, वह उन बातों को कहने का भी इंतजार करता रहा जो उसने उन्हें मारने के बाद की. उसे आतंकवादी करार दिया जाना चाहिए और उसके कृत्य के लिए कड़ी सजा दी जानी चाहिए."
आखिर उस दिन क्या हुआ था?
यह घटना महाराष्ट्र के ठाणे में मीरा रोड रेलवे स्टेशन के पास हुई. 33 वर्षीय आरपीएफ अधिकारी ने कथित तौर पर अपने ऑटोमैटिक सर्विस हथियार से 12 राउंड गोलियां चलाईं, जिससे उनके सहयोगी एएसआई टीकाराम मीना और तीन यात्रियों - जिनकी पहचान अब्दुल कादिर, मोहम्मद असगर और सैयद सैफुदीन के रूप में हुई, जिनकी 31 जुलाई की सुबह-सुबह मुंबई जाने वाली ट्रेन में मौत हो गई.
कथित तौर पर घटना के कुछ मिनट बाद शूट किए गए 51 सेकंड के वीडियो में, आरोपी आरपीएफ अधिकारी को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि...
"मीडिया पाकिस्तान से संचालित होता है और वे ही हमें खबरें दिखाते हैं. अगर भारत में रहना है तो सिर्फ मोदी, योगी को वोट दो."
आरोपी को 31 जुलाई को गिरफ्तार किया गया और बोरीवली पुलिस स्टेशन में इंडियन पेनल कोड (IPC) की धारा 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की तीन धाराओं और रेलवे पुलिस अधिनियम की तीन धाराओं के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी.
वरिष्ठ जीआरपी अधिकारी ने कहा कि "आरोपी आरपीएफ अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की अतिरिक्त धाराओं में 363 (अपहरण), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 342 (गलत तरीके से कारावास में डालना) भी शामिल हैं."
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