जम्मू एयरफोर्स स्टेशन (Jammu Air Force Station) के टेक्निकल इलाके में 27 जून की सुबह दो कम तीव्रता वाले विस्फोट हुए थे. सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि विस्फोट ड्रोन के जरिए किए गए हैं. अगर ये सच साबित होता है तो इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि ड्रोन तकनीक आतंकियों की रणनीति में शामिल हो गई है. हालांकि, रिपोर्ट्स हैं कि पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने महीनों पहले इस खतरे के बारे में प्रधानमंत्री को खत लिखा था.
इतना ही नहीं, पिछले साल गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के बनाए हुए एंटी-ड्रोन सिस्टम को VVIP सुरक्षा में लगाया गया था.
जब भारत के पास एंटी-ड्रोन सिस्टम है, सुरक्षा एजेंसियों के पास संभावित ड्रोन हमलों से जुड़े इनपुट हैं, पाकिस्तानी सीमा से लगे राज्य का मुख्यमंत्री हमलों को लेकर चेतावनी दे रहा है, तो कमी कहां रह गई है?
अमरिंदर का खत
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जम्मू हमले से महीनों पहले पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर ड्रोन और UAV के जरिए हथियारों की डिलीवरी को लेकर चेताया था.
पंजाब के टॉप सुरक्षा अधिकारियों ने एक्सप्रेस को बताया कि नवंबर में भेजे गए इस खत में खतरे और इसे रोकने के कदम पर जानकारी दी गई थी. रिपोर्ट का कहना है कि सिंह ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी.
अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो सालों में पंजाब में ड्रोन्स दिखने की 70-80 घटनाएं हो चुकी हैं और कई बार इन्हें मार गिराया गया है. एक्सप्रेस का कहना है कि सीएम के खत के बाद राज्य के इंटेलिजेंस प्रमुखों, पंजाब पुलिस और BSF के बीच उच्च-स्तरीय बैठकें हुई थीं.
अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से सभी स्टेकहोल्डर के साथ बैठक कर ड्रोन खतरे का आकलन करने और इससे निपटने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने संबंधित रणनीति पर चर्चा करने की अपील की थी.
अमरिंदर के खत पर केंद्र सरकार ने क्या एक्शन लिया है, इसकी कोई जानकारी नहीं है. ड्रोन देखे जाने और अब संभावित हमले से साफ है कि पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर अभी तक लगाया नहीं गया है जो ड्रोन को डिटेक्ट कर पाए.
एंटी-ड्रोन सिस्टम का क्या हुआ?
पिछले साल गणतंत्र दिवस और फिर स्वतंत्रता दिवस पर VVIP सुरक्षा के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था. उस समय सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को इनपुट दिया था कि VVIP लोगों पर ड्रोन से हमले होने की आशंका है.
इस सिस्टम को DRDO ने बनाया था. इसकी रेंज तीन किलोमीटर की है. इसका रडार ड्रोन को डिटेक्ट करता है और फ्रीक्वेंसी के जरिए उसे जैम करता है. दूसरे विकल्प में ड्रोन डिटेक्शन के बाद उसे लेजर बीम से निशाना बनाया जाता है.
पिछले एक-दो सालों में पाकिस्तान सीमा से चीन में निर्मित ड्रोन के जरिए हथियार भेजने की कोशिशें होती रही हैं. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई ड्रोन मार भी गिराए हैं. BSF भी ड्रोन हमले को लेकर चेतावनी दे चुका है.
मार्च 2021 में अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (ADSTL) ने केंद्र सरकार से कई सरकारी एजेंसियों को काउंटर-ड्रोन सिस्टम दिखाने की इजाजत मांगी थी. इसे सीमा सुरक्षा के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी एरिया में प्राइवेट सेक्टर की पहल के तौर पर देखा गया. DRDO के सिस्टम के बड़े स्तर पर प्रोडक्शन से जुड़ी अभी तक कोई जानकारी नहीं है.
फिर कमी कहां हुई?
ड्रोन के साथ सबसे बड़ा फायदा उसकी कम कीमत और आसानी से टारगेट तक पहुंचने की क्षमता में है. ड्रोन का रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) बहुत कम होता है जिसकी वजह से वो अधिकतर रडार से बच जाता है.
हमला करने के लिए मिलिट्री-ग्रेड के ड्रोन बनाने की जरूरत नहीं होती है. किसी कमर्शियल ड्रोन को भी विस्फोटक भर कर जीपीएस कोआर्डिनेट के जरिए टारगेट तक भेजा जा सकता है.
भारत के एंटी-ड्रोन सिस्टम की तैनाती सीमाओं पर नहीं हुई है. चीन सीमा की निगरानी के लिए भारत 4 Heron ड्रोन इजरायल से लीज पर ले रहा है. साथ ही अमेरिका से 10 MQ-9B प्रिडेटर ड्रोन खरीदने की भी चर्चा है.
पूर्व नौसेना टेस्ट पायलट कैप्टन केपी संजीव कुमार के क्विंट में लिखे एक लेख के मुताबिक ड्रोन हमलों के प्रति संवेदनशीलता की जांच के लिए सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों और पॉइंट्स के एक गंभीर ऑडिट और इसके लिए आवश्यक डिफेंस मैकेनिज्म तैयार करने की आवश्यकता है.
कुमार का कहना है कि 'जमीन पर सैनिकों को उतारने के बजाय टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर निर्भर करने की वकालत ठीक है. लेकिन पहले हमें खतरे को स्पष्ट और वर्तमान रूप में स्वीकार करना चाहिए. हमारे UAV स्कवाड्रनों में विषय के पर्याप्त विशेषज्ञ मौजूद हैं जो ऐसी चेतावनी दे रहे थें. उन्हें गंभीरता से लेने का समय आ गया है.'
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