ADVERTISEMENTREMOVE AD

जम्मू अटैक: ड्रोन हमलों से निपटने के लिए कितना तैयार है भारत?

Jammu Drone Attack: हमलों से निपटने के लिए DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम कितना सक्षम है?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात जम्मू हवाईअड्डे पर वायु सेना के अधिकारक्षेत्र वाले हिस्से में दो धमाके होने से कुछ चिंताजनक सवाल उठ रहे हैं. इन धमाकों को जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने आतंकवादी हमला करार दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
संबंधित अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अहम प्रतिष्ठान को निशाना बनाने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया है.

भारत के लिए कितना बड़ा खतरा है ड्रोन हमला?

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया है, ''पिछले कुछ सालों में, हमने हथियारों और विस्फोटकों को गिराने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल में बढ़ोतरी देखी है. हमने उन्हें, बाद में इस्तेमाल के लिए असेंबल किए गए आईईडी को गिराते हुए भी देखा है. (हालांकि) जम्मू अटैक ऐसा पहला उदाहरण है, जिसमें सीधे तौर पर हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है.''

एयर स्टाफ के पूर्व असिस्टेंट चीफ एयर वाइस मार्शल सुनील नानोडकर (रिटायर्ड) का मानना है कि यह एक गंभीर और खतरनाक घटना है, और भारत में ड्रोन खतरे से निपटने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यह भारत की क्षमता का आकलन करने के लिए दुश्मन की ओर से किया गया एक ट्रायल रन लग रहा है.

नानोडकर ने कहा, ''हमें अपनी निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है, विशेष रूप से छोटे ड्रोन के रडार सिग्नेचर का पता लगाने के लिए, जो बड़ा नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं. सेना को ड्रोन रोधी क्षमता में भी निवेश करने की जरूरत है.''

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर कहां खड़ा है भारत?

भारत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दुश्मन के ड्रोन को निष्क्रिय करने या मार गिराने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किया है. इस सिस्टम की तैनाती पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के दौरान दिल्ली के लालकिले पर की गई थी. यह किसी भी ड्रोन की कमान और नियंत्रण प्रणाली को जाम कर सकता है या लेजर आधारित ऊर्जा अस्त्रों के जरिए किसी भी ड्रोन की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था को नष्ट कर सकता है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस सिस्टम के पास ड्रोन का पता लगाने के लिए रडार क्षमता के साथ दो से तीन किलोमीटर की रेंज होती है.

बात जम्मू हमले को ध्यान में रखकर करें तो न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों का कहना है कि दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती इलाकों में तैनात रडार द्वारा ड्रोन का पता नहीं लगाया जा सकता. ऐसे में उन्होंने संकेत दिया है कि एक अलग रडार प्रणाली लगाई जा सकती है, जो एक पक्षी जितने छोटे ड्रोन का भी पता लगा सके.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि पिछले कुछ सालों से बीएसएफ ड्रोन को निष्क्रिय करने के लिए नवीनतम तकनीक की खरीद के लिए गृह मंत्रालय पर दबाव डाल रहा है - खासकर, जनवरी 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद.

एक बीएसएफ अधिकारी ने कहा, ''निगरानी करने वाले ड्रोन अक्सर दिखते रहते हैं. कभी-कभी तो रोजाना 10-15 बार दिखते हैं. लेकिन वजन ढोने वाले ड्रोन गंभीर खतरा हैं.''

रिपोर्ट में सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत के पास मौजूदा वक्त में “विदेशी ड्रोन से निपटने के लिए कोई उचित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) या घरेलू ड्रोन के संचालन के लिए कोई विस्तृत दिशानिर्देश नहीं हैं.”

एक अधिकारी ने बताया, ''कुछ फोर्स ने ड्रोन निष्क्रिय करने वाली तकनीक खरीदी है, लेकिन वे एरिया-स्पेसिफिक हैं. हम अपनी सीमा के पार एक दीवार चाहते हैं जो रेडियो फ्रीक्वेंसी को काट सके और जीपीएस को निष्क्रिय कर सके.''

इसके आगे उन्होंने कहा, ''मौजूदा वक्त में, ड्रोन को मार गिराने का ही विकल्प है, लेकिन ऐसा करने से ज्यादा ऐसा बोलना आसान है क्योंकि इसके लिए स्नाइपर फायर और ड्रोन का रेंज के अंदर होना जरूरी है. इसके अलावा, ड्रोन को देख पाना, खासकर रात में, आसान नहीं है.''

हालांकि रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया है कि जरूरी तकनीक हासिल करने के लिए "पूरे जोरों" पर काम चल रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×