सरकार ने कश्मीर में ‘हीलिंग टच’ की शुरुआत कर दी है। घाटी में पहली बार पत्थरबाजी में शामिल युवाओं पर दर्ज 4500 केस वापस लिए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर में केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा के सुझाव पर सरकार ने यह कदम उठाया है. दरअसल, इस महीने जब वह घाटी पहुंचे थे तो उनके पास पहली बार पथराव में शामिल युवाओं को माफ करने की तमाम गुजारिशें आई थीं.
अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल जुलाई से अब तक पत्थरबाजों पर 11,500 मामले दर्ज किए गए हैं. हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पिछले साल जुलाई में कश्मीर घाटी में हिंसा भड़क गई थी. इस संबंध में 4500 मामले उन युवकों के विरद्ध दर्ज किये गये जो पहली बार पथराव में शामिल हुए थे.
इस संबंध में शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन इतना कहा, मेरी कोशिश राज्य में चर्चा को शांति की दिशा में मोड़ना है और उसके लिए मुझे युवकों एवं विद्यार्थियों के समर्थन की जरूरत है. अधिकारियों ने बताया कि इस कदम पर प्रतिक्रिया देखने के बाद केंद्र बाकी पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज मामलों की भी राज्य की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के साथ परामर्श करने के बाद समीक्षा करने को इच्छुक है.
केंद्र उन युवकों के पुनर्वास पर भी विचार कर सकता है जो आतंकवादी संगठनों से जुड़ गए हैं लेकिन किसी भी नृशंस अपराध में शामिल नहीं हैं.दिनेश्वर शर्मा, कश्मीर में केंद्र के विशेष प्रतिनिधि
अधिकारियों के अनुसार हाल ही में कश्मीर पर कोर ग्रुप की बैठक में इन सभी मुद्दों चर्चा हुई थी. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की थी और उसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल हुए थे. राज्य सरकर से केंद्र सरकार के सुझावों के अनुसार पहल करने की उम्मीद है.
गृह एवं रक्षा मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी और खुफिया एजेंसियों के प्रमुख भी इस बैठक में शामिल हुए थे.
इनपुट भाषा से
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)