जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर बड़ा आतंकी हमला हुआ है. आतंकियों ने CRPF के काफिले पर IED ब्लास्ट किया. हादसे में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए हैं . हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. 13 दिसंबर, 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले को इसी आतंकी संगठन ने अंजाम दिया था.
मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को हाइजैक करके साल 1999 में आतंकियों ने छुड़ाया था. ये आतंकी संगठन अधिकतर आत्मघाती हमलों को अंजाम देता है. इस बार का हमला भी आत्मघाती हमला है.
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी भी करती है इस आतंकी संगठन की मदद
31 जनवरी, 2000 में आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने इस संगठन को पाकिस्तान के कराची में बनाया था. ये भी कहा जाता है कि पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी ने ISI ने इस संगठन की खूब मदद की. साल 2003 में खबर आई जैश-ए-मोहम्मद के बंटवारे की, जो कथित तौर पर खुद्दाम-उल-इस्लाम और जमात-उल-फुरकान में बंट गया.
पाक में भी इस आतंकी संगठन ने मचाया आतंक
साल 2003 में ही जमात-उल-फुरकान के चीफ अब्दुल जब्बार ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ की हत्या की कोशिश की, जिसमें वह गिरफ्तार हो गया. इसके बाद पाकिस्तान ने नवंबर 2003 में दोनों संगठनों, खुद्दाम-उल-इस्लाम और जमात-उल-फुरकान को बैन कर दिया.
साल 2009 में लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर खौफनाक हमला हुआ था, पूरी दुनिया में पाकिस्तानी सुरक्षा इंतजामों की किरकिरी भी हुई थी. इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने ही ली थी. फरवरी, 2002 में कराची में मारे गए अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या का आरोप भी जैश-ए-मोहम्मद के सिर पर ही है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा की बिल्डिंग के भीतर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने ही बम ब्लास्ट किया था. इस ब्लास्ट में 30 लोग मारे गए थे.
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