केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि राज्यों के समर्थन से केंद्र जल्द ही पांचवीं और आठवीं कक्षा में छात्रों के परीक्षा में फेल होने पर उन्हें उसी कक्षा में रोके जाने की व्यवस्था शुरु करेगा.
उन्होंने कहा, ' 'संसद में पारित किये जाने वाले प्रस्तावित विधेयक में, राज्यों को मार्च में पांचवीं और आठवीं के छात्रों की परीक्षा कराने का अधिकार दिया गया है, इसमें फेल होने पर उन्हें (छात्रों को) मई में परीक्षा में शामिल होने का एक आखिरी मौका दिया जायेगा. ' '
जावड़ेकर ने कहा कि अगर छात्र दोनों प्रयासों में फेल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि 25 राज्य पहले ही इस कदम के लिये अपनी सहमति दे चुके हैं.
उन्होंने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स में 'पूर्वी क्षेत्र में शिक्षा की दिशा में आगे का रास्ता ' विषय पर आयोजित चर्चा में कहा,
हमने सभी (राज्यों के) शिक्षा मंत्रियों के साथ एक संयुक्त बैठक में फैसला लिया कि हम बिना पांचवीं और आठवीं कक्षा पास किये छात्र को नौवीं में जाने की इजाजत नहीं दे सकते. हम राज्यों को शक्तियां देंगे कि वे छात्रों को रोक सकें.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कक्षा एक से आठवीं तक छात्रों को नहीं रोकने की नीति से वे प्रभावित हुये हैं.
शिक्षा राष्ट्रीय एजेंडा है, गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
केंद्रीय मंत्री ने ये भी कहा कि शिक्षा राजनीतिक एजेंडा नहीं है. यह एक राष्ट्रीय एजेंडा है. सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए शिक्षा शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने कहा, जब हम अंतर राज्यीय बैठकें करते हैं तो पश्चिम बंगाल अनुपस्थित रहता है. सभी को इस तरह की बैठकों में हिस्सा लेना चाहिए.
जावड़ेकर ने कहा कि सरकार शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इच्छुक है. उन्होंने कहा, मैंने देशभर के तकरीबन 15,000 बीएड कॉलेजों से हलफनामा मांगा था और उन्हें 15 जुलाई तक की समयसीमा दी थी. उन्होंने बताया कि 10,000-11,000 संस्थानों ने हलफनामा जमा कर दिया है और जिन संस्थानों ने अब तक हलफनामा जमा नहीं किया है, उन्हें संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी. जावडेकर ने कहा है कि अगले दो वर्षों में सभी बच्चों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना हमारा लक्ष्य है और हम इसे समुदायिक मुहिम बनाना चाहते हैं.
(इनपुट भाषा से)
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