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Prayagraj हिंसा का ''मास्टरमाइंड'' जावेद मोहम्मद पिछले कुछ साल क्या करता रहा है?

''कोविड-बाढ़ में लोगों की मदद, अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, प्रशासन कगे साथ मिलकर अमन की कोशिश''

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भारत
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प्रयागराज हिंसा मामले में आरोपी जावेद मोहम्मद (Javed Mohammad) अमन बनाए रखने के लिए काम करते रहे हैं यहां तक कि विरोध प्रदर्शन के दिन भी जावेद मोहम्मद ने लोगों से अमन की अपील की और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा.

"ये शहर हमेशा शांति-प्रिय रहा है. हालात के मद्देनजर, हमें खामोशी से जुमा नमाज पढ़कर अल्लाह से दुआ मांगनी चाहिए अमनो अमान के लिए. सबको कानून के दायरे में रहकर अपनी बात रखने का अधिकार है. मेमोरेंडम बनाएं हम सब मिलकर."

ये लाइनें प्रयागराज से वेलफेयर पार्टी के नेता जावेद मोहम्मद ने शुक्रवार, 10 जून की सुबह 11.28 बजे अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर जो पोस्ट किया था उससे ली गई हैं. यह पोस्ट जुमे की नमाज से बमुश्किल दो घंटे पहले आया, जिसके बाद निलंबित बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) और निष्कासित बीजेपी नेता नवीन जिंदल की पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गया.

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जावेद मोहम्मद को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने उन्हें विरोध प्रदर्शनों के पीछे 'मास्टरमाइंड' बताया है. जिस घर में वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे, उसे अब नगर निगम के अधिकारियों ने तोड़ दिया है. बता दें कि वो स्टूडेंट एक्टिविस्ट अफरीन फातिमा के पिता हैं.

जावेद मोहम्मद कौन हैं ?

साल 1966 में जन्मे जावेद मोहम्मद इलाहाबाद में जमात-ए-इस्लामी के नाजिम-ए-शहर हैं. इसके अलावा वेल्फेयर पार्टी उत्तर प्रदेश यूनिट के वो महासचिव हैं.

वो काला डंडा कब्रिस्तान कमिटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसी जिम्मेदारी के तहत उन्होंने कब्रिस्तान से अतिक्रमण हटाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी. इसमें अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस और अदालतों की मदद लेनी पड़ी. इस वजह से स्थानीय बिल्डरों और उनके गुंडों ने जावेद को कई बार धमकाया. नतीजतन, उनके पुलिस के साथ अच्छे कामकाजी संबंध रहे हैं.

वह सबमर्सिबल पाइप का कारोबार करते थे. जो कुछ साल पहले बंद हो गया था. उनके व्यवसाय के कारण कई स्थानीय लोग उन्हें "जावेद पंप" कहते हैं.

जावेद इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई मामलों में याचिकाकर्ता रह चुके हैं. उदाहरण के लिए, उन्होंने हाल ही में प्रयागराज शहर के बाहरी इलाके में एक मुस्लिम युवक की लिंचिंग के संबंध में एक याचिका दायर की थी.

दूसरी COVID-19 लहर के दौरान, जावेद मोहम्मद ऑक्सीजन मशीनों और सिलेंडरों की व्यवस्था करके लोगों की मदद करने में सक्रिय रूप से शामिल थे. उसी साल उन्होंने प्रयागराज के कुछ हिस्सों में बाढ़ आने पर राहत प्रयासों में भी मदद की. प्रयागराज शहर और चैल तहसील में, वो अक्सर लोगों के इलाज की व्यवस्था करने, अस्पताल के बिलों को संभालने, या उन छात्रों के लिए स्कूल फीस / किताबें खरीदकर मदद करने के लिए जाने जाते हैं, जिनके माता-पिता सक्षम नहीं हैं.
''कोविड-बाढ़ में लोगों की मदद, अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, प्रशासन कगे साथ मिलकर अमन की कोशिश''

प्रयागराज में आई बाढ़ के दौरान राहत सामग्री बांटते जावेद

(फोटो: जावेद मोहम्मद/Facebook)

एक मुखर मुस्लिम जो संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं

जावेद मोहम्मद बाबरी मस्जिद विध्वंस से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में एक महत्वपूर्ण और मुखर मुस्लिम शख्सियत रहे हैं.

हालांकि, जब पहली COVID-19 लहर आई, तो कहा जाता है कि उन्होंने CAA विरोधी प्रदर्शन बंद करने के लिए प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश की थी.

उनके रिश्तेदार मोहम्मद जिया ने मीडिया को बताया कि,

"उन्होंने मंसूर पार्क में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन समाप्त करने में प्रशासन की मदद की. उस समय, कई लोगों ने कहा कि वो समुदाय के खिलाफ जा रहे हैं. लेकिन वो समझ गए कि COVID संकट आने वाला है और हमें अधिकारियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए,"
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जिन लोगों ने जावेद मोहम्मद को करीब से देखा है, वे कहते हैं कि न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता "अटूट" रही है, लेकिन जब भी संभव हो - अदालतों या प्रशासन को ज्ञापनों देकर वो एक बैलेंस बनाने में यकीन करते रहे हैं.

छात्र कार्यकर्ता शरजील उस्मानी, जो फ्रेटरनिटी मूवमेंट में आफरीन फातिमा के साथ रहे हैं, कहते हैं, (फोटो: जावेद मोहम्मद/Facebook)

"उनकी उम्र के कई अन्य धार्मिक नेताओं की तरह, उनका भी मानना था कि हमारे जैसे युवा कभी-कभी अपने भाषणों में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हैं."
''कोविड-बाढ़ में लोगों की मदद, अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, प्रशासन कगे साथ मिलकर अमन की कोशिश''

JNU छात्रा और एक्टिविस्ट बेटी आफरीन के साथ जावेद

(फोटो: जावेद मोहम्मद/Facebook)

समर्थक मानते हैं कि ''पुलिस ने गलत आरोप लगाए''

जावेद मोहम्मद के करीबी और अब उनके वकील एडवोकेट केके राय का कहना है कि वो प्रशासन के बीच हमेशा लोकप्रिय रहे.

राय ने कहा,

"जावेद मोहम्मद शहर की हर अमन समिति का एक प्रमुख हिस्सा थे. वो सभी अधिकारियों के चहेते थे. कब्रिस्तान से लेकर बूचड़खाने तक, उन्होंने प्रशासन के साथ मिलकर काम करके अपने समुदाय के लिए बहुत कुछ किया."

राय आगे बताते हैं, "पुलिस ने रातों-रात उन्हें 'मास्टरमाइंड' बना दिया, भले ही उन्होंने हमेशा जनहित में काम किया हो. "

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव सिराज तालिब का कहना है कि प्रशासन की नाकामियों को छिपाने के लिए जावेद मोहम्मद को फंसाया जा रहा है.

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तालिब ने बताया कि "प्रशासन को जावेद मोहम्मद जैसे लोगों का आभारी होना चाहिए जो शांति की अपील करते रहे. उन्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कानपुर में क्या हुआ और वे हिंसा को रोकने में कैसे फेल रहे. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए, वे जावेद साहब जैसे लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं."

उस्मानी आरोप लगाते हैं कि प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन से काफी पहले ही जावेद मोहम्मद को परेशान करना शुरू कर दिया था.

उस्मानी कहते हैं "विरोध शुरू होने से पहले ही उन्हें पिछले कई दिनों से पुलिस उन्हें जब मर्जी तब बुला लेती थी. ऐसी ही एक बैठक में, अधिकारियों ने उनके पिता का नाम और दूसरी जानकारी मांगी. जावेद ने जब पुलिस से ऐसा करने की वजह जानना चाहा तो पुलिस ने जवाब दिया कि, ‘ शहर के सज्जन लोगों की सूची बना रहे हैं (हम शहर के सभी प्रमुख लोगों की सूची तैयार कर रहे हैं)’.

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