यूपी के प्रयागराज (Prayagraj) में 10 जून को हुई हिंसा के बाद पुलिस ने आरोपी मोहम्मद जावेद के घर पर बुलडोजर चला दिया था. इसके बाद देशभर से इस सरकारी कार्रवाई पर कई सवाल उठे कि आखिर प्रयागराज प्राधिकरण ने किस आधार पर जावेद के घर पर बुलडोजर चलाया? अब प्रशासन की तरफ से उनके घर ढाहने की बात हो रही है. इस बीच जावेद के वकील केके राय इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने क्विंट के साथ बातचीत में बताया कि कैसे प्रशासन जावेद का घर ढहाने की गलती कर रहा है?
क्विंट से बातचीत में जावेद के वकील केके राय ने बताया कि जिस जावेद को आरोपी मानकर प्रशासन उनके घर ढाहने की बात कर रहा है दरअसल, वो घर उनके नाम पर ही नहीं है. वो घर उनकी पत्नी के नाम पर है. हमने इस बात को प्रशासन के सामने रखा लेकिन प्रशासन सुनने के लिए तैयार नहीं थी. इसलिए हमें कोर्ट का रूख करना पड़ा.
केके राय कहते हैं कि जो घर जावेद के नाम पर ही नहीं है उसको प्रशासन कैसे गिरा सकता है? उनका कहना है कि जो उत्तर प्रदेश का साल 1993 का अर्बन प्लानिंग एक्ट है उसमें घर गिराने जैसी बात को बहुत तरजीह नहीं दी गई है. उसमें ये है कि जो व्यक्ति अपनी जमीन पर घर बनाया है और उसका नक्शा पारित नहीं है, तो उस पर जुर्माना और हर्जाना के बाद नक्शा पारित हो जाता है.
उनका कहना है कि 20 साल से आप वहां उनको रहने दे रहे हैं. उनके 4 बच्चे हो जाते हैं. उनके बच्चे वहां पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं और 20 साल बाद आप कह रहे हैं कि वो मकान गैरकानूनी है. ये गैरकानूनी इसलिए नहीं था वो किसी दूसरे की जमान पर घर बनाए थे, या सरकारी जमीन या सड़क पर बनाए थे. गैरकानूनी सिर्फ इसलिए है कि इस मकान का सिर्फ नक्शा पास नहीं थी.
वकील केके राय कहते हैं कि
जो जावेद मोहम्मद घटना और पथराव से एक दिन पहले प्रशासन के साथ चेयर और स्माइल शेयर कर रहे थे, साथ मे फोटो शेयर कर रहे थे, उसको प्रशासन ने कहा कि इन्होंने उकसाया. राय कहते हैं कि जावेद मोहम्मद ने व्हाट्सएप के जरिए जो आखिरी मैसेज लोगों के साथ शेयर किया था उसमें यही लिखा था कि इलाहाबाद में अमन-चैन को कायम रखना हमारी जिम्मेदारी है. नमाज पढ़ने वाले नमाज पढ़कर अपने घरों को जाएं. किसी तरह को कोई जमावड़ा न लगाएं और किसी तरह से समाज में कोई तनाव न पैदा हो पाए.
राय कहते हैं कि जिस व्यक्ति के अपने 30 साल के राजनीतिक करियर में उसके खिलाफ कोई FIR न हो, जिसके खिलाफ कोई मुकदमा न हो, जिनके बच्चे इतने शिक्षित हैं, जो खुद भी शिक्षित और संजीदे व्यक्ति हैं, प्रशासन ने उनके खिलाफ अपने स्व विवेक से नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनरूप भय और आतंक का महौल बनाया.
केके राय कहते हैं कि जावेद मोहम्मद के खिलाफ स्टोरी प्लांट की गई कि उनके घर से कट्टा निकला है. अगर आपको सर्च करना ही था तो उनको परिवार के सदस्यों को इनफॉर्म करते, आस-पास के लोगों को बुलाते, इलाके के किसी संभ्रांत व्यक्ति को लाते और उनके साथ मिलकर कट्टा निकालवाते तब पता चलता. लेकिन, आपके कार्य में फेयरनेस नहीं था. लोकल मीडिया के साथ में मिलकर आप खबर प्लांट करते हैं कि उनके घर कट्टा पाया गया. जब मजदूर उनके घर से सामान निकाल रहे थे तो कट्टा नहीं मिला. लेकिन, जब पूरा घर मलबे का ढेर हो गया तो आपने दिवार के भीतर से कट्टा खोज लिया.
वकील केके राय कहते हैं कि प्रशासन जावेद मोहम्मद के खिलाफ को भी सबूत निकाल दे जिससे साबित हो कि वो इस हिंसा में शामिल है. राय कहते हैं कि मैं कोर्ट में चैलेंज करता हूं कि इनकी दलीलें कोर्ट में एक-एक करके सब खारिज हो जाएंगी.
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