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लॉकडाउन: चेन्नई में फंसे झारखंड के 100 मजदूर, न खाना-न ठिकाना

लॉकडाउन में चेन्नई में फंसे झारखंड के मजदूरों के सामने संकट की स्थिति है, खाने को पैसे नहीं है और किराया देना है

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देश में कोरोनावायरस संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में हजारों दिहाड़ी मजदूर यहां-वहां फंसे हुए हैं. न उनके पास खाना है न पैसा. गाड़ियां बंद होने की वजह से वे अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. झारखंड के गोड्डा जिले के ऐसे ही 100 मजदूर चेन्नई में फंसे हुए हैं.

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खाने को पैसे नहीं,किराया कहां से दें?

अजय गोड्डा जिले के मालपरतापुर पंचायत के दोगच्छी गांव से हैं. वह 2 महीने की छुट्टी बिताकर चेन्नई इसी जनवरी में आए थे. उन्होंने बताया कि -‘जिस ब्लॉक में रह रहे हैं उसमें 100 लोग 25 कमरों में रहते हैं. एक कमरे का किराया 2 से 3 हजार रुपये है.अब यदि 25 कमरों का कुल भाड़ा लगभग 60 हजार रुपये है. काम नहीं है तो इनकम बंद हो गई है, इस स्थिति में हम पैसे कहां से लाएं कि मालिक माकन को 25 कमरों का किराया दें.’

लॉकडाउन में चेन्नई में फंसे झारखंड के मजदूरों के सामने संकट की स्थिति है, खाने को पैसे नहीं है और किराया देना है

पैसा घर भेज दिया था,अब कुछ नहीं बचा है

अजय के 28 वर्षीय साथी राकेश ने बताया कि उन लोगों का काम सोमवार से लेकर शनिवार तक चलता है. 6 दिनों तक काम करने का पैसा शनिवार को मिलता है.

अजय ने कहा कि हम हर शनिवार को जरूरत भर पैसा रख कर बाकी घर भेज देते थे. इस शनिवार भी यही हुआ. अब हमारे पास कुछ नहीं हैं अब खाने के लिए कहां से ले आएं, यह बड़ा सवाल है.
लॉकडाउन में चेन्नई में फंसे झारखंड के मजदूरों के सामने संकट की स्थिति है, खाने को पैसे नहीं है और किराया देना है

हाजी साहब ने की मदद

क्विंट ने पूछा कि अब काम कैसे चल रहा है.अजय ने बताया कि बड़ी परेशानी थी.लेकिन हमने यहां के शख्स जिन्हें लोग हाजी साहब कहते हैं, उनके घर कुछ दिनों पहले काम किया था. उन्हें जब हमारी खबर लगी, वह हमारे पास राशन लेकर आए.तब हम सब ने खाना खाया. हाजी साहब ने 25 किलो चावल, 20 किलो आटा, 10 लीटर तेल, मूंग मसूर की 8 किलो दाल पहुंचाया. लेकिन अब हमारे पास दो समस्या है. एक 100 लोगों के खाने का इंतजाम. दूसरी, अभी हम जिन कमरों में रह रहे हैं किराया न मिलने पर मकान मालिक निकाल देगा.

लॉकडाउन में चेन्नई में फंसे झारखंड के मजदूरों के सामने संकट की स्थिति है, खाने को पैसे नहीं है और किराया देना है
हाजी साहब ने मदद के तौर पर राशन पहुंचाया
(फोटो : क्विंट हिंदी)
हम नहीं अल्लाह जरिया है. कल खबर मिलने के बाद किसी तरह इन लोगों को राशन पहुंचाया. लोग ज़्यादा हैं इस लिए और इंतजाम कर रहा हूं
क्विंट से बिजनेस मैन हाजी मोहम्मद अमीन जान अशरफ
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लॉकडाउन में चेन्नई में फंसे झारखंड के मजदूरों के सामने संकट की स्थिति है, खाने को पैसे नहीं है और किराया देना है
एक कमरे में रहते हैं चार-चार मजदूर, किराया है 2000 रुपये 
((फोटो : क्विंट हिंदी)

परिवार वाले फिक्रमंद, स्थानीय विधायक से लगाई गुहार

मजदूरों के परिवार के लोग फिक्रमंद हैं. उन्हें आशा है कि स्थानीय विधायक दीपिका पांडे जल्द ही सभी लोगों को घर वापस लाने के लिए मदद करेंगी. उन्हें सरकार पर भरोसा है कि जल्द ही हेमंत सोरेन लोगों को वापस लेने के लिए कोई कदम उठाएगी.

गोड्डा की विधायक दीपिका पांडे ने क्विंट से कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता लोगों को खाना उपलब्ध कराना है. लेकिन जब क्विंट ने कहा कि उनके 25 कमरों के किराये का क्या होगा? इस पर विधायक ने कहा कि हेमंत जी ने जिस तरह झारखण्ड के मजदूरों को केजरीवाल के सहायता से मदद पहुंचा रहे हैं उसे तरह तमिलनाडु सरकार से बात कर झारखण्ड के फंसे इन लोगों को मदद दी जाएगी. MLA दीपिका ने क्विंट से उन लोगों का नम्बर मांगा और कहा कि उन लोगों तक हमारा नम्बर पहुंचा दें.

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