सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और उसके गठबंधन सहयोगियों के करीब 40 विधायक हैदराबाद से रांची लौट आए हैं. 5 फरवरी को राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को बहुमत साबित करना होगा. सत्ताधारी पार्टियों ने अपने विधायकों को तब हैदराबाद भेज दिया, जब राज्यपाल की तरफ से 10 दिनों के भीतर बहुमत साबित करने को कहा गया था.
विधायकों को हैदराबाद के पास एक रिसॉर्ट में रखा गया था. झारखंड में सियासी उठापटक की शुरुआत तब हुई जब झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी से पहले ही हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की चिट्ठी सौंप दी थी. इसके अलावा एक बैठक में उन्होंने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया था.
बहुमत का क्या है आंकड़ा?
झारखंड विधानसभा की 81 सीटें हैं. तो इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा 42 है. लेकिन पांचवीं विधानसभा में 1 सीट खाली रहने की वजह से फिलहाल बहुमत का आंकड़ा 41 है. हालिया परिस्थिति में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए सदन में 41 विधायकों का विश्वास हासिल होना चाहिए.
सत्तारूढ़ दल को कितने विधायकों का समर्थन?
झारखंड विधानसभा की वेबसाइट के मुताबिक, झारखंड मुक्ति मोर्चा के 29 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं. RJD, NCP, CPI (ML) के 1-1 विधायक हैं. यानी कुल 48 विधायक सत्ता पक्ष के गठबंधन में हैं.
हालांकि झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सरकार बनाने से पहले राज्यपाल को जो चिट्ठी सौंपी थी उसमें 43 विधायकों के समर्थन की बात कही गई थी.
विपक्ष के कितने विधायक?
झारखंड में बीजेपी और उसके सहयोगियों के पास कुल 30 विधायक हैं. इसमें बीजेपी के 25 विधायक हैं, आजसू पार्टी के 3 विधायक है. जबकि 2 विधायक निर्दलीय हैं. आंकड़ों को देखें तो अब तक सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में ज्यादा विधायक दिख रहे हैं.
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