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धनबाद जज मौत केस: हाईकोर्ट ने CBI की थ्योरी को किया खारिज, जल्द मांगी रिपोर्ट

सुनवाई की अगली तारीख 21 जनवरी तय करते हुए अदालत ने जांच एजेंसी को तब तक सभी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.

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भारत
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शुक्रवार, 14 जनवरी को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand HighCourt) ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की इस थ्योरी को खारिज कर दिया कि धनबाद के एडिशनल जिला जज, उत्तम आनंद का मोबाइल फोन छीनने के प्रयास के दौरान एक ऑटो-रिक्शा द्वारा नीचे गिरा दिया गया था. कोर्ट ने इस मामले से संबंधित सभी टेक्निकल रिपोर्ट्स मांगी है. मामले में अब तक आरोपियों के नार्को टेस्ट समेत कई जांचें की जा रही हैं.

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चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जज सुरजीत नारायण प्रसाद की बेंच साप्ताहिक इनवेस्टिगेशन प्रोग्रेस रिपोर्ट पर वर्चुअल तरीके से सुनवाई कर रही थी. इस दौरान बेंच केंद्रीय एजेंसी के इस दावे पर असंतोष जाहिर किया कि दोनों आरोपियों ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि वे जज का मोबाइल फोन छीनने की कोशिश कर रहे थे.

क्या था मामला?

कोर्ट के जज उत्तम आनंद पिछले साल 28 जुलाई को मॉर्निंग वाक पर थे, जब उन्हें एक ऑटोरिक्शा के द्वारा कुचल दिया गया. यह एक ऐसी घटना थी, जिसने पूरी न्यायपालिका में सिक्योरिटी पर सवाल खड़ा कर दिया था. धनबाद से चोरी किया गया वाहन उस रात पड़ोसी जिले गिरिडीह से बरामद किया गया था.

घटना के दो दिनों बाद ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा (22) और उसके साथी 21 साल के राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया गया.
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अक्टूबर में, केंद्रीय जांच एजेंसी ने दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत चार्जशीट दायर किया.

सीसीटीवी में कैद तस्वीरों का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह से यह सिद्ध नहीं हुआ है कि घटना के समय ऑटो रिक्शा के चालकों द्वारा फोन छीनने का कोई प्रयास किया गया था. कोर्ट ने कहा कि यह हो सकता है कि आरोपी इस तरह के दावे करके हत्या की जांच को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हों.

कोर्ट ने जांच एजेंसी से यह भी जानना चाहा कि आरोपी का दो बार नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग कराने की क्या जरूरत है. इस पर, सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान सामने आई जानकारी के विभिन्न सेटों को स्थापित करने के लिए दो प्रक्रियाओं को दो बार किया गया था.

सुनवाई की अगली तारीख 21 जनवरी तय करते हुए अदालत ने जांच एजेंसी को तब तक सभी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट ने हिट एंड रन की घटना का स्वत: संज्ञान लिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस घटना का न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर व्यापक प्रभाव पड़ने के बाद सीबीआई ने 31 जुलाई को जांच अपने हाथ में ली थी. राज्य सरकार ने भी मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश की थी.

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