दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की आंतरिक शिकायत समिति द्वारा दिसंबर में जारी किए गए एक सर्कुलर में कहा गया है कि, लड़कियों को अपने पुरुष दोस्तों से कुछ दूरी बनाए रखने के बारे में पता होना चाहिए और उनके बीच एक स्पष्ट लाइन होनी चाहिए.
सर्कुलर जारी होने के बाद स्टूडेन्ट्स में गुस्सा देखने को मिला है और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने इस सर्कुलर के जारी होने के बाद इसका विरोध किया है.
विश्वविद्यालय में पढ़ने वालों के लिए ऑफर किए गए यौन उत्पीड़न काउंसलिंग सेशन के दौरान जारी किए गए सर्कुलर में ये बात कही गई.
आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में ऐसे कई मामले आतें है, जहां करीबी दोस्तों के बीच यौन उत्पीड़न होता है. लड़के आम तौर पर दोस्ती में मजाक और यौन उत्पीड़न के बीच की पतली रेखा को पार कर जाते हैं. लड़कियों को ये सोचना पड़ता है कि कैसे इस तरह के किसी भी उत्पीड़न से बचने के लिए एक लाइन खींची जाए.जेएनयू सर्कुलर
काउंसलिंग सेशन के लाभों को बताते हुए आईसीसी ने ऑफिशियल नोटिस में कहा कि इसके बाद यौन उत्पीड़न के मामलों की संख्या निश्चित रूप से कम हो जाएगी.
17 दिसंबर को यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट पर ये नोटिस पोस्ट किया गया था.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि, जेएनयू आईसीसी एक पीड़िता को दोषी बनाने वाली टिप्पणी करता है, जहां लड़कियों को अपने किसी मेल फ्रैंड द्वारा परेशान न किए जाने के लिए एक ठोस लाइन खींचने को कहता है.
आईसीसी ने बार-बार जेएनयू में इस तरह के कमेंट किए हैं या सिस्टम को अपने तरीके से चलाने की कोशिश की है.आइशी घोष, अध्यक्ष, जेएनयू छात्रसंघ
ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) ने भी युनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए इस नोटिस की कड़ी निंदा की है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक स्टूडेंट एसोसिएशन ने कहा कि जेएनयू आईसीसी यौन उत्पीड़न से संबंधित नोटिस निकाला है. यह के लड़कियों प्रति आईसीसी के रवैये को उजागर करता है.
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