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JNU की नई VC के पुराने ट्वीट पर विवाद, उनके दावों में इतना विरोधाभास क्यों है?

'जेएनयू की नई VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'

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भारत
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जेएनयू (JNU) की नई वाइस चांसलर के तौर पर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित (Santishree Dhulipudi Pandit) का नाम सामने आने के बाद से ही सोमवार को उनके नाम से बने एक अनवेरिफाइड ट्विटर हैंडल @SantishreeD से विवादित ट्वीट सोशल मीडिया पर सामने आने लगे.

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एक दिन बाद शांतिश्री पंडित ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उनका कोई ट्विटर अकाउंट कभी था ही नहीं.

जिस ट्विटर हैंडल का जिक्र यहां किया जा रहा है, उससे महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बचाव में ट्वीट किए गए थे, प्रदर्शन कर रहे किसानों की अलोचना की गई थी और सांप्रदायिक भावनाओं से भरे हुए ट्वीट भी इसमें शामिल थे. ये ट्वीट जब वायरल हुए तब सोमवार को इस ट्विटर हैंडल को डिएक्टिवेट कर दिया गया.

शांतिश्री पंडित ने ट्विटर अकाउंट के बारे में क्या कहा?

'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में शांतिश्री पंडित ने कहा, 'मेरा कोई ट्विटर अकाउंट नहीं था. जिस अकाउंट की बात हो रही है, ऐसा पाया गया है कि इसे किसी ने हैक कर लिया था और ये जेएनयू के ही किसी अंदर के व्यक्ति का काम था. इसकी वजह साफ है कि मैं जेएनयू की पहली महिला वीसी हूं और कई लोग इससे नाखुश हैं.'

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जब उनसे ये पूछा गया कि क्या वो ट्विटर अकाउंट कभी उनका था? शांतिश्री पंडित ने कहा, 'नहीं, मेरा कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं था. मेरी बेटी एक साइबर सिक्योरिटी इंजीनियर है. 6 साल पहले उसने मेरे लिए इसे बंद कर दिया था क्योंकि, वह अमेरिका में कुछ जॉब्स के लिए अप्लाई कर रही थी और उसने मुझसे कहा कि मॉम, आप किसी भी सोशल मीडिया साइट पर नहीं रहेंगी. मैं सोशल मीडिया पर एक्टिव भी नहीं हूं.'

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने कहा कि उन्हें इन ट्वीट्स के बारे में तब पता चला जब इनकी कुछ तस्वीरें सामने आईं. उन्होंने ये भी कहा कि किसी ने उन्हें इसकी सूचना नहीं दी.

इस पूरे विवाद पर शांतिश्री पंडित ने आगे कहा, 'इस दुनिया में हर कोई षड्यंत्रकारी है.'

पंडित ने अपने खिलाफ आक्षेपों पर आरोप लगाते हुए पूछा कि प्रेस का व्यवहार उनके साथ इतना बुरा क्यों है?

उन्होंने कहा, 'मैंने क्या पाप किया है? सिर्फ इसलिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ग्लास सीलिंग को तोड़ते हुए वामपंथियों पर चोट की, ये काम वामपंथी नहीं कर सके थे.'
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इसके अलावा शांतिश्री पंडित का नाम एक और विवाद से भी जुड़ रहा है. विदेश मंत्रालय को दी गई पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शांतिश्री पंडित के खिलाफ एक्शन लिया गया था, जब उन्हें एक जांच में दोषी पाया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने PIO (Persons of India Origin) छात्रों को एडमिशन देने में नियमों का पालन नहीं किया था.

इस पर शांतिश्री पंडित ने कहा, 'पुणे यूनिवर्सिटी ने आइडेंटिटी पॉलिटिक्स की. क्योंकि, मैंने गैर महाराष्ट्रियन होकर भी मैनेजमेंट काउंसिल के इलेक्शन में जीत हासिल की थी. इसमें साजिश थी और मुझे कोई पद भी नहीं मिला था. अगर वाकई कोई ऐसा मामला था, तो यूनिवर्सिटी ने मेरे खिलाफ कोई एफआईआर क्यों नहीं की?'

दावों में विरोधाभास

इस लेख के सामने आने के बाद वाइस चांसलर के दावों पर कई तरह के सवाल उठने लगे. इसमें कहा गया कि पूरे इंटरव्यू में उनकी बातों में विरोधाभास नजर आ रहा है और वो अपनी बातों को खुद ही काट रही हैं.

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NDTV की संवाददाता A Mariam Alavi ने ट्विटर पर लिखा- एक ही आर्टिकल में वीसी ने कई अलग-अलग वर्जन दिए हैं. पहले उन्होंने कहा कि उनका कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं था. फिर उन्होंने कहा कि उनका ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था. ( इसका मतलब अकाउंट था जो हैक हो गया?), इसके बाद उन्होंने कहा कि 6 साल पहले उनकी बेटी ने इसे बंद कर दिया था. (पहले कोई ट्विटर अकाउंट था?), ये क्या है?

'जेएनयू की नई  VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने भी ट्विटर के जरिए सवाल किया कि जेएनयू के स्टूडेंट्स ने उनका ट्विटर अकाउंट सालों पहले कैसे हैक कर लिया जब वो जानते ही नहीं थे कि शांतिश्री पंडित कभी जेएनयू की वाइस चांसलर बन सकती हैं.

'इस बात को सीधे समझिए. जेएनयू के लोग सालों पहले से जानते थे कि शांतिश्री पंडित वाइस चांसलर बनेंगी, उनका ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया गया, उनके फैमिली एल्बम और बाकी चीजें और फिर उनके वीसी बनने के बाद अकाउंट डिलीट कर दिया गया? क्या ये Indo-centric narratives का उदाहरण है, जो वो जेएनयू में बनाने जा रही हैं?'
'जेएनयू की नई  VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'
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शांतिश्री पंडित के इंटरव्यू पर आ रही कई प्रतिक्रियाओं के बीच कई लोगों ने ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए जिनमें उनके फैमिली एलबम की निजी तस्वीरें थीं. ये तस्वीरें उसी ट्विटर अकाउंट से शेयर की गई थीं, जिसके बारे में शांतिश्री पंडित का दावा है कि वो अकाउंट हैक हो गया था.

पत्रकार गार्गी रावत ने ट्वीट किया, 'शांतिश्री पंडित अब दावा कर रही हैं कि उनका कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं था या ये कभी हैक हो गया था. कोई भी हैरानी में पड़ सकता है कि फिर ये बेहद निजी तस्वीर उसी अकाउंट से किसने ट्वीट की...'
'जेएनयू की नई  VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'

इसके अलावा लेखक और कॉमनवेल्थ स्कॉलर Dr Adil Hossain ने ट्वीट किया, 'एक व्यक्ति जो ये दावा करता है कि उनका कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं रहा, लेकिन वो ट्विटर अकाउंट जो है ही नहीं, वो हैक हो जाता है और उस पर उनकी बेहद निजी तस्वीरें डाल दी जाती हैं. इस सरकार द्वारा ऐसा ही कोई व्यक्ति जेएनयू का वीसी नियुक्त होने के लिए सबसे उपयुक्त है.'

'जेएनयू की नई  VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'

हालांकि, उन ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स जिनमें उनके पर्सनल एलबम की तस्वीरें हैं, उनमें तारीख और समय नजर नहीं आ रहा इसलिए ये जान पाना मुश्किल है कि ये तस्वीरें कब ट्वीट की गई थीं.

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सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी ट्विटर पर शांतिश्री पंडित के इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया दी और लिखा, 'उन्होंने वाइस चांसलर नियुक्त होने के बाद अपना जहरीला ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया और तब दावा कर रही हैं कि उनका कभी कोई अकाउंट ही नहीं था. इससे पहले वह धोखाधड़ी के लिए दोषी भी पाई गई हैं. ये इसका उदाहरण है कि सरकार शिक्षा के साथ क्या कर रही है.'

'जेएनयू की नई  VC ने मीडिया में कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट था ही नहीं, कभी कहा कि ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था'
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जेएनयू की नई वीसी का बैकग्राउंड

शांतिश्री पंडित का जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में साल 1962 में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई चेन्नई से की है. इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से की. शांतिश्री पंडित ने इतिहास और सोशल साइकोलॉजी में बीए किया है और इसके बाद जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में एमफिल की.

यहीं से उन्होंने अपनी पीएचडी भी पूरी की है. उनकी थीसिस का विषय 'Parliament and Foreign Policy in India - The Nehru Years.' था. साल 1985 में उन्होंने अपनी रिसर्च शुरू की थी और साल 1988 में पढ़ाना शुरू किया.

वरुण गांधी ने जेएनयू वीसी को औसत दर्जे का बताया

वाइस चांसलर बनने के बाद शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित के हस्ताक्षर वाले एक प्रेस रिलीज को लेकर भी उनकी आलोचना हो रही है. कहा गया कि इस प्रेस रिलीज में व्याकरण की गलतियां हैं.

भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इस पर लिखा, 'जेएनयू की नई वाइस चांसलर की ये प्रेस रिलीज निरक्षरता की नुमाइश है, इसमें व्याकरण की कई गलतियां हैं.'

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वरुण गांधी की आलोचना पर वीसी शांतिश्री पंडित ने कहा, 'उन्होंने ये रिलीज पूर्व वीसी द्वारा नियुक्त एक महिला को डिक्टेट करके लिखवाई थी जिसे तब शॉर्टहैंड में लिखा गया था.'

शांतिश्री पंडित ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में कहा, 'पीआरओ ने कहा था कि वो इसे ठीक कर लेंगी. आप कहां तक इन बातों पर नजर रख सकते हैं? मेरे पास अभी तक कोई टीम नहीं है. आज मैंने अपने ऑफिस स्टाफ से कहा है कि अगर आपको इंग्लिश नहीं आती, तो आपको ये बता देना चाहिए कि मुझे इंग्लिश नहीं आती, लेकिन किसी ने नहीं कहा कि उन्हें इंग्लिश नहीं आती. मैंने बैठकर, खुद रिटाइप करके आज दोबारा उस रिलीज को लिखा है और यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड किया है.'

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