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विवादित ट्वीट्स पर बोलीं JNU की नयी कुलपति- 'कभी ट्विटर अकाउंट रहा ही नहीं'

पंडित के JNU के अगले कुलपति बनने की घोषणा के तुरंत बाद, उनके कथित विवादित पुराने ट्वीट्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

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सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर, शांतिश्री धूलिपुडी पंडित के दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के अगले कुलपति (VC) बनने की घोषणा के तुरंत बाद ही, उनके कथित विवादित पुराने ट्वीट्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. ट्वीट्स के सामने आने और विवाद के बाद, पंडित ने कहा है कि उन्होंने कभी ट्विटर अकाउंट बनाया ही नहीं.

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इस ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को "सांप्रदायिक परिसर" कहा गया था, भारतीय ईसाइयों के लिए आपत्तिजनक शब्दोंं का इस्तेमाल किया गया था और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को "मानसिक रूप से बीमार जिहादी" कहा गया था.

ट्वीट्स के वायरल होने के कुछ घंटों बाद ही, इस अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया गया था.

द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में, पंडित ने कहा, "मेरे पास ट्विटर अकाउंट नहीं है... पता चला है कि इसे हैक किया गया है और JNUयू के अंदर से किसी ने ये किया है. बात ये है कि कई लोग इस बात से नाखुश हैं कि मैं पहली महिला VC हूं." उन्होंने कहा कि उन्हें JNU के लोगों के इसमें शामिल होने के बारे में विश्वसनीय सूत्रों से पता चला था.

ये पूछे जाने पर कि क्या ट्विटर अकाउंट उनका कभी नहीं था, उन्होंने कहा, “कभी नहीं. मेरे पास कभी नहीं था. मेरी बेटी एक साइबर-सिक्योरिटी इंजीनियर है. छह साल पहले, उसने इसे बंद कर दिया क्योंकि वो अमेरिका में कुछ नौकरियों के लिए आवेदन कर रही थी और उसने मुझसे कहा, 'मां, आप किसी भी सोशल मीडिया साइट पर नहीं होंगी.' मैं सोशल मीडिया पर बिल्कुल भी एक्टिव नहीं हूं."

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पंडित ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें इसके बारे में जानकारी तभी लगी जब ट्वीट्स की तस्वीरें सामने आईं.

JNU की कुलपति की अपनी नियुक्ति पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "हां, मैं एक कमजोर तबके और दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की महिला हूं. इतने सालों में वामपंथियों ने ऐसा क्यों नहीं किया? सत्तर साल वो सत्ता में थे. वो JNU नहीं जा सके? ये उनका अड्डा है."

पंडित ने आरोप लगाया कि उनपर इसलिए हमला किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने "भारतीय परिप्रेक्ष्य" पर ध्यान केंद्रित किया था.
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उन्होंने कहा, "चोल, मराठा, विजयनगर साम्राज्य, चेर, पांड्य - वो कहां हैं? इतिहास में कितना फीसदी लिखा है? देखिए, इतिहास एजेंडा सेटिंग है. मैं इसके लिए उन्हें दोष नहीं देती. मैं इसमें नहीं जाना चाहती. तो अगर वो एजेंडा तय कर सकते हैं, तो इतिहास को सुधारने में क्या गलत है? मैं एक दक्षिण भारतीय हूं. मुझे लगता है कि राजेंद्र चोल भारत के सबसे महान सम्राट हैं. उन्होंने इंडो-पैसिफिक पर विजय प्राप्त की, जिसमें चीनी शामिल थे. उनका जिक्र क्यों नहीं है? अगर मैं ऐसे सवाल पूछती हूं तो मैं दुश्मन बन जाती हूं."

उन्होंने कहा कि ये उन्हें "परेशान" करने के लिए किया गया था, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि पंडित कुलपति बने. उन्होंने कहा, "मैंने मैनेजमेंट काउंसिल का चुनाव दक्षिणपंथ से जीता था और 2001 से मैं दक्षिणपंथ से अकेली थी."

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