दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली में 2016 में हुए मर्सिडीज हिट-एंड-रन मामले में शामिल आरोपी नाबालिग (घटना के वक्त) को अदालत वयस्क के तौर पर मानेगा. इस घटना में 32 वर्षीय सिद्धार्थ शर्मा की मौत हो गई थी.
यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के संशोधन के बाद पहला ऐसा मामला है, जिसमें एक नाबालिग, जिसने जघन्य अपराध किया है, उसे एक वयस्क के तौर पर दिखाने की कोशिश की जाएगी. ऐसा इसलिए ताकि उसे एक वयस्क को दी जाने वाली सजा मिल सके.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत का ये आदेश घटना के करीब तीन साल बाद आया है. आरोपी युवक ने 4 अप्रैल 2016 को दिल्ली में अपनी तेज गति की मर्सिडीज से शर्मा को कुचल दिया था. घटना के दिन वो अपने 18वें जन्मदिन से सिर्फ चार दिन पीछे था. सोमवार को अदालत ने युवक की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने खुद पर नाबालिग के तौर पर केस चलाए जाने की अपील की थी. आरोपी युवक वह अभी 21 साल का है.
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन
जनवरी 2016 में लागू किए गए संशोधित जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के मुताबिक, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पास यह अपने विवेक से ये फैसला लेने का अधिकार है कि एक जघन्य अपराध करने वाले नाबालिग के खिलाफ एक नाबालिग के तौर पर मुकदमा चलाया जाए या एक वयस्क के तौर पर. हालांकि सेशन कोर्ट को इस बारे में अंतिम फैसला लेने का अधिकार है.
कानून के तहत एक जघन्य अपराध वो अपराध है जहां न्यूनतम अनिवार्य सजा 7 साल है.
जून 2016 में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने ये फैसला दिया था कि हिट-एंड-रन मामले में किशोर को एक वयस्क के रूप में माना जाएगा. अपने पांच पन्नों के आदेश में बोर्ड ने कहा था कि किशोर को अपने कामों के नतीजों के बारे में जानता था और उसमें "अपराध करने के लिए मानसिक और शारीरिक क्षमता में कोई कमी नहीं थी".
बोर्ड ने पाया कि वो पहले भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर चुका था, और इसके लिए उस पर पहले भी तीन बार जुर्माना लगाया गया था.
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