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‘SO विनय तिवारी ने जनेऊ की दुहाई देकर विकास दुबे से बचाई थी जान’

राहुल तिवारी ने ही विकास दुबे के खिलाफ शिकायत की थी

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विकास दुबे का आतंक अब उसके एनकाउंटर के साथ ही खत्म हो चुका है, लेकिन जिसकी शिकायत पर पुलिस विकास दुबे के घर दबिश देने गई थी, अब उसने पहली बार कैमरे पर पूरी कहानी बयां की है. राहुल तिवारी नाम के इस शख्स ने ही पुलिस को विकास दुबे की शिकायत की थी, जिसके बाद विकास के घर पुलिस टीम पहुंची और दुबे समेत उसके गुर्गों ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. राहुल ने बताया है कि कैसे वो विकास दुबे के हाथों से बाल-बाल बचा था.

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विकास की शिकायत करने वाले राहुल तिवारी ने बताया कि जब वो 27 जून को मोटरसाईकिल से अपने गांव आ रहा था तो विकास दुबे के गुर्गों ने उसे पकड़ लिया. पकड़ने के बाद उन्होंने राहुल की मोटरसाईकिल और पैसे छीन लिए. इसके अलावा मारपीट भी की. राहुल ने घटना को लेकर कहा,

“मैं इस घटना के बाद थाने पहुंचा. एसओ साहब को पूरी जानकारी दी. इसके बाद 1 जुलाई को एसओ साहब ने कहा कि घटनास्थल पर चलो, यहां पर देखकर एसओ साहब बोले बिकरू गांव चलते हैं. लेकिन वहां पहुंचते ही विकास दुबे और उसके गुर्गों ने मेरे सीने पर राइफल लगा दी और मारपीट की. एसओ को भी खूब धमकाया. जब एसओ साहब को लगा कि वो मुझे गोली मार देगा तो उन्होंने अपना जनेऊ निकालकर कहा कि पंडितों की कुछ इज्जत रखो.”

राहुल ने बताया कि, “इसके बाद विकास दुबे गंगाजल लाया और कसम खिलाई गई. सभी ने गंगाजल की कसम खाई. विकास दुबे ने भी कसम खाई कि वो मुझे मारेगा नहीं. इसके बाद एसओ साहब मुझे अपने साथ ले गए. बाद में मैं अपनी गाड़ी लेकर निकल गया. लेकिन एसओ के आगे विकास की दबंगई देखकर मैं डर गया इसीलिए मैं कप्तान साहब के पास गया और वहां एप्लीकेशन दी. इसके बाद कहा गया कि विकास दुबे पर कार्रवाई होगी. फिर रात को दबिश दी गई, जिसमें 8 पुलिसवाले मारे गए.”

दुबे ने क्यों की थी मारपीट?

राहुल ने पूरी घटना की जानकारी देने के बाद ये भी बताया कि आखिर दुबे ने अपने गुर्गों से उसे क्यों पिटवाया था. उसने कहा कि जमीन के मामले को लेकर ये सब हुआ था. विकास का दोस्त बालगोविंद हमारी खेती लेना चाहता था, जिसके बाद वो लगातार हमें परेशान कर रहे थे. वो हमें कह रहे थे कि खेती हमारे नाम कर दो. राहुल ने बताया कि उन पर बाल गोविंद, सुनील कुमार, अमर दुबे, अतुल दुबे और शिवम ने हमला किया था.

राहुल तिवारी कानपुर में हुए एनकाउंटर के बाद दहशत में आ गए औरमोबाइल बंद करके गायब हो गए. इसके बाद जब पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई तब वो अपने गांव लौटे हैं.

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