ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘देश में कितने कोरोना केस,सरकार के पास नहीं डेटा’:Exclusive बातचीत

द क्विंट के साथ बातचीत में कपिल सिब्बल ने कोरोना के दौर में अर्थव्यवस्था, तकनीक, शिक्षा और कानून पर खुलकर बात रखी

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल का मानना है कि देश में कितने कोरोना पॉजिटिव केस हैं, सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. सिब्बल का मानना है कि लॉकडाउन से संक्रमण कम हुआ है या नहीं ये भी कहा नहीं जा सकता. द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से खास कार्यक्रम राजपथ में कपिल सिब्बल ने महामारी के इस दौर से संबंधित अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत की. छात्रों की पढ़ाई से लेकर कोर्ट की ऑनलाइन प्रक्रिया, लॉकडाउन से लेकर राहत पैकेज पर और महामारी के दौरान सरकारी प्रतिक्रिया पर कपिल सिब्बल ने खुलकर अपनी राय रखी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या तकनीक के जरिए शिक्षा संभव होगी?

इस सवाल पर कि क्या लॉकडॉउन के बाद देश भर में छात्रों की पढ़ाई तकनीक से दोबारा शुरू की जा सकेगी, कपिल सिब्बल ने कहा,

हमारे यहां फायबर ऑप्टिक नेटवर्क पूरे देश में नहीं पहुंचा है. हमने जो प्रोजेक्ट शुरू किया था, 6 साल गुजरने के बाद भी सरकार इसे पूरा नहीं कर पाई. इसलिए तकनीकी का शिक्षा में बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. लॉकडउन के बाद आईआईटी और दूसरे संस्थानों में पढ़ाई कराकर परीक्षाएं करवानी चाहिए. लेकिन यह कुछ कॉलेज में ही हो पाएगा. ग्रामीण इलाके और शहरों के भी बड़े हिस्से फायबर ऑप्टिक नेटवर्क से अलग रह गए हैं. स्थितियों को देखते हुए लगता है कि शिक्षा में गैप ईयर ही जाएगा.
कपिल सिब्बल, राज्यसभा सांसद

सिब्बल ने आगे कहा कि 3 मई के बाद भी स्कूलों, धार्मिक जगहों और दूसरी जगह भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए. फिलहाल हजारों लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन कई में ऐसे लक्षण नहीं दिखते. इसलिए सावधानी बरतनी होगी.

सख्ती का कितना प्रभाव?

सवाल- क्या सख्ती से प्रभाव पड़ा है. कुछ लोग कह रहे हैं कि दूसरे देशों की तुलना में संक्रमण दर को हम बहुत बड़े स्तर पर जाने से रोकने में कामयाब रहे हैं. क्या वाकई ऐसा है?

देखिए हमारे पास किसी तरह के आंकड़े नहीं हैं. गांवों मे यह संभव नहीं है. पंचकुला में आधिकारिक आंकड़े वेबसाइट पर 14 लोगों को संक्रमित दिखा रहे हैं, लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल में 160 लोगों को भर्ती करवाया गया है. इसलिए यह कहना कि लॉकडॉउन से संक्रमण कम हुआ है, इसका कोई आधार नहीं है. प्रधानमंत्री ने लॉकडॉउन न होने की स्थिति में 8 लाख लोगों को कोरोना होने की बात कही. लेकिन ये बात वो किस आधार पर कह रहे हैं. तो बात ये है कि इस वक्त हम नहीं जानते कि देश में कितने कोरोना केस हैं. 
कपिल सिब्बल, राज्यसभा सांसद

NDMA के तहत बनाना था नेशनल प्लान

इस सवाल पर कि सेहत क्या राज्यों का मामला नहीं है, और क्या इसमें केंद्र की सिर्फ सलाहकार वाली भूमिका नहीं है, सिब्बल ने कहा कि 'NDMA, 2005 लागू होने के बाद ये बाकी कानूनों को दरकिनार कर देता है. जैसी आपदा आज सामने है, तो एक नेशनल प्लान इस एक्ट के तहत बनाया जा सकता था. जिसमें मजदूरों, बिजनेसमैन और दूसरे लोगों को राहत देने के प्रावधान किए जाते. साथ में स्टेट प्लान और डिस्ट्रिक्ट प्लान भी होने चाहिए. सरकारों के साथ बात कर केंद्र सरकार को प्लान बनाना चाहिए. इस एक्ट के जरिए केंद्र सरकार के पास पर्याप्त अधिकार हैं.’

सरकार ने की लापरवाही, स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा

कपिल सिब्बल ने सरकार पर कोरोना की स्थिति को न समझ पाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘WHO ने जनवरी के आखिर में कोरोना को पैंडेमिक बता दिया था. लेकिन हमारे यहां लॉकडॉउन 24 मार्च को हुआ. इस बीच इन्हें नेशनल प्लान बना लेना था. लेकिन सरकार ने 13 मार्च को इस महामारी को किसी तरह का संकट बताने से ही इंकार कर दिया था. मतलब सरकार के लोगों ने सोचा ही नहीं कि यह महामारी इतनी बड़ी समस्या हो सकती है.’

क्या न्यायपालिका ऑनलाइन काम कर सकती है?

इस सवाल पर सिब्बल ने कहा, ‘लोगों को दिक्कत तो होगी, सुविधाएं नहीं हैं और न्यायपालिका का पूरा काम ऑनलाइन नहीं होना चाहिए. लेकिन आपात मुद्दों का समाधान करना चाहिए. पर इसमें वक्त लगेगा.’

राहत पैकेज पर बोले सिब्बल

राहत पैकेज पर सिब्बल ने कहा कि ‘हमें अपनी बाकी देशों से तुलना नहीं करना चाहिए. उनकी स्थिति काफी अलग है. फिर भी राजकोषीय घाटे की बिना परवाह किए लोगों को ज्यादा मदद देनी चाहिए, चाहे नोट प्रिंट क्यों न करना पड़े. तुरंत पांच से दस हजार रुपये गरीबों को सीधे खाते में देने चाहिए. इस वक्त सिर्फ गरीब नहीं बिजनेस मैन को भी पैसा चाहिए.

पढ़ें ये भी: कोरोना | जानबूझकर जिम्मेदार मिला चीन तो भुगत सकता है नतीजे: ट्रंप

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×