कारगिल विजय दिवस से ठीक पहले हम आपको भारतीय सेना की जांबाजी की कहानियां बता रहे हैं. पिछले दो पार्ट में हमने बताया था कि कैप्टन सौरभ कालिया की टीम ने कैसे पाकिस्तानी सेना को पहली बार कारगिल में घुसपैठ करते देखा था. इसके बाद दूसरे पार्ट में कैप्टन विक्रम बत्रा, जो दुश्मनों पर वज्र की तरह टूट पड़े थे, उनकी कहानी बताई थी. लेकिन आज हम आपको भारतीय एयरफोर्स के “ऑपरेशन सफेद सागर” के बारे में बताएंगे. आपको बताएंगे कि कैसे भारतीय वायुसेना ने कारगिल की मुश्किल चोटियों के ऊपर उड़ान भरी और ये ऑपरेशन कितना खतरनाक था.
हमने आपको बताया था कि कैसे पाकिस्तानी सेना ने श्रीनगर हाईवे से सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए टाइगर हिल और तोलोलिंग जैसी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद कैप्टन सौरभ कालिया की अगुवाई में गई पूरी टीम को पकड़कर मार दिया था. इसके बाद भारतीय सेना ने जमीनी लड़ाई तो शुरू कर दी थी, लेकिन ये काफी मुश्किल साबित हो रही थी. क्योंकि दुश्मन ऊपर चोटी से सीधा वार कर रहा था.
इसीलिए अब बारी थी एयरफोर्स की मदद लेने की. एयरफोर्स को कारगिल में ऑपरेशन चलाने के लिए कहा गया. जिसके बाद एयरफोर्स ने पूरे ऑपरेशन की प्लानिंग शुरू कर दी. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि 20 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाले हेलीकॉप्टर की जरूर थी.
हथियारों से लैस भारतीय हेलिकॉप्टर एमआई-35 इतनी ऊंचाई तक उड़ान नहीं भर सकता था. इसीलिए इसके बाद फैसला किया गया कि अब मिग फाइटर्स के साथ एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स को भेजा जाएगा. ये हेलीकॉप्टर जवानों को लाने और ले जाने का काम करते थे, लेकिन तब इन पर ही हथियार फिट किए गए.
एयरफोर्स को पहले ही दिन हुआ नुकसान
अब भारतीय एयरफोर्स ने 26 मई को अपना ये ऑपरेशन शुरू किया और इसे ऑपरेशन सफेद सागर का नाम दिया गया था. लेकिन पहला दिन एयरफोर्स के लिए ठीक नहीं रहा. कारगिल की चोटियों पर बने पाकिस्तान के छोटे बंकरों को निशाना बनाना इतना आसान नहीं था. वहीं पाकिस्तानी सेना अपने साथ स्टिंगर मिसाइल लेकर आई थी. जिसे कंधे पर रखकर फायर किया जाता है. मिग-27 लेकर दुश्मन को खत्म करने निकले इंडियन एयरफोर्स के फ्लाइट लेफ्टिनेंट निचिकेत जैसे ही चोटी पर पहुंचे, उन्हें एक स्टिंगर मिसाइल से हिट कर दिया गया. जिसके बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट निचिकेत ने तुरंत खुद को इजेक्ट कर लिया और पैराशूट से नीचे उतरने लगे.
निचिकेत की तलाश में स्क्वार्डन लीडर अजय आहूजा काफी दूर तक चले गए और उन्हें भी दुश्मन ने पकड़ लिया. अजय आहूजा को उसी वक्त प्वाइंट ब्लैंक से गोली मार दी गई थी. वहीं फ्लाइट लेफ्टिनेंट निचिकेत को बंदी बना लिया गया. उन्हें 8 दिनों तक बंदी बनाकर पाकिस्तानी सेना ने छोड़ दिया था. भारत ने इसमें अपना एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर और एक मिग-27 फाइटर जेट खो दिया था.
एयरफोर्स ने की भारतीय सेना की बड़ी मदद
भले ही एयरफोर्स को ऑपरेशन की शुरुआत में ही नुकसान झेलना पड़ा था, लेकिन जंग यहां से शुरू हुई थी. इसके बाद इंडियन एयरफोर्स का ऑपरेशन सफेद सागर और तेजी से चलाया गया और ऊपर बनाए गए पाकिस्तानी बंकरों को एक-एक कर तबाह किया गया. टाइगर हिल और तोलोलिंग पर कब्जा करने के पीछे एयरफोर्स की बड़ी भूमिका रही. क्योंकि जब एयरफोर्स ऊपर स्ट्राइक करती थी तब नीचे से इंडियन आर्मी के जवान ऊपर चढ़ते थे और बचे हुए घुसपैठियों को खदेड़ते थे. 26 जुलाई तक ऐसे ही एयरफोर्स का ऑपरेशन सफेद सागर भारतीय सेना के लिए रास्ते बनाता गया. एयरफोर्स के फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर एक अचूक फॉरमेशन में ऊपर जाते और दुश्मन के बंकरों में आग बरसाते थे.
इसके अलावा इस ऑपरेशन में इजराइल की नाइट विजन तकनीक ने एयरफोर्स को नई ताकत देने का काम किया था. क्योंकि इसी की वजह से एयरफोर्स ने रात को भी हमले किए, जो काफी सफल रहे. क्योंकि रात में स्टिंगर मिसाइल का निशाना उतना सटीक नहीं लग सकता था.
श्रीनगर, आदमपुर और अवंतीपुर एयरफील्ड से एयरफोर्स के फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर उड़ान भरते थे. इस पूरे ऑपरेशन में मिग-21, मिग-23, मिग-27 और मिराज-2000 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया गया था. इस ऑपरेशन में एयरफोर्स के 300 विमान इस्तेमाल किए गए थे जिन्होंने कई हजार बार उड़ान भरी थी.
अब कारगिल युद्ध सीरीज के चौथे पार्ट में आपको एक और जांबाज कैप्टन मनोज पांडे की कहानी बताएंगे. जिन्हें कारगिल के काफी अहम बटालिक सेक्टर को कैप्चर करने की जम्मेदारी सौंपी गई थी. पांडे ने वहां अपनी कंपनी के साथ ऐसी जांबाजी का नमूना पेश किया कि चोटी पर अगले दिन तिरंगा फहरा रहा था.
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