1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राज्य में भड़की हुबली हिंसा में कथित संलिप्तता के लिए पिछले हफ्ते हिंदुत्व कार्यकर्ता श्रीकांत पुजारी (Srikanth Poojari) की गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक में राजनीतिक घमासान मच गया है.
इसके बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से पहले कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया "प्रतिशोध की राजनीति" कर रहे हैं.
हालांकि, सिद्धारमैया ने गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए कहा, "राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान श्रीकांत पुजारी की गिरफ्तारी महज एक संयोग है."
चलिए आपको विवाद का A टू Z बताते हैं:
बाबरी विध्वंस के बाद भड़की थी हिंसा- 32 साल बाद गिरफ्तारी, कर्नाटक में क्यों मचा बवाल?
1. कौन है श्रीकांत पुजारी?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 51 वर्षीय हिंदू कार्यकर्ता, श्रीकांत पुजारी कर्नाटक के हुबली जिले के चन्नापेट का रहने वाला है. कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वह पिछले कुछ सालों से ऑटोरिक्शा चलाने का काम कर रहा है.
पुजारी पर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुबली में कुछ दुकानों में कथित तौर पर आग लगाने का आरोप है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हुबली पुलिस ने बताया कि उस पर पिछले 31 सालों में 16 मामलों में केस दर्ज किया गया है, जिसमें तीन दंगे को लेकर मामले हैं.
उस पर अवैध शराब बिक्री और जुए का भी आरोप है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने आरोप लगाया कि पुजारी कभी भी अदालत के सामने पेश नहीं हुआ.
Expand2. कांग्रेस ने क्या कहा है?
बीजेपी के "प्रतिशोध की राजनीति" के आरोपों पर सीएम सिद्धारमैया ने 2 जनवरी को कहा:
"अपराधियों के साथ क्या किया जाना चाहिए? क्या उन्हें बेदाग छोड़ा जा सकता है? हमने पुलिस से पुराने मामलों को निपटाने के लिए कहा है. हम नफरत की राजनीति का सहारा नहीं लेते हैं. पुलिस ने अदालत के निर्देशों पर काम किया है. हमने कभी भी ऐसा कुछ नहीं किया जिससे निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी हो."
3 जनवरी को, उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया: "श्रीकांत पुजारी, जो जनता के सामने खुद को राम के भक्त और कार सेवक के रूप में बताता है, वह वास्तव में कानून की नजर में एक बदमाश है. वह ऐसा व्यक्ति है जो धर्म का उपयोग करता है. यदि ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जाती है, तो भगवान राम भी इसे माफ नहीं कर सकते."
सिद्धारमैया ने आगे कहा कि पुजारी पर "अवैध शराब बिक्री, जुआ और मटका" सहित 16 असामाजिक गतिविधियों के आरोप हैं.
उन्होंने यह भी कहा, "हुबली-धारवाड़ आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र के अंदर, मैरूआना (गांजा) बिक्री, चोरी, जबरन वसूली, धोखाधड़ी और जुआ सहित अपराधों के सिलसिले में 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. श्रीकांत पुजारी इस सूची में 32वें व्यक्ति है."
उन्होंने आगे कहा कि, "अगर आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोग धर्म के रक्षक होने का दावा करते हैं और हत्या और जबरन वसूली में शामिल होते हैं, तो क्या बीजेपी नेता भी उनका समर्थन करेंगे?"
इस बीच, द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, हुबली-धारवाड़ पुलिस आयुक्त रेणुका सुकुमार ने कहा कि 1992 के हिंसा मामले में पुजारी की गिरफ्तारी लंबित मामलों में आरोपियों का पता लगाने की एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है.
इसके साथ ही कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, "यदि किसी पुराने मामले में केवल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता, तो हम आरोपों को स्वीकार करते. लेकिन मैंने राज्य में सभी लंबित मामलों की जांच करके उनका निपटारा करने का आदेश दिया है. उसी प्रक्रिया में श्रीकांत को गिरफ्तार किया गया था. कानून अपना काम करेगा और इसका किसी विशेष धर्म से कोई लेना-देना नहीं है."
Expand3. बीजेपी ने क्या कहा है?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पुजारी की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 2 जनवरी को कहा, "यदि आप गिरफ्तारी के समय पर गौर करें, तो कांग्रेस ने भव्य अयोध्या मंदिर के उद्घाटन से ठीक पहले इसे करने का फैसला किया. कांग्रेस पार्टी इसे पचा नहीं पाई और देश में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही है."
इसके अलावा, हिंदुत्व कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई पर उन्होंने कर्नाटक के सीएम की आलोचना करते हुए कहा, "क्या वह राज्य में मुगल सरकार चला रहे हैं?"
जोशी ने कहा, "क्या सिद्धारमैया यहां आईएस सरकार बनाने की प्रक्रिया में हैं? या वह राज्य में मुगल, इस्लामी सरकार चला रहे हैं?"
पुजारी की गिरफ्तारी के खिलाफ कर्नाटक बीजेपी ने भी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. हुबली में विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कथित पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि 'कर्नाटक में जय श्री राम का नारा लगाने पर लोगों को जेल हो सकती है.' उन्होंने कहा, "अगर आप कर्नाटक में 'जय श्री राम' का नारा लगाएंगे तो आपको जेल भेज दिया जाएगा. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है, इसलिए हम इन सब से नहीं डरते."
विवाद के बीच, बीजेपी नेता सीटी रवि ने सिद्धारमैया की एक कथित क्लिप साझा की जिसमें आरोप लगाया गया कि सिद्धारमैया ने एक मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने एक्स पर कहा, "कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री और पुजारी के अंदर आकर भगवान के दर्शन करने के अनुरोध के बावजूद मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया."
क्विंट हिंदी स्वतंत्र रूप से इस क्लिप की सत्यता की जांच नहीं कर पाया है.
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कौन है श्रीकांत पुजारी?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 51 वर्षीय हिंदू कार्यकर्ता, श्रीकांत पुजारी कर्नाटक के हुबली जिले के चन्नापेट का रहने वाला है. कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वह पिछले कुछ सालों से ऑटोरिक्शा चलाने का काम कर रहा है.
पुजारी पर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद हुबली में कुछ दुकानों में कथित तौर पर आग लगाने का आरोप है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हुबली पुलिस ने बताया कि उस पर पिछले 31 सालों में 16 मामलों में केस दर्ज किया गया है, जिसमें तीन दंगे को लेकर मामले हैं.
उस पर अवैध शराब बिक्री और जुए का भी आरोप है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने आरोप लगाया कि पुजारी कभी भी अदालत के सामने पेश नहीं हुआ.
कांग्रेस ने क्या कहा है?
बीजेपी के "प्रतिशोध की राजनीति" के आरोपों पर सीएम सिद्धारमैया ने 2 जनवरी को कहा:
"अपराधियों के साथ क्या किया जाना चाहिए? क्या उन्हें बेदाग छोड़ा जा सकता है? हमने पुलिस से पुराने मामलों को निपटाने के लिए कहा है. हम नफरत की राजनीति का सहारा नहीं लेते हैं. पुलिस ने अदालत के निर्देशों पर काम किया है. हमने कभी भी ऐसा कुछ नहीं किया जिससे निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी हो."
3 जनवरी को, उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया: "श्रीकांत पुजारी, जो जनता के सामने खुद को राम के भक्त और कार सेवक के रूप में बताता है, वह वास्तव में कानून की नजर में एक बदमाश है. वह ऐसा व्यक्ति है जो धर्म का उपयोग करता है. यदि ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जाती है, तो भगवान राम भी इसे माफ नहीं कर सकते."
सिद्धारमैया ने आगे कहा कि पुजारी पर "अवैध शराब बिक्री, जुआ और मटका" सहित 16 असामाजिक गतिविधियों के आरोप हैं.
उन्होंने यह भी कहा, "हुबली-धारवाड़ आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र के अंदर, मैरूआना (गांजा) बिक्री, चोरी, जबरन वसूली, धोखाधड़ी और जुआ सहित अपराधों के सिलसिले में 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. श्रीकांत पुजारी इस सूची में 32वें व्यक्ति है."
उन्होंने आगे कहा कि, "अगर आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोग धर्म के रक्षक होने का दावा करते हैं और हत्या और जबरन वसूली में शामिल होते हैं, तो क्या बीजेपी नेता भी उनका समर्थन करेंगे?"
इस बीच, द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, हुबली-धारवाड़ पुलिस आयुक्त रेणुका सुकुमार ने कहा कि 1992 के हिंसा मामले में पुजारी की गिरफ्तारी लंबित मामलों में आरोपियों का पता लगाने की एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है.
इसके साथ ही कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, "यदि किसी पुराने मामले में केवल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता, तो हम आरोपों को स्वीकार करते. लेकिन मैंने राज्य में सभी लंबित मामलों की जांच करके उनका निपटारा करने का आदेश दिया है. उसी प्रक्रिया में श्रीकांत को गिरफ्तार किया गया था. कानून अपना काम करेगा और इसका किसी विशेष धर्म से कोई लेना-देना नहीं है."
बीजेपी ने क्या कहा है?
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पुजारी की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 2 जनवरी को कहा, "यदि आप गिरफ्तारी के समय पर गौर करें, तो कांग्रेस ने भव्य अयोध्या मंदिर के उद्घाटन से ठीक पहले इसे करने का फैसला किया. कांग्रेस पार्टी इसे पचा नहीं पाई और देश में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही है."
इसके अलावा, हिंदुत्व कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई पर उन्होंने कर्नाटक के सीएम की आलोचना करते हुए कहा, "क्या वह राज्य में मुगल सरकार चला रहे हैं?"
जोशी ने कहा, "क्या सिद्धारमैया यहां आईएस सरकार बनाने की प्रक्रिया में हैं? या वह राज्य में मुगल, इस्लामी सरकार चला रहे हैं?"
पुजारी की गिरफ्तारी के खिलाफ कर्नाटक बीजेपी ने भी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. हुबली में विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कथित पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि 'कर्नाटक में जय श्री राम का नारा लगाने पर लोगों को जेल हो सकती है.' उन्होंने कहा, "अगर आप कर्नाटक में 'जय श्री राम' का नारा लगाएंगे तो आपको जेल भेज दिया जाएगा. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है, इसलिए हम इन सब से नहीं डरते."
विवाद के बीच, बीजेपी नेता सीटी रवि ने सिद्धारमैया की एक कथित क्लिप साझा की जिसमें आरोप लगाया गया कि सिद्धारमैया ने एक मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया.
उन्होंने एक्स पर कहा, "कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री और पुजारी के अंदर आकर भगवान के दर्शन करने के अनुरोध के बावजूद मंदिर में प्रवेश करने से इनकार कर दिया."
क्विंट हिंदी स्वतंत्र रूप से इस क्लिप की सत्यता की जांच नहीं कर पाया है.
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