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कर्नाटक में मंदिर पर टैक्स वाला बिल विधान परिषद में खारिज, कांग्रेस सरकार को झटका

Karnataka Temples Tax Bill: कर्नाटक सरकार के इस विधेयक में क्या था और बीजेपी इसका क्यों विरोध कर रही थी?

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भारत
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Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Bill 2024: कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ा झटका लगा है. कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक-2024 को शुक्रवार को राज्य विधान परिषद में पेश किया था, जिसे खारिज कर दिया गया है. बता दें कि 1 करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों की आय पर 10 प्रतिशत टैक्स वाले इस विधेयक दो दिन पहले राज्य विधानसभा में पारित किया गया था. 

चलिए आपको बताते हैं कि कर्नाटक सरकार के इस विधेयक में क्या था और बीजेपी इसका क्यों विरोध कर रही थी?

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इस कानून में क्या प्रावधान है?

कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024 पुराने कानून में किया एक संशोधन है. इस कानून के लागू होने के बाद 1 करोड़ रुपये से अधिक सकल वार्षिक आय वाले मंदिरों को अपनी आय का 10% एक कॉमन पूल में देना होगा. वहीं 10 लाख से 1 करोड़ तक के बीच सकल वार्षिक आय वाले मंदिरों को अपनी आय का 5 प्रतिशत धन कॉमन पूल में देना होगा.

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के मुताबिक, ये कानून 2003 में लागू हुआ था. संशोधन से पहले तक 5 लाख के आय वाले मंदिरों पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगता था. 

अब आपको बताते हैं कि यह कॉमन पूल क्या है, जहां मंदिरों से लिया गया टैक्स जमा होगा.

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क्या है कॉमन पूल?

कर्नाटक सरकार के मंत्री रामलिंगा रेड्डी के मुताबिक मंदिरों से लिए गए टैक्स को 'कॉमन पूल फंड' जमा किया जाता है. 'कॉमन पूल फंड' को राज्य धर्मिका परिषद के तहत चलाया जाता है.

संशोधित कानून में लिखा है कि कॉमन पूल फंड का इस्तेमाल किसी अन्य धार्मिक संस्थानों में जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाएगा. इसके अलावा हिंदू धर्म के किसी भी धार्मिक कार्यों के लिए इस फंड का इस्तेमाल किया जाएगा.

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने ‘एक्स’ पर किए ट्वीट में बताया, "कॉमन पूल पूरी तरह से हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक मकसदों के लिए है. कॉमन पूल फंड का इस्तेमाल 2003 में अधिनियम के लागू होने के बाद से केवल हिंदू संस्थानों के धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया गया है और भविष्य में भी इसका इस्तेमाल इन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाता रहेगा."

"फंड का इस्तेमाल किसी दूसरे उद्देश्य के लिए या दूसरे धर्मों के अनुयायियों के लाभ के लिए नहीं किया गया है. ये प्रावधान हिंदू समुदाय के कल्याण और उत्थान के लिए मंदिर निधि का उपयोग करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, जो गैर-हिंदू उद्देश्यों के लिए धन के गलत आवंटन या अनुचित टैक्स को लागू करने के दावों का सीधा खंडन करते हैं."
सिद्धारमैया, सीएम, कर्नाटक
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बीजेपी ने किया था विरोध?

दरअसल बीजेपी राज्य सरकार पर मंदिरों से पैसा चुराने का आरोप लगा रही है.

बीजेपी के स्टेट प्रेसिडेंट बी.वाई विजेंद्र ने कहा, "सरकार की वित्तीय हालत खराब है, सरकार ने मंदिरों को भी नहीं छोड़ा. मंदिर के पैसे चुराने के बजाय विधान सभा के सामने एक घड़ा रख दें."

उन्होंने कहा है, “यह संशोधन सरकार को एक करोड़ रुपये या उससे अधिक आय वाले मंदिरों से 10 प्रतिशत राजस्व एकत्र करने की अनुमति देता है… करोड़ों भक्तों का सवाल है कि सरकार हिंदू मंदिरों की आय पर नजर क्यों रख रही है जबकि उसे अन्य धर्मों के राजस्व में कोई दिलचस्पी नहीं है."

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