उत्तर प्रदेश की जेलों में बड़ी तादाद में बंद कश्मीरी कैदियों ने अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग की है. वे डिप्रेशन के शिकार हैं और मैदानी इलाके की गर्मी और उमस भरे मौसम को सह नहीं पा रहे हैं. जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "उनमें से कई का कहना है कि उत्तर प्रदेश का मौसम उनके शरीर के अनुकूल नहीं है. उन्हें भूख नहीं लगती और वे डिप्रेशन से पीड़ित हैं."
कश्मीरी कैदियों ने पेट में दर्द की भी शिकायत की है. डॉक्टरों से इलाज की सुविधा लेने से पहले उन्हें अल्ट्रासाउंड टेस्ट से गुजरना पड़ा. इनमें से कुछ कैदियों पर आजादी-समर्थक प्रदर्शनकारी होने का आरोप लगा है या 'संभावित पत्थरबाज' करार दिया गया है. उनके खिलाफ उनके राज्य में पुलिस मामले का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए उन्हें आदतन परेशान करने वाला आरोपी नहीं माना जाना चाहिए.
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6 अगस्त को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद कुल 285 कैदियों को कश्मीर से आगरा, लखनऊ, वाराणसी, नैनी (इलाहाबाद), बरेली और अंबेडकरनगर की जेलों में ले जाया गया था.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई
अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में, जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट की ओर से गठित एक सलाहकार बोर्ड उनके मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कर रहा है. पिछले दो हफ्तों में कश्मीर के कुछ मुट्ठीभर लोगों को जेल में बंद अपने रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत दी गई है. अधिकारियों के मुताबिक, वे बहुत से रिश्तेदारों को कश्मीरी कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दे सकते थे, क्योंकि 'उनके सर्टिफिकेट्स को वेरिफाई करने में बहुत ज्यादा समय लगता है'. वहीं घाटी में कम्युनिकेशन लॉकडाउन की वजह से कैदी कश्मीर में रह रहे अपने परिवार वालों से संपर्क भी नहीं कर पा रहे हैं.
(इनपुट: IANS)
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