खाप पंचायत के तालिबानी फरमान और दूसरों की शादी में दखल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खाप को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि शादी के लिए सहमत दो लोगों के बीच में खाप पंचायतों का किसी भी तरह का दखल अवैध है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की बेंच ने खाप में सुधार और कपल के सुरक्षा को लेकर कुछ गाइडलाइन भी जारी किये हैं. कोर्ट ने कहा कि यह तब तक जारी रहेगी जब तक इस पर कोई कानून नहीं आ जाता.
यह ऐतिहासिक फैसला एक एनजीओ शक्ति वाहिनी की याचिका पर आया है. शक्ति वाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट से खाप पंचायतों जैसी संस्थाओं की रजामंदी के बिना होने वाले शादियों में उनके दखल और शादी के खिलाफ हुक्म जारी किए जाने को लेकर अपील की थी.
इससे पहले सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा था,
अगर दो बालिग शादी करने का फैसला करते हैं, तो उसमें कोई भी दखल नहीं दे सकता है. कोई समाज, कोई पंचायत, या कोई व्यक्ति उन की शादी पर सवाल नहीं उठा सकता है.
कोर्ट ने मांगे थे सुझाव
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं से हॉरर किलिंग को रोकने के लिए उपाए मांगे थे. कोर्ट ने विवाहित जोड़ों को सुरक्षा देने के लिए भी ठोस कदम उठाने की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विवाहित जोड़े को सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है. साथ ही ऐसे मामलों में पुलिस की जवाबदेही भी तय की जाए.
पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था,
चाहे वे पैरेंट्स हों, समाज हो या कोई और वे सब इससे अलग हैं. किसी को भी चाहे वह कोई एक शख्स हो, एक से अधिक लोग हों या समूह उन्हें (बालिगों की) शादी में दखल का हक नहीं है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट एक्शन लेगा.
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