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कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, गुर्जर आंदोलन के मुखिया के रूप में पहचान

Kirori Singh Bainsla 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी शामिल हुए थे.

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गुर्जर संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया है. किरोड़ी बैसला लंबे समय से बीमार चल रहे थे. तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार को हॉस्पिटल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बैंसला राजस्थान में गुर्जर आंदोलन का बड़ा चेहरा थे. हालांकि, बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए थे. 

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कर्नल बैंसला के निधन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद ओम प्रकाश माथुर, सतीश पूनिया समेत कई नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.

शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले बैंसला ने पिता की इच्छा पर आर्मी ज्वाइन किया. बैंबैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए थे और सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी से वतन के लिए जौहर दिखाया.

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे. उन्हें दो उपनामों से भी उनके साथी जानते थे. सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कह कर बुलाते थे. वो सेना में मामूली सिपाही के तौर पर भी तरक्की पाते हुए वह कर्नल की रैंक तक पहुंचे थे.

रिटायर होने के बाद गुर्जर समुदाय के आंदोलन से जुड़े

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला सेना से रिटायर होने के बाद राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की. आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी, पटरियों पर धरना दिया. आंदोलन को लेकर उन पर कई आरोप भी लगे.

बता दें कि साल 2007 में बैंसला के नेतृत्व में राजस्थान में गुर्जरों का बड़ा आंदोलन हुआ था. वहीं इसके बाद साल 2015 में भी बैंसला के नेतृत्व में गुर्जर आंदोलन हुआ था. इस दौरान बैंसला के नेतृत्व में राजस्थान की तबकी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ गुर्जर समुदाय की बैठक हुई थी. इसमें गुर्जरों को 5% आरक्षण देने का फैसला लिया गया था.

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