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दीप सिद्धू की मौत:ब्लाइंड कट, गड्ढे और अंधेरा...KMP एक्स. वे पर सफर है खतरनाक

KMP पर बहादुरगढ़ से झज्जर तक करीब 10 ब्लाइंड कट हैं, जहां ना कोई साइन बोर्ड है और ना ही लाइट की व्यवस्था.

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कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेसवे पर 15 फरवरी को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू (Deep Sidhu) की एक सड़क हादसे में मौत हो गई. ये हादसा रात के करीब 9.30 बजे हुआ, जब दीप सिद्धू अपनी महिला मित्र के साथ कार से सफर कर रहे थे. उनकी गाड़ी एक ट्रक में पीछे से जा घुसी और दीप सिद्धू की मौके पर ही मौत हो गई. लेकिन जिस हाइवे पर ये हादसा हुआ वो शुरुआत से ही दुर्घटनाओं के लिए बदनाम रहा है. तीन महीने पहले ही बहादुरगढ़ में एक एक्सीडेंट में 2 बच्चों और तीन महिलाओं समेत 8 लोगों की मौत हुई थी.

केएमपी को लेकर कई बार ये सवाल उठते रहे हैं कि आखिर इस एक्सप्रेसवे पर इतने हादसे क्यों होते हैं.
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जहां दीप सिद्धू का एक्सीडेंट हुआ वहां लाइट नहीं थी

दीप सिद्धू का जिस जगह एक्सीडेंट हुआ वहां पोल लाइट नहीं थी और इस इलाके में अगर कोहरा हो तो फिर रोड पर चलना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में लाइट का ना होना खतरे का सबब बन जाता है.

बहादुरगढ़ से झज्जर तक कई ब्लाइंड कट

केएमपी पर बहादुरगढ़ से झज्जर तक करीब 10 ब्लाइंड कट हैं, जहां ना कोई साइन बोर्ड है और ना ही लाइट की व्यवस्था. ये भी हादसों की बड़ी वजह है. इसके अलावा हाइवे पर लोग अपने वाहन खड़े कर देते हैं ये भी हादसों का बड़ा कारण बनता है. 2 महीने पहले केएमपी पर बहादुरगढ़ के पास करीब 5 वाहन कोहरे में आपस में भिड़ गए थे जिसमें कई लोग घायल हुए थे.

ब्रिज बने समस्या

केएमपी पर कुंडली से मानेसर तक करीब 10 ब्रिज और लगभग 22 पुलिया बनी हैं, इनमें समस्या ये है कि जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर पहुंचती है तो वो उछल जाती है क्योंकि कई ब्रिजों पर लेवल ठीक नहीं है. जो काई बार हादसे का कारण बनते हैं.

शुरू में ही हादसों ने किया बदनाम

1500 करोड़ से ज्यादा लागत से बने केएमपी एक्सप्रेस वे का उद्घाटन पीएम मोदी ने 19 नवंबर 2018 में किया था. इसका शिलान्यास 2015 में पीएम मोदी ने ही किया था. हालांकि 2003 में इसका शिला पत्थर तत्कालीन हरियाणा के सीएम ओपी चौटाला ने लगाया था.

बहरहाल 2018 में ये एक्सप्रेसवे चालू हो गया और 2019 के दिसंबर से लेकर अगले 6 महीने में करीब 35 हादसे केएमपी पर हुए. जिसका बड़ा कारण रोड पर अंधेरा और गड्ढे थे. नए एक्सप्रेसवे पर गड्ढों को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. जिन्हें बाद में भर दिया गया. लेकिन अब वो गड्ढे फिर कई जगह हाइवे पर दिखने लगे हैं जो हादसों का कारण बन रहे हैं.

  • 23 दिसंबर 2019 को पिपली टोल के पास सड़क हादसे में उत्तर प्रदेश के कैंटर चालक की मौत हो गई.

  • 25 फरवरी 2020 को केएमपी पर एक साथ आधा दर्जन वाहन टकरा गए, इसमें कई लोग घायल हो गए.

  • अगस्त 2020 में सोनीपत के पुलिस कर्मी के बेटे भाई, बहन और छोटे बच्चे की हादसे में मौत हुई

  • 22 अक्टूबर 2021 को बादली के पास कई वाहन टकरा गए, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई.

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