उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा मामले में चश्मदीदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी. जिसके बाद मामले की जांच कर रही SIT ने अब चश्मदीदों की तलाशी तेजी से शुरू कर दी है. SIT ने फोन नंबर जारी करते हुए चश्मदीदों से बयान दर्ज करने के लिए टीम से संपर्क करने और डिजिटल सबूत प्रदान करने का आग्रह किया है.
चश्मदीद गवाहों को मिलेगी गोपनीयता और उचित सुरक्षा
एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए SIT ने कहा कि,
“जनसाधारण से आग्रह किया जाता है कि इस घटना के बारे में यदि कोई चश्मदीद गवाह अपना साक्ष्य दर्ज कराना चाहता हो तो वो जनपद लखीमपुरी खीरी स्थित पुलिस लाइन्स के ब्रांच में स्थापित SIT कार्यालय में उपस्थित होकर अपना बयान/ डिजिटल साक्ष्य उपलब्ध करा सकते हैं अथवा सीधे संपर्क कर भी साक्ष्य उपलब्ध करा सकते हैं.”
अधिकारियों ने कहा कि SIT ये सुनिश्चित करेगी कि चश्मदीदों की पहचान गोपनीय रखी जाए. चश्मदीद गवाह को उचित सुरक्षा भी दी जाएगी.
लखीमपुर हिंसा की जांच के लिए गठित SIT के हेड उपेंद्र अग्रवाल (9454400454) सहित अन्य सदस्यों का फोन नंबर एक विज्ञापन के माध्यम से शेयर किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद से योगी सरकार और SIT एक्टिव
उत्तर प्रदेश सरकार ने 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि चश्मदीदों ने आरोपियों की पहचान कर ली है. हालांकि इस सुनवाई में लखीमपुर खीरी हिंसा में जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाखुशी जाहिर की थी. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि "वहां सैकड़ों किसान थे, एक रैली चल रही थी और केवल 23 चश्मदीद गवाह हैं?"
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर को भी उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने गवाहों के बयान दर्ज करे ताकि इस धारणा को दूर किया जा सके कि राज्य जांच प्रक्रिया में "अपने पैर खींच रहा है".
सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई कर रही है. गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र है जो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा है.
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