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लालू की होली कैद में ही बीतेगी, समझिए कितने दिन रहना पड़ सकता है जेल में

चारा घोटाले के एक और मामले में लालू को नोटिस, 25 फरवरी को होगी पटना में पेशी

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भारत
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चारा घोटाले के पांचवे मामले में 21 फरवरी को लालू यादव को 5 साल की सजा सुनाई गई. डोरंडा कोषागार से करीब 139 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को 15 फरवरी को दोषी ठहराया गया था. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC) की धारा 13(2) r/w 13(1)(d) के तहत 5-5 साल की सजा सुनाई है. हालांकि, ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी. इससे पहले, लालू यादव को चारा घोटाले के 4 और मामलों में पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें वो जमानत पर बाहर थे.

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क्विंट से खास बातचीत में लालू यादव के वकील प्रभात कुमार ने बताया कि वो जल्द ही CBI कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. उनके मुताबिक, अब तक सुनाई गई सारी सजाएं एक साथ चलेंगी और चूंकि, लालू ने 5 साल का आधा यानी ढाई साल से ज्यादा की सजा काट ली है, इसलिए उन्हें हाईकोर्ट से जरूर जमानत मिल जाएगी. हालांकि, कोविड और होली की छुट्टियों की वजह से इसमें डेढ़ महीने का समय लग सकता है. प्रभात कुमार ने उम्मीद जताई कि लालू यादव को अप्रैल के पहले हफ्ते तक हाईकोर्ट से बेल मिल जाएगी.

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क्या एक सजा पूरी होने के बाद शुरू होगी दूसरी सजा?

वहीं, सीबीआई के वकील बीएमपी सिंह ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि पिछले मामलों में सुनाई गई सजा और इस केस में मिली सजा consecutive तरीके से अलग-अलग चलेगी, यानी एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा शुरु होगी. हालांकि, जब क्विंट ने उनसे इस मसले पर बात की तो वो अपनी बात से पलट गए और कहा कि इस बारे में उन्हें नहीं पता और इसका फैसला ऊपरी अदालत करेगी. लेकिन उन्होंने CrPC की धारा 427 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा किया जा सकता है. बीएमपी सिंह सीबीआई कोर्ट के फैसले से खुश नजर आए और कहा कि इस फैसले से समाज में एक संदेश जाएगा कि कुकृत्य करने पर किस प्रकार की सजा होती है और घोटालेबाज छोड़े नहीं जा सकते.

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दरअसल, लालू यादव को चारा घोटाले के 6 अलग-अलग मामलों में आरोपी बनाया गया था. 2014 में सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद लालू ने हाईकोर्ट में अपील की थी. रांची हाईकोर्ट ने CrPC की धारा 300 और संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत लालू यादव को IPC की कुछ धाराओं समेत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा से राहत देते हुए कहा था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती. हालांकि, हाईकोर्ट ने IPC की धारा 201 और 511 के तहत कार्रवाई जारी रखने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई.

मई, 2017 में जस्टिस अरुण मिश्रा और अमितवा रॉय की बेंच ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए लालू के खिलाफ IPC की धारा 120b, 408, 420, 467, 468 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में 9 महीने के भीतर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए देर से अपील दायर करने के लिए सीबीआई को भी आड़े-हाथों लिया था.
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अब तक लालू को कितनी सजा मिली?

लालू यादव को चाईबासा कोषागार मामले के दो केसेज में IPC और PC ऐक्ट की धाराओं में 5-5 साल की सजा मिली थी, ये सजाएं concurrent थीं. देवघर ट्रेजरी मामले में लालू को IPC और PC ऐक्ट की धाराओं में 3.5-3.5 साल की सजाएं मिली थीं. हालांकि, दुमका कोषागार मामले में IPC और PC ऐक्ट की धाराओं में लालू को 7-7 साल की सजा सुनाते हुए इसे consecutive तरीके से एक के बाद दूसरी सजा चलाने की बात कही गई थी. लेकिन पिछले साल, हाईकोर्ट ने इस मामले में जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए इसे बेतुका बताया था. लालू के वकील के मुताबिक, इसी आधार पर कोर्ट ने दुमका ट्रेजरी मामले में 42 महीने जेल में काटने की वजह से लालू को जमानत दी थी. सोमवार को लालू को डोरंडा कोषागार मामले में सजा मिली है. इसके आलावा, भागलपुर-बांका ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में भी 25 फरवरी को पटना में सीबीआई की विशेष अदालत में लालू की पेशी होनी है.

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