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'क्वीर बच्चे मुझे मम्मी बुलाते हैं': एक साल पहले सुसाइड से बेटे को खोने वाली मां

Faridabad के एक स्कूल में एक साल पहले 16 साल के किशोर की उत्पीड़न के बाद सुसाइड से मौत हो गयी थी.

Published
भारत
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"जब भी मैं हार मानने लगती हूं, मैं अपने बेटे के कमरे में जाती हूं और उसके बारे में सोचती हूं. कभी-कभी मुझे माता-पिता या बच्चे का फोन आता है - ज्यादातर बच्चे जो एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय से हैं या बिल्कुल अलग हैं. वे मुझे अपनी कहानियां सुनाते हैं, और मैं उनके माता-पिता से दयालु और अधिक स्वीकार करने के लिए कहती हूं. बच्चे उनकी मदद करने के लिए मुझे धन्यवाद देते हैं और यही मुझे आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति देता है, ”

यह कहना है 16 वर्षीय लड़के की मां का, जिसकी एक साल पहले फरवरी 2022 में हरियाणा के फरीदाबाद के एक स्कूल में कथित रूप से उत्पीड़ित किए जाने के बाद सुसाइड से मौत हो गयी थी.

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एक साल बाद, "द क्विंट" ने उनकी मां से कभी न खत्म होने वाली कानूनी लड़ाई, बेटे को खोने के दर्द ने और क्वीर समुदाय के बच्चों के साथ खड़े होकर ताकत हासिल करने के बारे में बात की.

फरवरी 2022 में क्या हुआ?

25 फरवरी 2022 को, 16 वर्षीय छात्र की सुसाइड से मौत हो गई थी. मृतक ने एक कथित सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसकी सेक्सुअलिटी को लेकर स्कूल में उसका यौन उत्पीड़न किया गया और उसे धमकाया गया.

अपनी मां को लिखे एक नोट में उसने लिखा; "प्रिय मां, आप इस ग्रह पर सबसे अच्छी मां हैं. मुझे वास्तव में खेद है कि मैं अधिक बहादुर नहीं हो सका. इस स्कूल ने मुझे मार डाला है, विशेष रूप से उच्च अथॉरिटी ने."

मृतक छात्र के स्कूल के सीनियर कोऑर्डिनेटर के खिलाफ IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. कोऑर्डिनेटर को गिरफ्तार कर लिया गया और कुछ दिनों बाद जमानत दे दी गई. मार्च 2022 में उसी स्कूल में पढ़ाने वाली उसकी मां को अगले आदेश तक सेवाओं से मुक्त कर दिया गया.

लगभग छह महीने बाद, दिसंबर 2022 में चार्जशीट दायर की गई और दो अदालती मामले चल रहे हैं.

न्यायालयों के बीच दौड़ रही मां, केस कहां पहुंचा?

2022 में, मां ने द क्विंट से बात करते हुए आरोप लगाया था कि छात्र उनके बेटे के लिए हर तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे. उन्होंने दावा किया, "उन्होंने मेरे बेटे पर उनके मजाक के प्रभाव का एहसास नहीं किया. डराने-धमकाने के कारण उसे पैनिक अटैक आता था और फिर एक दिन, उसने मुझे बताया कि उसका यौन उत्पीड़न भी किया गया था.”

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अब, एक साल बाद, 41 वर्षीय मां अधिकांश समय कोर्ट से जुड़े कामों में व्यस्त रहती है. उन्होंने अफसोस जताया, “मुझे अपने बुजुर्ग माता-पिता को घर पर छोड़कर कोर्ट जाना पड़ता है. हमें तारीखें मिलती रहती हैं जो आगे बढ़ती रहती हैं.”

महिला के वकील अर्पणदीप नरूला ने द क्विंट को बताया, “हमने इस मामले में दो याचिकाएं दायर की थीं. पहले में हमने कोऑर्डिनेटर की जमानत रद्द करने की मांग की थी. उसे एक तथ्यात्मक चूक के आधार पर जमानत दी गई थी.”

मां ने कहा;

"अपना बयान देते समय मैंने उस तारीख के बारे में गलती की, जिस दिन कोऑर्डिनेटर ने मेरे बेटे को डांटा था. उसके कारण जमानत मिल गई थी. उस समय मेरे बेटे का अंतिम संस्कार हो रहा था. मैं ठीक से सोचने की स्थिति और इसलिए मैंने गलती की."
किशोर की मां

अक्टूबर 2022 में दायर दूसरी याचिका में मां ने कहा कि पुलिस ने ठीक से जांच नहीं की और इसलिए उन्होंने CBI जांच की मांग की है. नरूला ने कहा, “इसके अलावा, हमने LGBTQ समुदाय के हितों की रक्षा के लिए उचित गाइडलाइंस मांगे. हम चाहते हैं कि केंद्र गाइडलाइंस जारी करे. भले ही कुछ गाइडलाइंस हैं, लेकिन उन्हें ठीक से लागू नहीं किया गया है.”

इस याचिका के दो महीने बाद, स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ POCSO अधिनियम की धारा 21 (रिपोर्ट करने या दर्ज करने में विफलता के लिए दंड) और कोऑर्डिनेटर के खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) IPC और POCSO अधिनियम की धारा 21 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था.

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नरूला ने कहा, 'आरोपित सभी नौ किशोरों का नाम चार्जशीट में नहीं है. इससे पहले, दो नाबालिगों को पकड़ा गया था और एक दिन में रिहा कर दिया गया था.”

'मैं अपने बेटे की तरह प्राइड मार्च में शामिल होती हूं'

मृतक की मां हक के लिए लड़ने के लिए भी समय निकालती हैं.

उन्होंने कहा, "जब मैं कर सकती हूं तो मैं प्राइड मार्च में भाग लेती हूं. मेरा बेटा वहां होता, इसलिए अब मैं उसकी तरफ से जाता हूं.” जब वो अदालत की सुनवाई के लिए पंजाब गईं, तो उन्होंने चंडीगढ़ में प्राइड मार्च के लिए जाने का निश्चय किया. उन्होंने कहा कि इनमें से कई मार्चों में LGBTQ+ समुदाय के लोग उनके बेटे के लिए न्याय की मांग करने वाले पोस्टर लेकर आते हैं.

उन्होंने दावा किया कि इस घटना के बाद उसे स्कूल से नौकरी छोड़ने को कहा गया था. अभी के लिए, वह दूसरी नौकरी नहीं करना चाहती है. उन्होंने द क्विंट को बताया, "मेरा मकसद दूसरे युवाओं की मदद करना है जो मेरे बेटे की तरह जूझ रहे हैं."

एक बार मुझे एक लड़के का फोन आया, जब वह उनके पास आया तो उसके माता-पिता उसे कन्वर्जन थेरेपी के लिए जाने के लिए मजबूर कर रहे थे. लड़का लगभग सुसाइडल था. उनके पिता से मैंने फोन पर लंबी बात की, मैंने उनसे और अधिक स्वीकार करने और अपने बेटे को घर ले जाने का अनुरोध किया. अब, उनका परिवार अधिक स्वीकार कर रहा है. लड़का कॉलेज में है, और वह भी थेरपी के लिए जा रहा है.
मृतक की मां
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उनकी आवाज कांपने लगी और उन्होंने कहा, "मैं हमेशा लोगों से अनुरोध करती हूं कि वे अपने बच्चों को थेरेपी के लिए भेजें क्योंकि कभी-कभी हमें नहीं पता होता है कि वे इतनी परेशानी से गुजर रहे हैं."

'दूसरे बच्चे मेरा सबसे बड़ा सहारा हैं'

उसने कहा कि उसे देश के विभिन्न हिस्सों-दिल्ली और जयपुर से लेकर बिहार तक के किशोरों के फोन आते हैं. उसने कहा कि यह उसके इंस्टाग्राम पेज के कारण है जिसके जरिए वह "जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं." वह क्वीर समुदाय के किशोरों द्वारा किए गए पोस्ट शेयर करती हैं जो सामने आ रहे हैं या उनके साथ होने वाले भेदभाव को संबोधित कर रहे हैं.

वो अपने बेटे की फोटो , आर्ट और रेसिन के हार जो वह बनाता था, शेयर करती हैं.

वो बताती हैं कि कमेंट में, किशोरों के साथ समुदाय के लोगों का यह कहते हुए समर्थन मिलता है कि यह अकेले उसकी लड़ाई नहीं है. अन्य लोग उसकी पोस्ट के साथ एंगेज करते हुए डराने-धमकाने के अपने अनुभवों के बारे में बात करते हैं.

उसने हंसते हुए कहा, "कुछ बच्चों ने मुझे 'मम्मा' कहना शुरू कर दिया है. वे मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसी हूं और क्या मैंने खाया है, वे मेरे सबसे बड़ा सहारा रहे हैं.

उनकी प्राथमिकता अपने बेटे के लिए एक सुरक्षित जगह बनाना थी. पिछले साल, उसने द क्विंट को बताया था, "वह अपने कान छिदवाना चाहता था, और उसकी दादी की कुछ अस्वीकृति के बावजूद हमने ठीक वैसा ही किया. हम साथ में इयररिंग्स की खरीदारी करते थे."

जब अन्य माता-पिता उसे बताते हैं कि उनके बच्चे "अलग तरह से कपड़े पहन रहे हैं" या "अलग तरह से व्यवहार कर रहे हैं", तो उनकी सलाह है: "वे आपके बच्चे हैं, उन्हें अपनी मर्जी से अपनी तरह होने दें. मेरे बेटे ने जो किया उससे आपके बच्चों को नहीं गुजरना चाहिए.”

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