BJP की अगुवाई वाले NDA ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मामूली बहुमत हासिल किया और चुनाव बाद के डेटा विश्लेषण से सामने आने वाले सबसे उल्लेखनीय बिंदुओं में से एक यह है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास भारत के तीन सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों- मुस्लिम, ईसाई और सिखों से एक भी लोकसभा सदस्य नहीं है.
2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले में धार्मिक अल्पसंख्यकों की मतदान की प्राथमिकता में कुछ उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं.
लोकनीति-CSDS के द हिंदू में छपे आंकड़े बताते हैं कि NDA ने ईसाइयों के बीच बड़ी बढ़त हासिल की है और सिखों के बीच समर्थन खोया है. हिंदुओं की जातियों को सामने रखते हुए भी, किसी समुदाय में NDA को सबसे ज्यादा फायदा ईसाइयों में हुआ, जबकि सबसे अधिक नुकसान सिखों में हुआ.
दूसरी तरफ, कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को ईसाइयों के बीच बड़ा नुकसान हुआ है. यहां हम बता रहे हैं कि विभिन्न धार्मिक अल्पसंख्यकों की वोट प्राथमिकताएं किस तरह बदली हैं?
NDA की ईसाइयों में बढ़त, सिखों के समर्थन में गिरावट
सबसे खास पहलू ईसाइयों के बीच NDA के समर्थन में बढ़ोत्तरी है- 16 फीसद से बढ़कर 28 फीसद, यानी 12 फीसद अंकों की वृद्धि. हालांकि, इसमें से सबसे बड़ा फायदा BJP के सहयोगियों का है- 9 अंक का. पूरी संभावना है कि यह आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम और जन सेना पार्टी के साथ BJP के गठबंधन के चलते हुआ हो.
दूसरा उल्लेखनीय आंकड़ा सिख मतदाताओं के बीच NDA की भारी गिरावट का है. लोकनीति-CSDS सर्वे के अनुसार, NDA के लिए सिखों की पसंद 2019 के 31 फीसद से गिरकर 2024 में सिर्फ 10 फीसद रह गई, यानी 21 फीसद अंकों की भारी गिरावट. इसकी एक बड़ी वजह शिरोमणि अकाली दल का NDA से बाहर होना है, क्योंकि 19 फीसद अंकों की गिरावट BJP के सहयोगियों की है.
हालांकि, BJP के लिए सिखों की पसंद में गिरावट इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि BJP ने इस चुनाव में पंजाब में पैठ बढ़ाने की कड़ी कोशिश की थी. भारत में सिखों की 80 फीसद से ज्यादा आबादी पंजाब में रहती है. BJP ने पंजाब में आमतौर पर जितनी सीटें लड़ती है, उससे चार गुना ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा और राज्य में कुल वोट शेयर में 9 फीसद अंकों की बढ़ोत्तरी हुई. लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें ज्यादातर हिस्सा हिंदू मतदाताओं का है.
पिछले कुछ चुनावों से, BJP के लिए सिखों की पसंद कम रही है और 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई.
कांग्रेस को सहयोगी दलों से मुसलमान वोटर्स के बीच पैठ मिली
लोकनीति-CSDS सर्वे बताता है कि कांग्रेस के लिए मुसलमानों की पसंद 2019 के 33 फीसद से बढ़कर 2024 में 38 फीसद हो गई. हालांकि, सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस के सहयोगियों को हुआ, जो 2019 में 12 फीसद से बढ़कर 2024 में 27 फीसद हो गया.
CSDS ने साफ किया है कि इसमें पश्चिम बंगाल में TMC या केरल में लेफ्ट को पसंद करने वाले लोग शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये प्री-पोल एलायंस नहीं थे.
इसका मतलब यह होगा कि मुसलमानों के बीच INDIA गठबंधन के लिए कुल प्राथमिकता CSDS सर्वे में कांग्रेस और सहयोगियों के लिए अनुमानित 65 फीसद से भी ज्यादा होगी.
चूंकि TMC को इसमें शामिल नहीं किया गया है, इसलिए कांग्रेस के सहयोगियों के लिए मुसलमानों के समर्थन में भारी वृद्धि काफी हद तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में समाजवादी पार्टी के शामिल होने की वजह से हो सकती है.
हालांकि, कांग्रेस के लिए फिक्र करने वाली बात यह है कि ईसाइयों के बीच इसकी गिरावट 2019 के 39 फीसद से घटकर 2024 में 25 फीसद रह गई है.
सिखों के बीच, कांग्रेस 30 फीसद पर थी, जो BJP के 10 फीसद से बहुत ज्यादा है, लेकिन यह 2019 के मुकाबले में 9 फीसद अंकों की गिरावट थी. इसका ज्यादातर हिस्सा आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और छोटे दलों को गया हो सकता है.
मुस्लिम महिलाओं के बीच BJP को कोई बढ़त नहीं
मीडिया में ऐसी तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं कि BJP ने ट्रिपल तलाक पर रोक से कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल की है. मगर आंकड़े इसका समर्थन नहीं कर रहे हैं, क्योंकि मुस्लिम महिलाओं के बीच NDA का प्रदर्शन मुस्लिम पुरुषों के मुकाबले और भी खराब है.
सर्वे के अनुसार, 7 फीसद मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि उन्होंने BJP को वोट दिया और 2 फीसद ने कहा कि उन्होंने BJP के सहयोगियों को वोट दिया. मुसलमानों के बीच कुल आंकड़ा क्रमशः 8 फीसद और 2 फीसद है. अगर मुस्लिम महिलाओं के बीच BJP के लिए प्राथमिकता 7 फीसद है और मुसलमानों के बीच BJP के लिए कुल प्राथमिकता 8 फीसद है, तो मुस्लिम पुरुषों के बीच आंकड़ा 9 फीसद होने की संभावना है.
इसके उलट कांग्रेस ने पुरुषों की तुलना में मुस्लिम महिलाओं के बीच बेहतर प्रदर्शन किया.
40 फीसद मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया, जबकि कुल मिलाकर 38 फीसद मुसलमानों ने कांग्रेस को वोट दिया. इसका मतलब है कि पुरुषों के बीच यह आंकड़ा लगभग 36 फीसद रहा होगा.
दूसरी ओर, कांग्रेस के सहयोगी दल महिलाओं की तुलना में पुरुषों के बीच ज्यादा लोकप्रिय थे: मुस्लिम महिलाओं के बीच 25 फीसद और कुल मिलाकर मुसलमानों के बीच 27 फीसद का मतलब है कि मुस्लिम पुरुषों के बीच कांग्रेस के सहयोगियों के लिए प्राथमिकता तकरीबन 29 फीसद रही होगी.
नोट: यह स्टोरी सिर्फ धार्मिक अल्पसंख्यकों पर केंद्रित है. लोकनीति-CSDS ने अभी तक हिंदुओं के बीच मतदाता पसंद का कुल आंकड़ा जारी नहीं किया है और इसे विभिन्न जातियों के रूप में दिया है. हम जाति-वार वोट प्राथमिकता पर केंद्रित एक अलग स्टोरी करेंगे और जब भी CSDS हिंदुओं की वोट प्राथमिकता के कुल आंकड़े जारी करेगा, हम इस स्टोरी को अपडेट करेंगे.
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