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'अग्निपथ' का कांटों भरा रास्ता: लोकसभा चुनावों में कितना असर? बिहार से ग्राउंड रिपोर्ट

Lok Sabha Election 2024: क्या अग्निपथ नेताओं के पथ में रोड़ा का काम करेगी? जवाब खोजने क्विंट हिंदी का टीम बिहार के आरा पहुंची.

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कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

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हरिवंश राय बच्चन की यह कविता आपने अमिताभ बच्चन की आवाज में कई बार सुनी होगी लेकिन साल 2022 के बाद देश में इसका मतलब बदल गया. सितंबर 2022 में आई अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) से सशस्त्र बलों में नियमित होने वाली भर्तियों में बड़ा बदलाव आया. इसके तहत एक निश्चित संख्या में अग्निवीरों की भर्ती केवल 4 साल के लिए की जाने लगी. अग्निपथ योजना पर पूरे देश में बवाल मचा, कई जगह उग्र प्रदर्शन हुए.

सवाल है कि क्या अग्निपथ योजना से सेना में जाने का सपना देख रहे जवानों को जो मायूसी हुई, उसका असर मौजूदा लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024 Ground Report) में देखने को मिलेगा? क्या अग्निपथ नेताओं के पथ में रोड़ा का काम करेगी? इसी का जवाब खोजने क्विंट हिंदी का टीम बिहार के आरा पहुंची.

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"4 साल बाद लड़का क्या करेगा?"

सितंबर 2022 में लागू हुई अग्निपथ योजना के बाद से आर्मी में जाने का सपना देखने वाले युवाओं में मायूसी देखी जा रही है. आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे विवेक सिंह कहते हैं कि यह योजना देश के लिए सही हो लेकिन युवाओं के लिए गलत है. 4 साल की नियुक्ति की वजह से जॉब सिक्योरिटी नहीं है. 4 साल बाद आखिर लड़का करेगा क्या?

दरअसल इस योजना के तहत अग्निवीर कहलाने वाले सैनिकों को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा. नौकरी से हटाए जाने के बाद उन्हें अंशदान आधारित सेवा निधि पैकेज मिलेगा लेकिन कोई पेंशन लाभ नहीं होगा. इसके बाद सिर्फ 25 प्रतिशत सैनिकों को अपनी यूनिट्स में बहाल रखा जाएगा और वे नियमित सैनिकों की तरह पूर्ण सेवा देंगे.

क्या अग्निपथ पर नाराजगी का मतदान में दिखेगा असर? इस सवाल पर विवेक कहते हैं

"युवा तो अग्निपथ पर सोचकर वोट करेगा. बाकी लोगों का तो नहीं पता लेकिन जो आर्मी की तैयारी कर रहा वो तो इस मुद्दे पर वोट करेगा. बीजेपी सरकार में बच्चों पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है. पेपर लीक, चार साल की नौकरी, एग्जाम लेने में देरी.. रेलवे में 5 साल पर वैकेंसी आ रहा है और उसमें भी सीट कम."

युवाओं में नजर आ रही मायूसी का असर जमीन पर भी दिखता है. आर्मी की परीक्षाओं की तैयारी के लिए एकेडमी चलाने वाले चंदन बताते हैं कि आरा जैसे शहर में, जहां कुछ साल पहले तक हजारों युवा यहां के मैदानों और सड़कों पर आर्मी की तैयारी करते नजर आते थे. अब उनकी तादाद कम हो गई है.

कई निराश युवा अब अग्निपथ योजना को छोड़ दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं. अंजली कहती हैं कि पहले वो भी आर्मी की तैयारी करती थी लेकिन अग्निपथ योजना आने के बाद उन्होंने अपनी लाइन बदल ली. अंजली अब सीआईएसएफ की तैयारी कर रही हैं.

आप यहां देखिए क्विंट हिंदी की पूरी ग्राउंड रिपोर्ट.

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