विपक्षी दलों की एकता की मुहिम के बीच बीजेपी (BJP) ने भी अपने गठबंधन एनडीए को फिर से मजबूत करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ-साथ 20 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में बेहतर समन्वय स्थापित कर एक सुर में विरोधी दलों के आरोपों का जवाब देने की रणनीति बनाने के लिए बीजेपी (BJP) ने सत्र से पहले 18 जुलाई को नई दिल्ली में एनडीए घटक दलों की बैठक बुलाई है.
अकाली दल और टीडीपी जैसे पुराने सहयोगी भी एनडीए की बैठक में रह सकते हैं मौजूद
इसी के साथ एनडीए गठबंधन के विस्तार को लेकर भी खबरें आने लगी हैं. यह कहा जा रहा है कि नए साथियों को लेकर बीजेपी की तलाश का सकारात्मक नतीजा आने वाले दिनों में सामने आ सकता है और बीजेपी के अकाली दल और टीडीपी जैसे पुराने सहयोगी भी एनडीए की बैठक में मौजूद रह सकते हैं.
कर्नाटक से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के भी एनडीए में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं. यहां तक कि बिहार से नीतीश कुमार के भी फिर से भाजपा के साथ आने की खबरें राजनीतिक गलियारों में सुनाई देने लगी है.
नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे पूरी तरह से बंद हो चुके हैं ?
नीतीश कुमार की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को पार्टी के स्टैंड को साफ करते हुए कहा कि अमित शाह 3-4 बार साफ तौर पर यह घोषणा कर चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे पूरी तरह से बंद हो चुके हैं.
पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी बीजेपी ?
अकाली दल की वापसी के मसले पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर विजय रूपानी तक भाजपा के कई नेता बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि पार्टी पंजाब में अकेले लोक सभा चुनाव लड़ेगी.
पंजाब के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करने के बाद साफ-साफ शब्दों में यह कहा कि अकाली दल के साथ गठबंधन के कारण सीटों की लिमिटेशन की वजह से बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ा है और राज्य के कई इलाके खासतौर पर पंजाब के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी है ही नहीं.
उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी को पंजाब की सभी 117 विधान सभा सीटों तक ले जाने की जिम्मेदारी मिली है. अभी अकाली दल की हालत खराब है और अब बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में बात करने की स्थिति में आ गई है इसलिए अब हमें बड़े भाई की भूमिका में ही बात करनी चाहिए.
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में क्या है बीजेपी की रणनीती
टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू को फिर से एनडीए में लाने की कवायद के बीच बीजेपी ने हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री डी पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश और जी किशन रेड्डी को तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं.
मांझी और अजित पवार के अलावा अन्य दल भी हो सकते हैं शामिल
बीजेपी के उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक, पार्टी निश्चित तौर पर अपने गठबंधन का विस्तार करना चाहती है और जो भी राजनीतिक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर देश की विकास यात्रा में शामिल होना चाहते हैं उनका स्वागत है.
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जीतन राम मांझी की पार्टी हम और अजित पवार की पार्टी एनसीपी भाजपा के साथ आई है और भविष्य में कई अन्य राजनीतिक दल भी पार्टी के साथ जुड़ सकते हैं.
पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अकेले लोक सभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है?
यह बताया जा रहा है कि पार्टी ने पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अकेले लोक सभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है.
लेकिन, पार्टी जिस तरह से बिहार में छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बड़े भाई की भूमिका में चुनाव लड़ रही है उसी तर्ज पर अगर कोई राजनीतिक दल अपने प्रभाव वाले राज्य में पार्टी को बड़े भाई की भूमिका देने को तैयार हो जाती है तो गठबंधन में उनका स्वागत है.
इशारा स्पष्ट तौर पर अकाली दल और टीडीपी के लिए है. सार्वजनिक तौर पर अकेले लड़ने की घोषणा के बावजूद पर्दे के पीछे बातचीत का दौर जारी है.
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