मद्रास हाईकोर्ट ने एक्टर रजनीकांत के खिलाफ दायर मामले को खारिज कर दिया है. रजनीकांत के खिलाफ यह मामला उनके द्रविड़ कझगम (डीके) के संस्थापक ईवी रामास्वामी की अगुवाई वाली रैली को लेकर दिए गए बयान पर दायर किया गया था. दिवंगत ईवी रामास्वामी, पेरियार के नाम से लोकप्रिय हैं. बता दें कि ये मामला द्रविदड़ विधुतलाई कझगम (डीवीके) ने उनके खिलाफ दायर किया था.
कोर्ट ने उठाए सवाल
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि याचिकाकर्ता ने पुलिस में शिकायत करने के 15 दिनों के भीतर ही उससे (कोर्ट से) संपर्क क्यों किया. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से याचिका को वापस लेने की इजाजत मांगी और कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. तमिल पत्रिका तुगलक की 50वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में रजनीकांत ने कहा था कि
‘1971 में सेलम में पेरियार की अगुवाई में एक रैली निकाली गई और इसमें भगवान राम व सीता के नग्न चित्र कथित तौर पर प्रदर्शित किए गए.’
माफी मांगने से किया था इनकार
उन्होंने कहा कि उस रैली में जो भी कुछ घटित हुआ, उस समय मीडिया ने रिपोर्ट किया था. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि रजनीकांत का ये बयान पेरियार का अपमान है जिन्होंने स्वाभिमान आंदोलन की शुरुआत की थी और डीके की स्थापना की थी. कुछ संगठनों ने रजनीकांत से माफी मांगने की मांग की है, जबकि एक्टर ने साफ तौर पर ऐसा करने से इनकार किया. हाल में अपने घर के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए रजनीकांत ने अपनी टिप्पणी के समर्थन में मीडिया रिपोर्ट की कुछ प्रतियां दिखाईं और कहा कि वह माफी नहीं मांगेंगे.
डीवीके ने रजनीकांत के खिलाफ डीके संस्थापक को बदनाम करने के लिए कोयंबटूर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है. डीवीके की शिकायत है कि रजनीकांत का बयान झूठा है और उसने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आग्रह किया. डीवीके ने कहा कि अगर वह (रजनीकांत) माफी नहीं मांगते हैं तो रजनीकांत की हालिया फिल्म 'दरबार' के थिएटर के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा. डीके के अनुयायी रजनीकांत के इस बयान पर सहमत नहीं है कि भगवान राम व सीता के नग्न चित्र को कथित तौर पर रैली में प्रदर्शित किया गया, जिस रैली की सेलम में अगुवाई पेरियार ने की.
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