कोरोना वायरस के प्रकोप से देश में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के लिए अच्छी खबर है क्यों कि राज्य में एक्टिव केस से दोगुनी संख्या ठीक होने वाले लोगों की हो गई है. मंगलवार को राज्य के स्वास्थ विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनके मुताबिक महाराष्ट्र में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2.99 लाख है. जबकि एक्टिव केस यानि कि जिनका इलाज चल रहा है उनकी संख्या 1.42 लाख है. इतना ही नहीं तो महाराष्ट्र के रिकवरी रेट में भी सुधार हुआ है. जो देश के रिकवरी रेट के करीब पहुंच गया है.
मंगलवार को महाराष्ट्र में 7760 नए कोरोना के मामले सामने आए. उसी दिन करीब 12326 लोगों की कोविड नेगेटिव होकर अपने घर लौटे. मुंबई शहर जहां कोरोना के शुरुआती दौर में सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे थे वहां अगस्त महीने की शुरुआत में 20309 ऐक्टिव केस है. वहीं मंगलवार को संक्रमितों का आंकड़ा 709 था.
रिकवरी रेट के मामले में ठाणे जिला के आंकड़े अच्छे नहीं दिखाई देते हैं.
पुणे में अच्छा नहीं है रिकवरी रेट
जुलाई महीने में ठाणे जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ी है. पुणे में पिछले दिनों अच्छा खासा स्पाइक देखने को मिला था. पुणे जिले में संक्रमितों का आंकड़ा 1 लाख के के करीब है. संक्रमितों की संख्या 98876 है जबकि ऐक्टिव केस 38397 हैं. पुणे का रिकवरी रेट बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता. पुणे में 54% रिकवरी रेट है. राज्य के रिकवरी रेट की तुलना में पुणे पीछे है.
नागपुर नया हॉटस्पॉट बनने की कगार पर
दूसरी तरफ नागपुर में जिस तरह से कोरोना नए केस सामने आ रहे है, ये एक नया हॉटस्पॉट बनाने की कगार पर है. नागपुर में कुल कोरोना संक्रमित 5952 है जबकी ऐक्टिव केस 3633 है. अगस्त महीने की शुरूआत से रोजाना 200-300 के करीब नए कोरोना मामले नागपुर में सामने आ रहे हैं, जिसने जिला प्रशासन के साथ सरकार के भी हाथ पैर फुला दिए हैं.
जानकारों का कहना है रिकवरी रेट में सुधार के पीछे कई तरह की वजह हैं. इसमें से एक है कि समय समय पर प्रशासन ने प्रोटोकॉल में बदलाव किया जैसे लक्षण न दिखने वाले मरीजों को होम क्वॉरंटीन की सुविधा दी गई. जिसकी वजह से अस्पतालों में लोड कम हुआ और जिन मरीजों को लक्षण हैं, उनकी ओर ध्यान देने का वक्त डॉक्टर और नर्स को मिला जिसका परिमाण है कि अब रिकवरी रेट बढ़ा है. साथ ही राज्य सरकार ने टेस्टिंग भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ाई है. इसका भी असर कह सकते हैं कि मरीज की जल्द पहचान और फिर उसका इलाज.
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