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महाराष्ट्र सरकार ने कृषि कानूनों में किए बदलाव, ज्यादा MSP और कानूनी प्रावधान

महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र के कानूनों में कई तरह के बदलाव कर विधानसभा में रखा प्रस्ताव

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महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र में कृषि कानून का प्रारूप सदन में रखा गया. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को बदलाव के साथ सदन में पेश किया गया. कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव पर महाराष्ट्र कैबिनेट बैठक में चर्चा हुई. जिसमें कई मंत्रियों ने इस कानून में खामियां निकालते हुए नए प्रारूप को मंजूरी दी.

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कृषि कानूनों के नए प्रारूप पर अगले दो महीनों में किसान और किसान संगठनों से सुझाव मांगे जाएंगे. इस कानून में किसानों को MSP या उससे ज्यादा की लागत देनी होगी. सात दिनों के भीतर किसानों को पैसे नहीं मिले तो कानून कार्रवाई का प्रावधान होगा.

कृषि कानून के प्रारूप में क्या हैं बदलाव?

केंद्रीय कानून में MSP के आधार पर किसानों के साथ एग्रीमेंट करने का प्रावधान नहीं है. इसीलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसान को उसकी कृषि उपज का मूल्य समय पर मिले, महाराष्ट्र सरकार ने अपने ड्राफ्ट में सजा का प्रावधान प्रस्तावित किया है.

  • किसानों के साथ एग्रीमेंट तब तक वैध नहीं होगा जब तक कि किसान को भुगतान की गई कीमत MSP के बराबर या उससे अधिक न हो.

  • MSP से नीचे की कीमत किसान और प्रायोजक के बीच आपसी समझौते पर तय होनी चाहिए.

  • यदि फसलों के लिए MSP तय न हो, तो किसान और प्रायोजक परस्पर सहमति से मूल्य तय करें.

  • कृषि एग्रीमेंट में विवाद की स्थिति हुई तो दोषियों पर किसान को प्रताड़ित करने पर कम से कम 3 साल के कारावास की सजा का प्रावधान होगा.

  • किसानों की समस्याएं और शिकायत दर्ज करने के लिए दो अपीलेट अथॉरिटी होगी. पहले अपीलेट अधिकारी के पास अगर किसानों का समाधान न हो तो जिलाधिकारी के पास अपील करने का प्रावधान होगा.

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नियम बनाने के अधिकार का भी प्रावधान

एसेंशियल कॉमोडिटी एक्ट, 1955 के सेक्शन 3 में संशोधन किया गया है. दरअसल, केंद्रीय कानून में अकाल, प्राकृतिक आपदा और कीमतों में बढ़ोतरी जैसे असाधारण परिस्थितियों में राज्य सरकार को उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, स्टॉक लिमिट्स पर नियंत्रण का अधिकार नहीं दिया गया है. लेकिन महाराष्ट्र सरकार के प्रारूप में इन सभी प्रक्रियाओं को रेग्युलेट और प्रतिबंधित करने के अधिकार देने का प्रस्ताव है.

साथ ही फार्मर्स प्रोड्यूज ट्रेड एंड कॉमर्स एक्ट, 2020 में भी संशोधन है. जिसके तहत व्यापार क्षेत्र में व्यापार करने के लिए ट्रेडर के पास पर्मानेंट अकाउंट नम्बर होना अनिवार्य हो. इसके अलावा प्रावधान है कि व्यापारी किसान उपज का व्यापार तब तक नहीं कर सकेगा जब तक उसके पास सक्षम प्राधिकारी का वैध लाइसेंस न हो.

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क्या बोले पक्ष और विपक्ष के नेता?

कांग्रेस नेता राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि,

"केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून से किसानों की परेशानी बढ़ी है. इतना लंबा किसान आंदोलन आज तक नहीं हुआ. किसानों की मांगों पर गौर करना जरूरी है. इसीलिए हम इसमें बदलाव ला रहे हैं और अगले दो महीनों के भीतर लोग इसमें अपने सुझाव दे सकते हैं."
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बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कृषि कानूनों में बदलाव का स्वागत किया. फडणवीस ने कहा कि, "जो इस कानूनों को खारिज करने की बात कर रहे थे, उन्होंने आज इसमे संशोधन का विचार किया. जैसे कि MSP को लेकर करार, डिप्टी कमिश्नर के बदले कलेक्टर को अपीलेट के अधिकार और APMC मार्केट के बाहर व्यापार करने के लिए व्यापारियों पर पैन कार्ड के बंधन. दरअसल, राज्य सरकार के पास कृषि कानून को लागू करने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है. वो बस राजनीति कर रहे हैं."

बता दें कि पहले दिन के हंगामेदार सत्र के बाद आज अंतिम दिन में विपक्ष ने सदन के कामकाज का पूरी तरह से बहिष्कार किया. पांच घंटों तक विपक्ष ने सदन के बाहर प्रतीकात्मक सदन चलाया.

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