महाराष्ट्र (Maharashtra) में लोड शेडिंग (Load Shedding) यानी बिजली कटौती (Power Cut) लगातार जारी है. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने शुक्रवार, 15 अप्रैल को कहा कि, “महाराष्ट्र में कुछ प्लांट्स में 1.5 दिन का कोयला बचा है, कुछ में 3 दिन और कुछ में 6 दिन का कोयला बचा है. बिजली संकट को दूर करने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है. जल संसाधन मंत्री को हाइड्रो-इलेक्ट्रीसिटी बनाने के लिए कहा गया है.
एचटी के मुताबिक ऊर्जा मंत्री ने कहा, महाराष्ट्र में लोड-शेडिंग को हल करने के लिए कोयला, पानी और गैस की जरूरत है. लेकिन कोयना डैम में 17 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी (टीएमसी) बचा है. बिजली पैदा करने के लिए हर दिन एक टीएमसी की जरूरत होती है. एक कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक केंद्र को महाराष्ट्र में एपीएम गैस उपलब्ध कराना है."
महाराष्ट्र में लोड-शोडिंग की समस्या क्यों बनी हैं और राज्य को कितनी बिजली की आवश्यकता है?
एक्सप्रेस ने सरकारी अधिकारियों और इंडस्ट्री के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि, देश भर में महामारी के बाद से आर्थिक गतिविधियों में अचानक तेजी आई है जिसकी वजह से बिजली की मांग बढ़ी है.
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के अध्यक्ष और एमडी विजय सिंघल के अनुसार, महामारी के कम होने के बाद राज्यों में गतिविधि में वृद्धि के बाद ये मांग में वृद्धि हुई है. हर राज्य कोयले की कमी से जूझ रहा है. MSEDCL द्वारा खरीदी गई अतिरिक्त बिजली के बावजूद महाराष्ट्र को प्रतिदिन 1500 मेगावाट की कमी का सामना करना पड़ेगा. फिलहाल राज्य में हर दिन बिजली की मांग 28,000 मेगावाट से ज्यादा हो गई है जो पिछले साल की तुलना में लगभग 16% ज्यादा है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक गड़बड़ी कथित तौर पर डिमांड और सप्लाय के मिसमैच के कारण हुई है. रिपोर्ट में बताया गया कि बिजली बनाने वाले और कोयला को इस्तेमाल में लेने वाले सेक्टर ने दावा किया था कि कोयले की सप्लाय जरूरत के हिसाब से नहीं हुई और जितनी हुई वो कोयला खराब क्वालिटी का था.
उर्जा मंत्री ने ये भी बताया कि, “महाराष्ट्र सरकार को केंद्र को 2200 करोड़ रुपए देने हैं. केंद्र सरकार ने हमसे पहले पैसे देने को कहा और उसके बाद ही वे हमें कोयला मुहैया कराएंगे."
पावर कट को सुलझाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
पहले तो जान लीजिए MahaGenco के अनुसार महाराष्ट्र कोयले से बिजली का उत्पादन सबसे ज्यादा करता है, इसकी 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 75% बिजली उत्पादन थर्मल पावर प्लांट से होती है. इसके बाद गैस और फिर डैम से बिजली का उत्पादन किया जाता है.
बता दें कि प्रतिदिन लगभग 4000 मेगावाट की कमी से राज्य जूझ रहा है. 1800 मेगावाट से ज्यादा की व्यवस्था राज्य के बाहर से की जा रही है.
नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड से 25 जून तक 673 मेगावाट की व्यवस्था कर ली गई है. इसके अलावा महाराष्ट्र कैबिनेट ने 9 अप्रैल को टाटा पावर की सहायक कंपनी कोस्टल गुजरात पावर से 760 मेगावाट बिजली की खरीद को मंजूरी दी है.
राज्य के किन हिस्सों में लोड-शेडिंग की समस्या है, मुंबई-पुणे में समस्या क्यों नहीं
महाराष्ट्र में बिजली कटौती की समस्या विदर्भ, मराठवाड़ा और खानदेश में आ रही है. ग्रामीण नासिक, अहमदनगर और औरंगाबाद सहित मराठवाड़ा के कुछ हिस्से भी बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं. कुछ जगहों पर आठ घंटे तक बिजली नहीं रहेगी. लेकिन मुंबई और पुणे में बिजली कटौती क्यों नहीं होगी?
MSEDLC ने कहा कि मुंबई, इससे सटे ठाणे और नवी मुंबई पर लोड-शेडिंग का असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि इन क्षेत्रों में बिजली वितरण में नुकसान की कमी है और बड़ी संख्या में बिल का भुगतान किया जाता है. पुणे में भी ज्यादा बिजली बकाया नहीं है. हालांकि, मुंबई के बाहरी इलाकों में जैसे कल्याण में बार-बार बिजली चोरी, बिजली वितरण नुकसान और बिलों की खराब वसूली देखी जाती है.
क्या कोयले का संकट केवल महाराष्ट्र में ही बना हुआ है?
पिछले साल देशभर की सूर्खियों में कोयला संकट छाया हुआ था तब केंद्र सरकार ने ऐसे किसी संकट से इनकार किया था. महाराष्ट्र डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनी) के बयान में दावा किया गया है कि पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश अपने औद्योगिक उपभोक्ताओं को बिजली की सप्लाय लगभग आधी कर रहा है.
गुजरात औद्योगिक उपभोक्ताओं को सप्ताह में एक बार बिजली नहीं देता. हालांकि, राज्य सरकार ने कहा है कि ये संकट "अस्थायी" है. पिछले कुछ दिनों में जिन अन्य राज्यों में बिजली गुल रही, उनमें मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
देशभर में बना रहेगा संकट, करोड़ों के कर्ज में डूबी है Discom
बिजली बनाने वाली कंपनियों (Generation Companies) या (Gencos) की उधारी पर बिजली मुहैया कराता है. इस समय 1.23 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की उधारी हो गई है. यह उधारी लोगों के घरों तक बिजली पहुंचाने वाली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों (Discom) के ऊपर है.
महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों पर बकाया ज्यादा है.
बता दें कि, समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि केंद्र ने कहा है कि कोयले की सप्लाय को वित्त वर्ष 2021-22 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 24.5% बढ़ाकर 677.67 मिलियन टन कर दिया गया है. ये सप्लाय बिजली बनाने वाले प्लांट्स को किए जाने वाले आंकड़ें हैं.
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